दक्षिण रेलवे, तिरुचिरापल्ली मंडल में यूनियन लीडर्स को डीआरएम का खुला सपोर्ट?

अधिकारी किंकर्तव्यविमूढ़, प्रशासन की शह पर अंडर ट्रांसफर स्टाफ ऑन लांग सिक लीव

दक्षिण रेलवे पर रेल मंत्रालय का नियंत्रण नहीं, यूनियन के सामने रेल अधिकारी हैं अपंग

तिरुचिरापल्ली : दक्षिण रेलवे में सदर्न रेलवे मजदूर यूनियन (एसआरएमयू) की दादागीरी, माफियागीरी और आतंक का सिलसिला लगातार कायम है. रिटायर्ड यूनियन लीडर तो पहले से ही बेलगाम और निरंकुश हैं, मगर जो वर्किंग यूनियन लीडर्स हैं, वह रिटायर्ड लोगों से भी कई कदम आगे हैं. वह रेलवे का कोई नियम-कानून मानने को तैयार नहीं हैं. इसके अलावा उनके कुछ ‘पालतू’ रेल अधिकारी उनका खुलकर सहयोग कर रहे हैं. तिरुचिरापल्ली मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) उनमें से एक हैं, जो कि अन्य मंडलों को ट्रांसफर किए गए स्टाफ को लंबी सिक लीव पर रखने में खुला सपोर्ट कर रहे हैं. जबकि यह तथाकथित सक्रिय यूनियन लीडर कई कर्मचारियों और अधिकारियों को मारने-पीटने, धमकाने और उनके साथ गाली-गलौज करने में सबसे आगे हैं.

तिरुचिरापल्ली (त्रिची) मंडल स्थित हमारे विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सीनियर डीसीएम के साथ बंद कमरे में बदतमीजी, बदसलूकी और गाली-गलौज करने वाले जिन कर्मचारियों एवं कथित सक्रिय और उद्दंड यूनियन नेताओं का अन्य मंडलों में तबादला किया गया है, वह मंडल प्रमुख के खुले सहयोग से लंबी-लंबी सिक लीव पर रहकर भी सीडब्ल्यूएम कार्यालय, गार्डन रॉक वर्कशॉप और मंडल कार्यालय के समक्ष मीटिंग्स को संबोधित करते हुए यूनियन की तमाम गतिविधियों में खुलेआम भाग ले रहे हैं. तथापि डीआरएम उनके विरुद्ध कोई भी विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. कई कर्मचारियों और अधिकारियों का आरोप है कि चूंकि डीआरएम खुद ही उक्त यूनियन लीडर्स के साथ मिले हुए हैं और उनसे पूरी तरह उपकृत हैं, ऐसे में डीआरएम से किसी उचित कार्रवाई की अपेक्षा नहीं की सकती है. डीआरएम पर यही आरोप विपक्षी यूनियन लीडर्स और कई अन्य कैडर संगठनों के नेताओं ने भी लगाया है.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार त्रिची मंडल में लंबे समय से सिक लीव पर रहने वाले कथित यूनियन लीडर्स और स्टाफ के नाम.. 1. वीराशेखरन, सीटीआई/त्रिची, 2. एफ. एम. ए. जयराज, टीटीआई/विलुपुरम, 3. सी. जयकुमार, टीटीआई/विलुपुरम, 4. ए. पेरियानन, टीटीआई/विलुपुरम, 5. ए. राजा, टीटीआई/विलुपुरम, 6. तमिल माहन, टीटीआई/विलुपुरम, 7. जयचंद्रन, सीटीआई/मायावरम हैं. सूत्रों ने बताया कि इन सभी लोगों ने रेलवे हॉस्पिटल, विलुपुरम, गार्डन रॉक और हेल्थ यूनिट, मायावरम से सिक लीव ले रखी है. चूंकि सीएमएस और डीआरएम का उन्हें खुला सहयोग प्राप्त है, इसलिए उनकी सिक लीव लगातार बढ़ाई जा रही है. सूत्रों का यह भी कहना है कि यूनियन को सहयोग करने के लिए डीआरएम ने चीफ मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट (सीएमएस), गार्डन रॉक हॉस्पिटल डॉ. सुंदरराजन को खास निर्देश दे रखा है, क्योंकि यह सभी लोग ‘अंडर ट्रांसफर’ हैं. उल्लेखनीय है कि 5 अक्टूबर को सीनियर डीसीएम के साथ हुई बदसलूकी में शामिल ट्रैफिक और कमर्शियल के कर्मचारियों को छोड़कर अन्य सभी विभागों के कर्मचारियों का निलंबन संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा डीआरएम के कहने पर वापस ले लिया गया है.

