मेंबर ट्रैक्शन, रेलवे बोर्ड बनने के लिए जारी है घनश्याम सिंह की लॉबिंग
सतीश मांडवकर के कोर्ट केस और शिकायतों पर सीबीआई और सीवीसी सक्रिय
आरटीआई में जानकारी नहीं दे रहा रेलवे बोर्ड, रेल मंत्रालय की पारदर्शिता संदिग्ध
जानकारी नहीं देकर घनश्याम सिंह का फेवर कर रहा है रेलवे बोर्ड और विजिलेंस?
सुरेश त्रिपाठी
वर्तमान मेंबर ट्रैक्शन, रेलवे बोर्ड ए. के. कपूर 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उनकी जगह लेने वाले अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया रेलवे बोर्ड में शुरू हो चुकी है. इसके लिए आईआरएसईई कैडर के तीन वरिष्ठ अधिकारी दावेदार हैं. इनमें से सबसे पहला और सबसे विवादस्पद नाम पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक घनश्याम सिंह का है. उनके बाद दूसरे और तीसरे नंबर पर क्रमशः महाप्रबंधक, मेट्रो रेलवे, कोलकाता एवं कार्यकारी महाप्रबंधक/उ.म.रे. मूलचंद चौहान और महाप्रबंधक/म.रे. डी. के. शर्मा का नाम है. जानकारों का मानना है कि घनश्याम सिंह न सिर्फ सबसे ज्यादा विवादस्पद हैं, बल्कि सबसे ज्यादा काईयां और भ्रष्ट भी हैं. जबकि मूलचंद चौहान और डी. के. शर्मा के नाम पर अब तक ऐसी कोई बात सुनने को नहीं मिली है. यह दोनों वरिष्ठ अधिकारी लो-प्रोफाइल में रहकर काम करने के लिए जाने जाते रहे हैं.
रेलवे बोर्ड के विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेलवे समाचार’ को मिली जानकारी के अनुसार मेंबर ट्रैक्शन की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सूत्रों ने बताया कि आजकल घनश्याम सिंह को अक्सर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों और रेलवे बोर्ड में लगातार चक्कर लगाते देखा जा रहा है. इसी के परिणामस्वरूप उनके सबसे पहले दावेदार होने की खबर आ चुकी है. परंतु सूत्रों का यह भी कहना है कि सीबीआई और सीवीसी की सक्रियता को देखते हुए घनश्याम सिंह को इस बार विजिलेंस क्लियरेंस मिलना बहुत कठिन होने वाला है.
उल्लेखनीय है कि मुंबई के एक रेलवे कांट्रेक्टर सतीश मांडवकर ने घनश्याम सिंह की महाप्रबंधक पद पर नियुक्ति को पिछले दिनों दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने रेल मंत्रालय सहित सीवीसी को भी पार्टी बनाया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने उक्त याचिका को ‘प्रीमैच्योर’ मानते हुए फिलहाल निस्तारित कर दिया. वादी सतीश मांडवकर ने उक्त याचिका में कहा था कि प्रतिवादी घनश्याम सिंह को बिना विधिवत जांच किए ही पूर्व रेलवे का महाप्रबंधक बना दिया गया, जबकि उनके विरुद्ध कई अनुशासनिक कार्रवाईयां और अपराधिक शिकायतें पेंडिंग थीं. मांडवकर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रवि सीकरी और कुलदीप श्रीवास्तव ने अदालत के समक्ष दलील देते हुए कहा कि वादी ने रेल मंत्रालय और सीवीसी को घनश्याम सिंह के भ्रष्टाचार के विरुद्ध कई लिखित शिकायतें भेजीं, परंतु प्रतिवादी रेल मंत्रालय और सीवीसी ने आज तक उक्त शिकायतों के संबंध में कोई कारगर कदम नहीं उठाया.
