दक्षिण रेलवे मजदूर यूनियन के भ्रष्टाचार और अनुचित कार्य-व्यवहार की जांच
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा अग्रसारित शिकायत पर मजबूर हुआ रेल प्रशासन
वर्तमान एसडीजीएम के रहते यूनियन के विरुद्ध जांच प्रभावित होने की आशंका
चेन्नई : दक्षिण रेलवे प्रशासन ने दक्षिण रेलवे मजदूर यूनियन (एसआरएमयू) के कथित भ्रष्टाचार एवं अनुचित प्रभाव और इसके जोनल महामंत्री एन. कन्हैया को विगत में मिली अनावश्यक सहूलियतों के विरुद्ध जांच शुरू कर दी है. यह जांच दिल्ली के एक पत्रकार गोपी द्वारा 12 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा को 9 मुद्दों को लेकर लिखी गई शिकायत को रेलवे बोर्ड द्वारा दक्षिण रेलवे को अग्रसारित किए जाने के बाद शुरू हुई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार एसआरएमयू और उससे संबद्ध फेडरेशन के दबाव में रेलवे बोर्ड इस शिकायत को पिछले पांच महीनों से दबाए बैठा था. पत्रकार गोपी द्वारा फॉलो-अप किए जाने के बाद रेलवे बोर्ड ने यह शिकायत हाल ही में दक्षिण रेलवे को जांच करके रिपोर्ट देने हेतु भेजी है.
पता चला है कि विजिलेंस विभाग ने सीवीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार उक्त शिकायत संबंधित विभागों को भेजकर उनसे रिपोर्ट मांगी है. परंतु सूत्रों का कहना है कि वर्तमान एसडीजीएम/द.रे. द्वारा शिकायत की जांच में देरी किए जाने की यह उनकी एक युक्ति है, क्योंकि ऐसी शिकायतों पर विभागों से रिपोर्ट मांगे जाने का सीवीसी के दिशा-निर्देशों में ऐसा कोई कड़ा निर्देश नहीं है. यह जांच खुद विजिलेंस को करके उसकी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड विजिलेंस को भेजनी है. बताते हैं कि वर्तमान एसडीजीएम का रिटायरमेंट 30 अप्रैल 2017 को है, इसीलिए वह अपनी सेवानिवृत्ति तक यूनियन की गुडबुक में बने रहने के लिए जांच को तब तक लटकाए रखना चाहते हैं.
बताते हैं कि इसके लिए एसडीजीएम ने पहले अपने मातहतों को पत्रकार गोपी से उक्त शिकायत उनके द्वारा ही किए जाने की पुष्टि किए जाने को कहा. इस पर जब कई बार गोपी को फोन करके और पत्र लिखकर शिकायत की पुष्टि करने को कहा गया, तो वह संबंधित विजिलेंस वालों पर भड़क गए और कहा कि जब उन्होंने कई बार अपनी शिकायत की पुष्टि कर दी है, तो बार-बार उन्हें क्यों परेशान किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि क्या प्रधानमंत्री कार्यालय से अग्रसारित शिकायत के गलत होने की कोई आशंका विजिलेंस को हो सकती है? इस तरह एसडीजीएम द्वारा करीब एक महीने तक उक्त शिकायत को यूं ही भटकाया जा रहा था. अंततः उन्होंने सभी संबंधित विभागों को उक्त शिकायत से संबंधित रिपोर्ट दिए जाने का हथकंडा अपनाया.
स्थानीय अखबारों में छपी खबर के अनुसार एसआरएमयू के महामंत्री एन. कन्हैया उर्फ ‘पार्सल पोर्टर’ के एक प्रवक्ता ने कहा कि यूनियन अथवा इसके किसी पदाधिकारी विशेष के विरुद्ध ऐसी कोई विजिलेंस जांच की जा रही है, इस बारे में यूनियन को कोई जानकारी नहीं है. इस पर कई कर्मचारियों को कहना है कि एक यूनियन का मामूली महामंत्री भी अब राजनीतिक पार्टियों की तरह अपना प्रवक्ता और किसी सेलेब्रिटी की तरह अपने आगे-पीछे कई-कई बाउंसर रखने लगा है. ऐसे में मीडिया को अपना बयान खुद देने में उसको शर्म महसूस होती है?