सूत्रों का यह भी कहना है कि गार्डन रॉक हॉस्पिटल की मैट्रन शांति थंगम, जो कि सीनियर डीसीएम के साथ हुई वारदात में भी शामिल थी, की भी उपस्थिति हर धरने-मोर्चे और गेट मीटिंग्स में होती है, उसका भी निलंबन सीएमएस ने वापस ले लिया है. सूत्रों का यह भी कहना है कि गार्डन रॉक हॉस्पिटल की मैट्रन शांति थंगम, जो कि सीनियर डीसीएम के साथ हुई वारदात में भी शामिल थी, की भी उपस्थिति हर धरने-मोर्चे और गेट मीटिंग्स में होती है, उसका भी निलंबन सीएमएस ने वापस ले लिया है. उल्लेखनीय है कि मैट्रन शांति थंगम ने ही उक्त मीटिंग के फोटोग्राफ्स अपने फेसबुक एकाउंट पर डाले हैं. यहां जो फोटो दिए गए हैं, वह भी शांति थंगम की फेसबुक टाइमलाइन से लिए गए हैं, जिनमें सीटीआई वीराशेखरन और अन्य लोग ऑन ड्यूटी मीटिंग में उपस्थित कर्मचारियों को संबोधित करते नजर आ रहे हैं. उनके साथ मैट्रन शांति थंगम भी नजर आ रही है.

सूत्रों का कहना है कि सिक लीव पर होने के बावजूद यह सभी कर्मचारी खुलेआम गेट मीटिंग को संबोधित कर रहे हैं और धरना-मोर्चा करने सहित विरोधियों को धमकाने, मारने-पीटने और गाली-गलौज में भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि 14 अक्टूबर 2016 को बीजी कॉम्प्लेक्स, त्रिची के सामने सुबह 8 बजे से 10 बजे तक चली गेट मीटिंग, जिसमें करीब 35-40 ऑन ड्यूटी स्टाफ ने भी भाग लिया था, को सीटीआई वीराशेखरन ने समोधित किया था और मैट्रन शांति थंगम सहित बाकी सभी उपरोक्त कर्मचारी, जो सिक लीव पर हैं, भी उक्त मीटिंग में उपस्थित थे. सूत्रों का कहना है कि उक्त मीटिंग में भाग लेने से ऑन ड्यूटी स्टाफ को रोकने के लिए इन यूनियन नेताओं ने कुछ ऑफिस सुपरवाइजर्स को धमकाया भी था.

इस संबंध में विपक्षी यूनियन (एसआरईएस) के नेताओं ने डीआरएम को लिखित शिकायत भी की है. परंतु डीआरएम ने आज तक उनकी शिकायत पर कोई संज्ञान नहीं लिया है. एसआरईएस के नेताओं का कहना है कि डीआरएम से जैसी अपेक्षा थी, उन्होंने वैसा ही किया है, क्योंकि यूनियन से लाभ लेने वाला कोई भी अधिकारी उसके खिलाफ नहीं जाएगा, यह सच्चाई दक्षिण रेलवे के लगभग सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को बहुत अच्छी तरह से मालूम है. उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की है कि डीआरएम ने ही सीएमएस को कहकर उपरोक्त लोगों को सिक पर रखवाया हुआ है और वह यूनियन का खुलेआम सपोर्ट कर रहे हैं. इस बात की पुष्टि त्रिची मंडल के कई अधिकारियों ने भी की है.