उच्च अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद पूरे मामले का अवलोकन करते हुए 13 जनवरी, 2016 को अपने निर्णय में कहा था कि ‘चूंकि वादी (सतीश मांडवकर) की घनश्याम सिंह के भ्रष्टाचार के संबंध में पहली शिकायत 25 मई, 2016 और अंतिम शिकायत 16 दिसंबर, 2016 पर प्रतिवादी (घनश्याम सिंह) के विरुद्ध जांच चल रही है. अतः अदालत इस याचिका को ‘प्रीमैच्योर’ मानते हुए फिलहाल निस्तारित करती है.’ विदित हो कि पूर्व में घनश्याम सिंह के भ्रष्टाचार के विरुद्ध सांसद अनंत गिते ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु को और दो अन्य सांसदों ने भी प्रधानमंत्री एवं रेलमंत्री को पत्र लिखा था. इस याचिका के संदर्भ से सीवीसी अब काफी अलर्ट हो गया है और उसने घनश्याम सिंह के विरुद्ध सतीश मांडवकर की शिकायतों के साथ ही अन्य तमाम शिकायतों पर अपनी जांच तेज कर दी है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार उपरोक्त कोर्ट केस के बाद सीवीसी ने पिछले दिनों कांट्रेक्टर सतीश मांडवकर द्वारा घनश्याम सिंह के विरुद्ध की गई तमाम शिकायतों की जानकारी मांगी है और उनके विरुद्ध जांच को तेज किया है. इसके अलावा यह भी पता चला है कि सीबीआई ने भी जून 2016 में घनश्याम सिंह के विरुद्ध की गई शिकायत के संदर्भ में सतीश मांडवकर को तमाम रिकॉर्ड के साथ बुलाया है. इससे जाहिर होता है कि अंदर खाने बहुत गंभीरतापूर्वक जांच चल रही है. जानकारों का मानना है कि सीबीआई और सीवीसी जैसी प्रतिष्टित जांच एजेंसियों पर यदि कोई बहुत बड़ा राजनीतिक दबाव नहीं आता है, तो घनश्याम सिंह को विजिलेंस क्लियरेंस मिलना बहुत मुश्किल होगा.
इसके अलावा घनश्याम सिंह के विरुद्ध सितंबर 2016 में आरटीआई (आवेदन सं. MORLY/R/2016/60001 एवं 2016/60019) के अंतर्गत मांगी गई जानकारी आज लगभग छह महीनों बाद भी मुहैया नहीं कराई गई है. इस मामले में नोडल अधिकारी रजनीश कुमार ने पहले तो यह कहा कि जानकारी जल्दी ही उपलब्ध करा दी जाएगी. उसके बाद उन्होंने कहा कि अब उनकी जगह कोई महिला नोडल अधिकारी हो गई हैं. उक्त महिला अधिकारी ने एक बार के बाद फिर कभी फोन नहीं उठाया. तथापि, आरटीआई सेल, रेलवे बोर्ड से हमेशा यही आश्वासन मिलता रहा कि जल्दी ही जानकारी मुहैया करा दी जाएगी. इसके बाद इस मामले में पहली अपील (सं. MORLY/A/2016/61830) भी 8 दिसंबर 2016 को फाइल की गई. अपीलेट अधिकारी ईडी/वी/इले/एसएंडटी आर. के. राय हैं, जो कि घोषित तौर पर घनश्याम सिंह के हमेशा हस्तक रहे हैं और उन्हें उनके विरुद्ध होने वाली तमाम शिकायतों की न सिर्फ जानकारी देते रहे हैं, बल्कि उन्हें दबाते भी रहे हैं. ऐसे में वह आरटीआई की जानकारी भला क्यों देंगे?
रेलवे बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलवे बोर्ड विजिलेंस ने घनश्याम सिंह के विरुद्ध आई तमाम शिकायतों पर सितंबर 2016 में ही लगभग 80 पेज की एक समरी रिपोर्ट बनाकर उन्हें भ्रष्टाचार के तमाम मामलों में क्लीन चिट दे दी थी. आरटीआई आवेदन में उक्त रिपोर्ट भी मांगी गई थी. यदि रेलवे बोर्ड पारदर्शितापूर्ण तरीके से काम करता और समय से आरटीआई में मांगी जानकारी मुहैया करा देता, तो शायद वह अब तक घनश्याम सिंह को बचाने में सफल नहीं हुआ होता. ऐसे में एक तरफ उसे घनश्याम सिंह को महाप्रबंधक पद से हटाना पड़ता, तो दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड की भारी किरकिरी भी हुई होती. आरटीआई के अंतर्गत रेलवे बोर्ड को भेजे गए आवेदन में मांगी जानकारी निम्नवत है..