गोपी की शिकायत में यूनियन के विरुद्ध जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें यूनियन के पदाधिकारियों द्वारा उनका निर्धारित कोई काम नहीं किया जाना, कार्यालय नहीं आना, गैर-कानूनी रूप से रेलवे संपत्ति पर कब्जा करना, यूनियन की गैर-जरुरी मांगों को न मानने वाले अधिकारियों के साथ मारपीट, गाली-गलौज और उन्हें परेशान किया जाना इत्यादि हैं. इसके अलावा शिकायत में एसआरएमयू के खुले भ्रष्टाचार का भी उल्लेख किया गया है. उल्लेखनीय है कि यूनियन के नाम पर कथित असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला और दक्षिण रेलवे के ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लिए दहशत का पर्याय बन गया एन. कन्हैया ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) का कार्याध्यक्ष भी है, जो कि एक रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी है.
शिकायत में यह भी कहा गया है कि यूनियन के अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल करके लगभग 40 प्रतिशत कर्मचारी न तो रेलवे का अपना निर्धारित काम करते हैं, और न ही कार्यालय आते हैं. शिकायत में यूनियन पर रेलवे संपत्ति पर गैर-कानूनी कब्जा करने सहित उसको भाड़े पर दिए जाने का भी आरोप लगाया गया है. इसके अलावा एसआरएमयू द्वारा अधिकांश इमरजेंसी कोटा (ईक्यू) वितरित किए जाने का भी आरोप है, जिसके बारे में एक चीफ रिजर्वेशन इंस्पेक्टर (सीआरआई) ने लिखित मामला दर्ज कराया था.
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है किएसआरएमयू का महामंत्री एन. कन्हैया अक्सर दिल्ली और हरियाणा जैसे अन्य कई राज्यों के सांसदों से उसके अनावश्यक दबाव को न मानने वाले दक्षिण रेलवे के ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध रेलवे बोर्ड को फर्जी शिकायतें करवाता है और इस तरह से वह ऐसे अधिकारियों का कैरियर ख़राब करता रहा है. शिकायत में कहा गया है कि ऐसे ही एक अधिकारी एवं उसके परिवार को यूनियन पदाधिकारियों द्वारा जान से मार देने और बरबाद कर दिए जाने संबंधी दी गई धमकी से लगभग सभी सतर्कता एजेंसियां अवगत हैं.
शिकायत में यूनियन पर यह भी आरोप लगाया गया है कि यदि किसी अधिकारी ने गलत चीजों को ठीक करने की कोशिश की, या यूनियन की अनुचित मांगों को मानने से इंकार किया, तो यूनियन द्वारा या तो उसकी पिटाई की गई अथवा उसके खिलाफ एट्रोसिटी या छेड़छाड़ के फर्जी आरोप लगाकर उसे फंसाया गया, या फिर दक्षिण रेलवे से बाहर उसका ट्रांसफर करा दिया गया. शिकायत में स्थानीय अधिकारियों द्वारा कन्हैया का फेवर किए जाने का भी आरोप लगाया गया है और कहा गया है कि ऐसे सभी अधिकारियों की पहचान करके उन्हें अविलंब दक्षिण रेलवे से बाहर ट्रांसफर किया जाना चाहिए.
कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनकी पहचान न उजागर किए जाने की शर्त पर कहा कि यदि यूनियन के विरुद्ध ईमानदारी से यह विजिलेंस जांच संपन्न हुई, तो यूनियन की मान्यता छिन जाना निश्चित है. इसके अलावा उसका भ्रष्टाचार भी उजागर होगा और इसके साथ ही उसके पदाधिकारियों तथा यूनियन की शह पर रेलवे का निर्धारित काम न करके मुफ्त का वेतन हड़पने वाले तथाकथित यूनियन कार्यकर्ताओं की पोल भी खुलेगी. उन्होंने कहा कि निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक है कि यूनियन के घोर समर्थक वर्तमान एसडीजीएम, सीपीओ और सीओएम को तुरंत उनके पदों से अन्यत्र ट्रांसफर किया जाना चाहिए.