टिकट दलालों की अपेक्षा अवैध वेंडर्स पर ध्यान दें डीजी/आरपीएफ
अवैध वेंडर्स सहित सर्वप्रथम आरपीएफ/जीआरपी को नियंत्रित किया जाए
आरपीएफ/जीआरपी के संरक्षण में पल रहे लाखों की तादाद में अवैध वेंडर
वेंडर्स/आरपीएफ/जीआरपी के गठजोड़ से रोजाना लुट रहे हैं हजारों रेलयात्री
प्रयागराज ब्यूरो : भारतीय रेल में आरपीएफ का कितना बड़ा योगदान है, इसकी एक बानगी रविवार, 21 अक्टूबर को इलाहाबाद मंडल के फतेहपुर और कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशनों पर देखने को मिली. इसके साथ ही यह उजागर हुआ कि आरपीएफ के सामने रेलवे के तमाम वाणिज्य अधिकारी इस कदर बेबस और कमजोर हैं कि सब कुछ देखते और जानते हुए भी वह कुछ भी करने की स्थिति में नहीं हैं. ऐसा भी हो सकता है कि इस सबसे बचकर वह सिर्फ अपना कार्यकाल पूरा करने पर ही जोर देते हैं. इसके अलावा कई प्रकार के कदाचारों के कारण कर्तव्य पालन में कोताही के चलते भी वह जिंदा अपराधों की अनदेखी करने के लिए जिम्मेदार हैं.
उधर नव-नियुक्त डीजी/आरपीएफ अरुण कुमार ने देश भर में रेलवे टिकटों की कालाबाजारी रोकने और टिकटों की दलाली करने वालों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाने का आदेश आरपीएफ कर्मियों को दिया है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है और चालू त्योहारी सीजन को देखते हुए यह आदेश एकदम उचित है. तथापि इससे भी ज्यादा जरूरत पूरी भारतीय रेल में चल रहे लाखों अवैध वेंडर्स को नियंत्रित करने की है, जिनकी वजह से रेलवे में रोजाना न सिर्फ कई प्रकार के अपराध हो रहे हैं, बल्कि हजारों रेलयात्री उनका शिकार होकर लुट रहे हैं.
यह भी एक सच्चाई है कि इन तमाम अवैध वेंडर्स को आरपीएफ एवं जीआरपी का ही संरक्षण मिला हुआ है. आरपीएफ के लिए रेलवे में ऐसी अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने का कानूनी अधिकार मांगा गया था, मगर देखा जा रहा है कि उसे मिला यह महत्वपूर्ण अधिकार रेलवे में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का एक सशक्त माध्यम बन गया है. इसीलिए रेलकर्मियों और अधिकारियों द्वारा ही यह कहा जाने लगा है कि सर्वप्रथम आरपीएफ और जीआरपी को ही नियंत्रित करने की मुहिम चलाए जाने की जरूरत है.
फतेहपुर स्टेशन की घटना : गाड़ी संख्या 12506, नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस में टीटीई द्वारा एक अवैध वेंडर को फतेहपुर में पकड़ा गया, जिस पर वह चेकिंग स्टाफ से ही भिड़ गया और कहने लगा कि वह आरपीएफ, जीआरपी तथा सीएमआई को हफ्ता देता है, इसलिए उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. संयोग से उसी समय सीएमआई/फतेहपुर एस. के. मीणा किसी अधिकारी के रिश्तेदार को एक अन्य गाड़ी में बैठाने स्टेशन पर आए हुए थे. संबंधित टीटीई ने सीएमआई मीणा को उनके मोबाइल पर कॉल करके बुला लिया. मीणा ने जब उस अवैध वेंडर से पूछताछ की, तो वेंडर ने तपाक से उन्हीं के ऊपर आरोप लगा दिया कि ‘आप भी तो मुझसे अवैध वेंडिंग के लिए हफ्ता लेते हैं’.
