जगराओं पुल का एस्टीमेट बढ़ाकर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने तैयारी

एस्टीमेट बढ़ने से लुधियाना नगर निगम को लगेगी करोड़ों की चपत

ठेकेदारों का मुनाफा बढ़ने के साथ ही बढ़ेगा शीर्ष अधिकारियों का कमीशन

अमित जेटली, ब्यूरो प्रमुख, पंजाब

पंजाब के लुधियाना शहर के बीचो-बीच बने जगराओं पुल (रोड ओवर ब्रिज – आरओबी) के पुनर्निर्माण की आड़ में उत्तर रेलवे, फिरोजपुर मंडल के शीर्ष अधिकारी लुधियाना नगर निगम (पंजाब सरकार) और रेलवे को करोड़ों की चपत लगाने की तैयारी में हैं. इस पुल के पुनर्निर्माण का सारा खर्च राज्य सरकार उठा कर रही है. रेलवे द्वारा पुल का डिजाइन एवं एस्टीमेट तैयार करके उसे फंड की मंजूरी के लिए लुधियाना नगर निगम को भेजा गया है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक जगराओं आरओबी के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू करवाने के लिए एस्टीमेट (अनुमानित लागत) के अनुसार लुधियाना नगर निगम से फिरोजपुर मंडल द्वारा 24.30 करोड़ रुपए मांगे गए हैं, जबकि आज से करीब 9 महीने पहले इस कार्य के लिए 7 करोड़ और फिर 11.50 करोड़ रुपए का एस्टीमेट दिया गया था.

लुधियाना शहर की लाइफलाइन के नाम से जाने जाने वाले 128 साल पुराने इस पुल के एंगल गलने की वजह से मई 2016 में पुल को एक साइड से बंद कर दिया गया था. इसके बाद पुल के जर्जर हिस्से के पुनर्निर्माण के लिए फिरोजपुर मंडल के शीर्ष अधिकारियों और लुधियाना नगर निगम के बीच पत्राचार और बैठकों का दौर शुरू हुआ. रेलवे की ओर से पुल के पुनर्निर्माण पर पहले 7 करोड़ का खर्च आने के दावे किए जाते रहे, मगर बाद में नगर निगम को 11.50 करोड़ का एस्टीमेट भेजा गया.

प्राप्त जानकारी के अनुसार लुधियाना नगर निगम ने शहर की ट्रैफिक समस्या के चलते ओवर-एस्टीमेट की आशंका और फंड की कमी को भुलाकर 11.50 करोड़ के एस्टीमेट को स्वीकार कर लिया, मगर नए डिजाइन में बढ़ते ट्रैफिक लोड के मुताबिक पुल की चौड़ाई न बढ़ाए जाने की वजह से नगर निगम की तरफ से पुल को चौड़ा करने की मांग की गई. इसके बाद फिरोजुपर मंडल के शीर्ष अधिकारियों ने चौड़ाई बढ़ाने की आड़ में एक बार फिर से एस्टीमेट बढ़ाने का खेल शुरू किया और ठेकेदारों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाकर अपना कमीशन बढ़ाने के लिए इसे कुछ ही महीनों के भीतर बढ़ाकर 24.30 करोड़ तक पहुंचा दिया. इसके लिए रेलवे इंजीनियरिंग एवं ब्रिज डिपार्टमेंट की भी पूरी मदद ली गई.

हालांकि रेलवे की तरफ से एस्टीमेट बढ़ने के पीछे बढ़ती महंगाई और पुल की चौड़ाई बढ़ाने को मुख्य वजह बताया गया. फिरोजपुर मंडल के शीर्ष अधिकारियों ने तर्क दिया कि पुल की चौड़ाई को 7.5 मीटर से बढ़ाकर 10.5 मीटर किया गया है और नगर निगम को भेजा गया नया एस्टीमेट 10.5 मीटर की चौड़ाई के हिसाब से बनाया गया है, मगर उनके दोनों ही तर्क 24.30 करोड़ रुपए के इस भारी-भरकम एस्टीमेट के आगे छोटे नजर आ रहे हैं.

यदि मंहगाई के नजरिए से देखा जाए, तो भी पिछले 9 महीनों में सीमेंट, सरिया, रेत, बजरी और बाकी अन्य बिल्डिंग मटीरियल के दाम बढ़ने के बजाय उनमें अच्छी-खासी गिरावट आई है तथा पुल की चौड़ाई को 7.5 मीटर से बढ़ाकर 10.5 मीटर करने पर भी एस्टीमेट में डेढ़ गुना से कम का इजाफा होना चाहिए था. जबकि फिरोजपुर मंडल के शीर्ष अधिकारियों ने ज्यादा रिजर्व प्राइस के साथ टेंडर तैयार कर रेलवे ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने और अपना कमीशन बढ़ाने के उद्देश्य से एस्टीमेट में एक बार फिर से भारी भरकम बढ़ोत्तरी की है और राज्य सरकार को करोड़ों की चपत लगाने के चक्कर में इसकी लागत को दो गुना से भी ज्यादा बढ़ा दिया है.

रेलवे के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार एस्टीमेट बढ़वाने के इस खेल में फिरोजपुर मंडल के शीर्ष अधिकारी सहित मंडल के इंजीनियरिंग विभाग के कई अधिकारियों ने इस खेल में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो कि अब पुल के पुनर्निर्माण की आड़ में करोड़ों के वारे-न्यारे करने के लिए निगम से फंड जारी होने का इंतजार कर रहे हैं.