रेलयात्रियों की संपूर्ण सुरक्षा का अधिकार आरपीएफ को दिया जाए -एस.आर.रेड्डी
ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन, मध्य रेलवे की जोनल कार्यकारिणी बैठक संपन्न
शेख सत्तार, प्रतिनिधि, भुसावल
भारतीय रेल में रेल संपत्ति और रेलयात्रियों की सुरक्षा के लिए रातों-दिन काम करने वाले रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को आईपीसी का संपूर्ण अधिकार दिया जाना चाहिए. यह मांग यहां ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन, मध्य रेलवे की जोनल कार्यकारिणी की बैठक में एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मध्य रेलवे के महामंत्री एस. आर. रेड्डी ने उपस्थित आरपीएफ कर्मियों को संबोधित करते हुए की है. मध्य रेलवे की जोनल कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक 2-3 मार्च को भुसावल मंडल के कृष्णचन्द्र सभागृह में संपन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता एसोसिएशन के उपाध्यक्ष संजय गांगुर्डे ने की. एसोसिएशन के अध्यक्ष सी. एस. बिष्ट गंभीर अस्वस्थता के कारण बैठक में उपस्थित नहीं हो सके.
इस अवसर पर एसोसिएशन के कार्याध्यक्ष धरमवीर सिंह बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे. इसके अलावा एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव एवं सोलापुर मंडल के मंडल सचिव राजेश मिश्रा, सोलापुर मंडल के अध्यक्ष विक्रम सिंह चाहर, भुसावल मंडल के अध्यक्ष आईपीएफ विनोद कुमार लांजीवार, मंडल सचिव रोशन सिंह, नासिक प्रशिक्षण केंद्र के अध्यक्ष वी. के. निखाड़े, नागपुर मंडल के मंडल सचिव गिरीश तिवारी, पुणे मंडल के मंडल सचिव आर. एन. मिश्रा, मुंबई मंडल अध्यक्ष एच. एन. सिंह, सीताराम पड़ोलिया, आईपीएफ गोकुल सोनोने, रोशन खान, दिलीप बाठी, समाधान वाहुलकर, के. बी. सिंह इत्यादी सहित लगभग सभी मंडलों के पदाधिकारीगण उपस्थित थे.
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रेड्डी ने कहा कि अनुशासन में रहते हुए सभी आरपीएफ कर्मियों की एकजुटता अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि हमें अपनी एकता बनाए रखते हुए संगठन को मजबूत बनाने की जरुरत है, क्योंकि बिना सदस्यों की एकता के कोई भी संगठन मजबूत नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि आरपीएफ को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन किए जाने का कुचक्र सिर्फ एक अफवाह है, जिसे हमारे ही कुछ साथियों ने फैलाया है. उन्होंने कहा कि संगठन के मजबूत रहते ऐसा कभी नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि रिस्ट्रक्चरिंग की फाइल गृह मंत्रालय को भेजते हुए कहा गया कि आरपीएफ में अधिकारियों की संख्या ज्यादा है. अब ऐसे मूढ़ अधिकारियों को कैसे समझाया जाए कि आरपीएफ को आरपीएफ ऐक्ट, आरपी/यूपी एवं रेलवे ऐक्ट के तहत जांच, छानबीन और कार्यवाही करने का अधिकार मिला हुआ है, ऐसे में इसमें अधिकारियों की संख्या अन्य केंद्रीय अर्ध-सैनिक बलों, जिन्हें ऐसा कोई अधिकार प्राप्त नहीं है, की अपेक्षा अधिक ही रहेगी.
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन अपने सदस्यों की प्रत्येक परेशानी में उनके साथ है. उनका कहना था कि एसोसिएशन का संघर्ष अधिकार प्राप्ति और आरपीएफ कर्मियों की कार्य-दशाओं में सुधार करवाने एवं उनका अनावश्यक उत्पीड़न रोकने के लिए है. इसके पीछे एसोसिएशन का कोई अन्य स्वार्थ नहीं है. उन्होंने कहा कि पकड़े गए अपराधियों को सुपुर्द करने के लिए 12-14 घंटे की ड्यूटी करने के बावजूद आरपीएफ कर्मियों को जीआरपी के सामने घंटों खड़ा रहना पड़ता है, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरफ आरपीएफ के अधिकारियों द्वारा कोई ध्यान न देकर मामूली गलती पर भी आरपीएफ कर्मियों को कड़ा दंड दिया जा रहा है, एसोसिएशन को यह कतई मान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके पर्याय स्वरूप रेलवे में एक ही सुरक्षा व्यवस्था होना अत्यंत जरुरी है, जिसके लिए एसोसिएशन के राष्ट्रीय महामंत्री यू. एस. झा वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं.