1. Complete Copy of CBI/ACB Letter Dated 17.09.2014, having numbered 4628TC/30/2014/ACU-VIII.
2. Railway Board letter dated 11.08.2014 which is related with connivance of Railway officials with private persons to undue favors regarding T. No. 17-Elect/Dy. CEE/C/T/34 and T. No. 17-Elect/Dy. CEE/C/T/47.
3. Copy of Complaint made by Anushka JV in respect of agreement no 17-Elect/Dy.CEE/C/T/34 dated 09.03.2010.
4. Complaint of Sri Mayank Gupta forwarded by CBI/ACB/New Delhi vide letter dated 08.10.2013.
5. Coplaint forwarded by Railway Board vide letter dated 09.05.2014, which was made by Sri Ashok Paswan, Advocate.
6. Complaint dated 05.06.2014 made by One Sri Sunil Kumar, Chairman, Bharat Bhrashtachar Mitao Party.
7. Copy of Charge sheet/Action taken by the department against Sri Mehtab Singh, the then CEE/C/TKJ, Sri A. K. Lohati the then CE/C/Const/TC Member, Dr Sumitra Varun, the then FA & CAO/C/G/TC Mmeber, Sri R. K. Atoliya the then CEE/C/TKJ, Sri Rajesh Singh the then Dy. CEE/C/CSB, Sri R. K. Grover the then Sr.AFA/C/Kgate, Sri N. K. Sachdev the then AEE/C/CSB, Sri R. A. Meena the then AEE/C/CSB, Sri CPS Tomar the then SSE/C/CSB, Sri Hari kishan Gupta the then Sr.Clerk/CSB, Sri Vijay Kumar the then SSO/C/X-11, Sri Anil Saxena account assistant.
8. Copy of Railway Board letter dated 04.01.2016, 19.02.2016, 07.03.2016 and 11.05.2016 regarding advised to take back the files seized by the CBI in September 2014.
9. Copy of the seizer memo given by CBI dated 27.05.2016.
10. Income declaration certificate/form submits by Ghanshyam Singh to the department since 2011-12 to 2015-16.
11. Declaration/Information of assets (Movable & Immovable) of family members of Ghanshyam Singh to the department since 2011-12 to 2015-16.
12. Copy of VRS letter and acceptance of VRS of Supervisor namely Sri R. K. Singh the brother of Ghanshyam Singh.
13. List of awarded tenders to the firm namely ‘Jai Mata Di Construction Company’ under the proprietorships of Sri R K Singh.
14. Copies of Promotion/Posting orders and Vigilance Clearances of Sri Ghanshyam Singh since 2010 to 2016.
15. Copies of departmental enquiries initiated against Sri Ghanshyam Singh (Now GM, Eastern Railway) since 2010 to 2016.
16. Copy of Enquiry Report made to CVC having number 17221/2015/Vigilance dated 15.08.2015.
उपरोक्त तमाम तथ्यों की जांच अब सीबीआई और सीवीसी दोनों जांच एजेंसियों द्वारा की जा रही है. इसके बावजूद यदि घनश्याम सिंह मेंबर ट्रैक्शन बनने में कामयाब हो जाते हैं, तो यही माना जाएगा कि वर्तमान रेल प्रबंधन को ईमानदार नहीं, बल्कि कदाचारी अधिकारी ही पसंद हैं? इसके साथ ही सतीश मांडवकर का स्पष्ट कहना है कि इतने के बावजूद यदि रेल प्रशासन द्वारा घनश्याम सिंह को मेंबर ट्रैक्शन बनाया जाता है, तो न्याय के लिए उनके सामने उच्च अदालत के दरवाजे अभी-भी खुले हुए हैं, वह उनकी नियुक्ति को अदालत में अवश्य चुनौती देंगे.