अंडर ट्रांसफर उपरोक्त कर्मचारियों को लंबे समय तक सिक लीव पर रखे जाने के बारे में गार्डन रॉक हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ. सुंदरराजन से जब ‘रेलवे समाचार’ ने उनके मोबाइल पर संपर्क करके सवाल किया, तो उनका कहना था कि वह लोग बीमार होंगे, इसलिए उन्हें सिक पर रखा गया है. जब उनसे यह कहा गया कि आखिर किसी कर्मचारी को कितने दिन तक लगातार सिक पर रखा जा सकता है, तो उन्होंने इसका कोई वाजिब जवाब नहीं दिया. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या डीआरएम ने उपरोक्त कर्मचारियों को सिक पर रखने के लिए कहा है, इस पर उन्होंने कहा कि डीआरएम ने उनसे ऐसा कुछ नहीं कहा है.

जैसा कि स्वाभाविक था, डीआरएम अतुल कुमार अग्रवाल ने भी इस बात से इंकार किया है कि उन्होंने सीएमएस से किसी कर्मचारी को सिक पर रखने को कहा है. मगर जब उनसे यह पूछा गया कि फिर वह क्यों नहीं उन कर्मचारियों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई कर रहे हैं, जो कि लंबे समय से सिक लीव पर रहकर खुलेआम मीटिंग और धरना-मोर्चा कर रहे हैं और क्या कारण है कि अंडर ट्रांसफर होने पर प्रशासन द्वारा उन्हें फिट करने के लिए नहीं कहा जा रहा है? इस सवाल का कोई माकूल जवाब डीआरएम श्री अग्रवाल ने नहीं दिया, मगर उन्होंने यह अवश्य कहा कि चूंकि ‘रेलवे समाचार’ की वेबसाइट को बहुत सारे रेलकर्मी और अधिकारी देखते हैं, इसलिए जो भी प्रकाशित किया जाए, उसकी पहले से पुष्टि अवश्य कर ली जाए. ‘रेलवे समाचार’ ने श्री अग्रवाल को इस नसीहत के लिए धन्यवाद भी दिया.

इसके अलावा सूत्रों ने इस बात की भी पुष्टि की है कि सीटीआई/त्रिची वीराशेखरन गार्डन रॉक एवं पोन्मलाई का एक सक्रिय यूनियन लीडर होने के नाते न सिर्फ डीआरएम का अत्यंत करीबी है, बल्कि वह डीआरएम का कृपापात्र भी बना हुआ है. सूत्रों का यह भी कहना है कि वीराशेखरन पिछले करीब एक-डेढ़ महीने से लगातार सिक लीव पर है और 14 अक्टूबर को उसने न सिर्फ बीजी कॉम्प्लेक्स में गेट मीटिंग को संबोधित किया था, बल्कि गार्डन रॉक वर्कशॉप के अंदर डीजल/इलेक्ट्रिक टेक्नीशियन संदीप कुमार विश्वास की पिटाई में भी वह शामिल था. सूत्रों का कहना है कि पिछले करीब 15-16 सालों से वह स्क्वाड में ही काम(?) कर रहा है और पूरे समय सिर्फ यूनियनबाजी करता है.