श्री रेड्डी ने कहा कि जिस प्रकार आरपीएफ अधिकारियों को उनकी पदोन्नति के लिए किसी प्रकार की परीक्षा नहीं देनी पडती है, उसी प्रकार आरपीएफ कर्मियों को भी पदोन्नति के लिए किसी तरह की परीक्षा देने की जरुरत नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महामंत्री यू. एस. झा के वर्षों के कड़े संघर्ष की बदौलत आरपीएफ को कई अधिकार प्राप्त हुए हैं. इसमें आरपीएफ अधिकारियों का कोई योगदान नहीं रहा. उनका कहना था कि न्याय और अधिकार पाने के लिए सतत संघर्ष की आवश्यकता होती है, जो कि आरपीएफ कर्मियों के हित के लिए श्री झा लगातार कर रहे हैं, हमें एकजुट होकर उनका साथ देने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान होने में समय लगता है, इसके लिए हमें धैर्य रखना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि तमाम समस्याओं के बावजूद रिस्ट्रक्चरिंग का लाभ आरपीएफ कर्मियों को बहुत जल्दी मिल जाएगा. मगर हमें भी अपनी सदस्यता शत-प्रतिशत सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कार्य के दौरान आने वाली समस्याओं के निदान हेतु संगठन ही सामने आता है. इसके लिए संगठन के सभी पदाधिकारियों को अपना कुछ समय संगठन को भी देना चाहिए, सिर्फ पद लेकर बैठ जाने से काम नहीं चलेगा. उनका कहना था कि जीआरपी को रेलवे से 50 प्रतिशत वेतन दिया जाता है, तथापि वह किसी भी रेल अधिकारी को उचित मान-सम्मान नहीं देते हैं, क्योंकि उन पर रेलवे का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि बिना उत्तरदायित्व के किसी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं होता है. जीआरपी पर रेलवे की किसी भी क्षतिपूर्ति का उत्तरदायित्व नहीं है, इसीलिए वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करती है.
इस अवसर पर एसोसिएशन के कार्याध्यक्ष धरमवीर सिंह ने उपस्थित पदाधिकारियों का सत्संगपूर्ण मार्गदर्शन किया. उन्होंने उपस्थित पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वह आपसी सहयोग बढ़ाने के साथ ही अपने सहकर्मियों की परेशानी का भी हिस्सा बनें. इसके अलावा आपसी मेल-जोल सहित एक-दूसरे के साथ संवाद बनाएं. इससे न सिर्फ आपसी भाईचारा बढ़ेगा, बल्कि हमारी एकजुटता और एकता में भी वृद्धि होगी, जिससे संगठन भी मजबूत होगा. उन्होंने भी शत-प्रतिशत सदस्यता सुनिश्चित करने सहित नए कर्मियों को भी संगठन के साथ जोड़ने की बात पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि जो भी पदाधिकारी संगठन को समय नहीं दे रहा है, उसे पद छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि संगठन का पदाधिकारी बनकर उन्हें यह नहीं भूल जाना चाहिए कि यह एक वर्दीधारी सुरक्षा बल का संगठन है, जहां अनुशासन की सबसे बड़ी जरुरत है. उनका कहना था कि हमें अपनी मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए और इसके दायरे में रहकर ही संभाषण करने सहित किसी भी अधिकारी के बारे में किसी प्रकार का अनर्गल प्रलाप करने से बचना चाहिए.
इसके बाद सभी मंडल पदाधिकारियों ने अपने-अपने मंडलों में एसोसिएशन की स्थिति और प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्य-व्यवहार पर अपनी बात रखी. लगभग सभी पदाधिकारियों ने एस्कार्टिंग ड्यूटी की परेशानियों सहित 8 घंटे से ज्यादा ड्यूटी लिए जाने, समय पर और जरुरत के अनुसार आईपीएफ द्वारा छुट्टी नहीं दिए जाने, जीआरपी द्वारा एफआईआर न लिखे जाने और चेन पुलिंग होने पर वरिष्ठ आरपीएफ अधिकारियों द्वारा स्टाफ के विरुद्ध अनावश्यक कार्रवाई किए जाने की शिकायत की और राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्याध्यक्ष का ध्यान इस तरफ आकर्षित करते हुए इसका स्थाई समाधान कराए जाने की बात कही.