प्राप्त जानकारी के अनुसार वेंडर के इस अनर्गल आरोप के बाद बौखलाए सीएमआई मीणा ने उसे गाड़ी से उतार लिया और आरपीएफ को बुलाया. उनके बुलावे पर आरपीएफ का एक सिपाही आया और उसने मीणा से मामले को वहीं खत्म करने को कहा. इस पर मीणा ने कहा कि उन्होंने कभी किसी वेंडर से हप्ता नहीं लिया है, मगर यह वेंडर मेरे ऊपर मेरे सामने ही आरोप लगा रहा है, इसलिए इसके खिलाफ उचित कार्रवाई करने हेतु इसे हिरासत में लेकर कानूनी कार्रवाई की जाए. इस पर सिपाही ने असमर्थता जताते हुए उसे जीआरपी में देने को कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया, जबकि अवैध वेंडर्स का पूरा मामला आरपीएफ के अधिकार क्षेत्र में आता है.
आगे की कहानी यह है कि सीएमआई मीणा जब उक्त अवैध वेंडर को लेकर जीआरपी के पास पहुंचे, तो उसने भी उसे अपने कब्जे में लेने और कार्रवाई करने से इंकार कर दिया. इसके बाद सीएमआई मीणा को पता चला कि उस अवैध वेंडर के संरक्षक जीआरपी और आरपीएफ वाले दोनों ही हैं. यही नहीं, बताते हैं कि ‘आरपीएफ द्वारा इस वेंडर को यह मैसेज भी दिया गया कि वह सीएमआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे, बाकी हम देख लेंगे.’ जब सीएमआई को इसका पता चला कि रेलवे के रक्षक ही भक्षक हैं, तो उसने वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में सूचित करने के साथ ही अपने किसी परिचित आईजी/आईपीएस को फोन किया और मामले को किसी तरह संभाला. इसके बाद स्थिति यह हो गई कि उक्त अवैध वेंडर की तरफदारी में स्थानीय नेता से लेकर सीओ/जीआरपी/फतेहपुर तथा आरपीएफ इंचार्ज भी आ गए और सीएमआई पर समझौता करने का दवाब बनाया.
कानपुर सेंट्रल स्टेशन की घटना : ऐसी ही दूसरी घटना कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर घटी, जहां आरपीएफ की टीम ने चेकिंग स्टाफ के साथ अभद्रता की. बताते हैं कि चलती गाड़ी में चेकिंग के दौरान चार यात्रियों को अनुचित टिकट पर यात्रा करते चेकिंग स्टाफ ने पकड़ा था. कानपुर स्टेशन पर गाड़ी खड़ी होने पर उन्हें प्लेटफार्म पर उतारकर स्टाफ उनकी टिकट बना रहा था कि तभी गाड़ी चल पड़ी. यह देखकर यात्रियों की महिला ने चेन पुलिंग कर दी. इसे देखने के लिए अनाउंसमेंट हुआ और आरपीएफ वाले वहां पहुंचे तथा पूरे मामले को समझे बिना टिकट बना रहे चेकिंग स्टाफ को ही पकड़ लाए. इस पर चेकिंग स्टाफ और आरपीएफ में काफी गर्मागर्मी हो गई.
यह मामला इतना बढ़ गया कि चेकिंग स्टाफ, आरपीएफ वालों के खिलाफ जीआरपी में शिकायत करने पहुंच गया. इस पर आरपीएफ वालों ने चेकिंग स्टाफ को ‘देख लेने’ की धमकी दे डाली. हालांकि काफी देर बाद आरपीएफ स्टाफ द्वारा चेकिंग स्टाफ से माफी मांगने पर मामला को रफादफा कर दिया गया. बताते हैं कि इस सारे घटनाक्रम की जानकारी होने पर भी कानपुर सेंट्रल स्टेशन के तथाकथित स्टेशन डायरेक्टर महोदय चैन की बंसी बजा रहे थे. सुनने में तो ये भी आया है कि आरपीएफ प्रभारी द्वारा चेकिंग स्टाफ से कहा गया कि ‘यार तुम भी रेलवे के लिए काम कर रहे हो और हम भी, तो आपस में लड़ने से क्या फायदा!’ इस दरम्यान बताते हैं कि सीआईटी/स्टेशन भी मामले को रफादफा कराने में लगे हुए थे.
उपरोक्त तमाम परिदृश्य के मद्देनजर इस बात का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है कि दिखावेबाजी, जुमलेबाजी और झूठे प्रचार के चलते भारतीय रेल आजकल किस दिशा में अग्रसर है.