जीएम/कोर की रिपोर्टिंग मिलते ही मेंबर ट्रैक्शन हुए सक्रिय

कोर की वेबसाइट पर अपलोड हो चुके सभी टेंडर रद्द करने का मुंहजबानी आदेश

जेवी क्वालिफिकेशन बढ़ाने हेतु बड़ी कंपनियों के साथ मेंबर ट्रैक्शन की सांठ-गांठ?

छोटे कॉन्ट्रैक्टर्स को खत्म करके बड़ी कंपनियों के लिए जेवी क्वालिफिकेशन बढ़ाने की तैयारी

सुरेश त्रिपाठी

रेलमंत्री पीयूष गोयल और सीआरबी अश्वनी लोहानी ने 12 सितंबर को सेंटर फॉर रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन (कोर) सहित सभी उत्पादन इकाईयों के महाप्रबंधकों को अलग-अलग बोर्ड मेंबर्स को रिपोर्ट करने के काम का बंटवारा किया है. इसके तहत कोर, इलाहाबाद के महाप्रबंधक को अब मेंबर ट्रैक्शन (एमटीआर) के मातहत किया गया है, जिससे अब महाप्रबंधक/कोर सीआरबी के बजाय एमटीआर को रिपोर्ट करेंगे. मंगलवार, 12 सितंबर को यह कार्य आवंटन हुआ है और उसी दिन इसका ऑर्डर रेलवे बोर्ड से जारी किया गया है. इसके तुरंत बाद एमटीआर अपनी तिकड़म भिड़ाने में लग गए और उन्होंने अगले ही दिन बुधवार, 13 सितंबर को कथित तौर पर एक मुंहजबानी आदेश जीएम/कोर को दिया कि कोर की वेबसाइट पर अपलोड हो चुके सभी ‘ग्रुप टेंडर्स’ को फौरन रद्द कर दिया जाए. ‘रेलवे समाचार’ को यह जानकारी अपने विश्वसनीय सूत्रों से मिली है.

रेलवे बोर्ड के विश्वसनीय सूत्रों ने ‘रेलवे समाचार’ को बताया कि आगामी 1 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक खुलने वाले कोर के यह सभी ग्रुप टेंडर उपरोक्त कार्य आवंटन आदेश जारी होने से पहले ही कोर की वेबसाइट पर 21 दिन पहले नियमानुसार अपलोड किए जा चुके हैं. सूत्रों का कहना है कि अब तक जीएम/कोर की रिपोर्टिंग सीधे सीआरबी को हो रही थी. अब यह एमटीआर को सौंप दी गई है. इससे पहले वह ऐसा कोई आदेश जीएम/कोर को इसलिए नहीं दे पाए थे, क्योंकि तब जीएम/कोर उनके मातहत नहीं थे. परंतु जैसे ही मंगलवार, 12 सितंबर को जीएम/कोर को एमटीआर के मातहत किया गया, उन्होंने कोर की वेबसाइट पर पहले से ही अपलोड हो चुके उक्त सभी ग्रुप टेंडर्स को रद्द करने का आदेश जीएम/कोर को दिया है.

सूत्रों का यह भी कहना है कि हालांकि रेलमंत्री ने बोर्ड के सभी मेंबर्स सहित रेलवे के सभी कदाचारी अधिकारियों को संदेश देते हुए कहा है कि यदि उनके ऐसे कोई गलत कार्य चल रहे हैं, तो वह वीआरएस लेकर चले जाएं. सूत्रों ने कहा कि रेलमंत्री का इशारा सीधे एमटीआर की ही तरफ था. तथापि वह अपनी गलत हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. जबकि पूरी भारतीय रेल को उनकी गलत गतिविधियों के बारे में मालूम है. इसके अलावा केंद्रीय अस्पताल, उत्तर रेलवे के दो मामलों में अभी भी सीबीआई की जांच उनके विरुद्ध जारी है. इसके बावजूद उनके साथ उक्त मामले में लिप्त रहे अपने एक चहेते अधिकारी को वह भुवनेश्वर से दिल्ली लाने की जुगाड़ में लगे हुए हैं, जबकि मध्य रेलवे के एक अधिकारी को उन्होंने गत शनिवार को कथित सीवीसी एडवाइस के बहाने दक्षिण रेलवे, चेन्नई के लिए जबरन रिलीव करा दिया है.

जीएम/कोर का पक्ष जानने के लिए ‘रेलवे समाचार’ द्वारा कई बार उनके मोबाइल पर कॉल की गई, परंतु उनका रिस्पांस नहीं मिला. अतः एमटीआर के उक्त कथित मुंहजबानी आदेश की पुष्टि नहीं हो सकी है. हालांकि यह भी सही है कि यदि रिस्पांस मिलता भी तो उनका यही जवाब होता कि उन्हें एमटीआर का ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है. तथापि सूत्रों का कहना है कि अगले दो-एक दिन में यदि कोर की वेबसाइट से उक्त ग्रुप टेंडर्स हटाए जाते हैं, तो एमटीआर के कथित मुंहजबानी आदेश की पुष्टि स्वयं ही हो जाएगी. ‘रेलवे समाचार’ को कोर की वेबसाइट पर अपलोड हो चुके उक्त ग्रुप टेंडर्स को रद्द किए जाने और इनकी जेवी क्वालिफिकेशन बढ़ाने के बारे में एमटीआर द्वारा दिए गए कथित मुंहजबानी आदेश के संबंध में विस्तृत जानकारी का इंतजार है. क्रमशः