अपुष्ट तौर पर ऐसा भी कहा जाता है कि उसके नाम की हाजिरी कोई और लगाता है, जबकि उसकी रसीद कोई अन्य स्टाफ बनाता है, जिससे वह पूरे समय यूनियन के नाम पर गुंडागर्दी कर सके. इस तरह त्रिची मंडल में यूनियन के नाम पर तमाम अवैध गतिविधियां चल रही हैं. एसआरईएस के नेताओं का सवाल है कि एक टीटीई या सीटीआई का मैकेनिकल वर्कशॉप में जाने का क्या औचित्य हो सकता है? उनका यह भी कहना है कि गार्डन रॉक वर्कशॉप के मुख्य कारखाना प्रबंधक (सीडब्ल्यूएम) को धमकाकर यूनियन द्वारा वहां समानांतर सरकार चलाई जा रही है. उन्होंने बताया कि वीराशेखरन यूनियन के बल पर साहूकारी (मनी लेंडिंग) और रेलवे कॉलोनी एरिया सहित कई अन्य स्थानीय क्षेत्रों में केबल टीवी का भी कारोबार करता है. परंतु त्रिची मंडल के किसी भी अधिकारी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह उसके विरुद्ध कोई कारगर कदम उठा सकें, जबकि इस बारे में कई बार लिखित-अलिखित रूप से मंडल प्रशासन को शिकायतें दी जा चुकी हैं.

ज्ञातव्य है कि 20 अक्टूबर की दोपहर को मदुरै मंडल के कोझावंथम स्टेशन पर डीआरईयू के जगदीशन नामक एक पदाधिकारी को एसआरएमयू के कुछ गुंडों ने बुरी तरह से पीटा था, मगर यूनियन के दबाव में स्टेशन मास्टर ने ‘ऑल कंसर्न्ड मैसेज’ देने से इंकार कर दिया था, जिससे उक्त घटना की जानकारी मदुरै मंडल के डीआरएम को नहीं मिल सकी थी और कोई उचित कदम नहीं उठाया गया था.

उपरोक्त शर्मनाक हालात के अलावा यह भी पता चला है कि गार्डन रॉक मैकेनिकल वर्कशॉप की ईबीआर डीजल शॉप में कार्यरत गणेश नामक एक कर्मचारी (टेक्नीशियन) पिछले करीब दो-ढ़ाई साल से एक बार भी अपनी ड्यूटी पर नहीं आया है. बताते हैं कि इतने लंबे समय से वर्कशॉप से नदारत गणेश की हाजिरी कोई अन्य कर्मचारी लगा रहा है, यानि गणेश का हाजिरी कार्ड वर्कशॉप का ही कोई दूसरा कर्मचारी पंच कर रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि यह सब सिर्फ यूनियन के दम पर हो रहा है, क्योंकि वह यूनियन का आदमी है. उनका कहना है कि यह बात वह खुद खुलेआम छाती ठोंककर कहता है, मगर किसी अधिकारी में इतना साहस नहीं है कि इस तमाम धांधली पर लगाम लगा सके. वर्कशॉप के कई कर्मचारियों ने बताया कि वह (गणेश) इस पर यह कहकर अपना स्पष्टीकरण देता है कि ‘उसे 24 घंटे हॉस्पिटल में रहना पड़ता है, क्योंकि वह हॉस्पिटल विजिटिंग कमेटी का सदस्य है.’

उनका यह भी कहना है कि गार्डन रॉक हॉस्पिटल के तमाम डॉक्टर्स और पैरा-मेडिकल स्टाफ वर्कशॉप के इस टेक्नीशियन की मनमानी और अस्पताल प्रशासन में उसके अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण अत्यंत उत्पीड़ित और प्रताड़ित हो रहा है, परंतु उसे नियंत्रित करने अथवा उससे वर्कशॉप में अपनी जगह काम करने जाने को कहने वाला कोई नहीं है. उपरोक्त तमाम शर्मनाक स्थितियों के मद्देनजर ‘रेलवे समाचार’ का मानना है कि यदि दक्षिण रेलवे में इसी प्रकार यूनियन लीडर्स की अनुशासनहीनता, मनमानी, दादागीरी, माफियागिरी और आतंकवादी (आतंक फैलाने वाली) गतिविधियां लगातार चलती रहीं, तो निश्चित रूप से निकट भविष्य में दक्षिण रेलवे पर रेल मंत्रालय का कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा.