April 22, 2024

पूर्व प्रिंसिपल की आस्तीन का साँप अब एसडीजीएम/मध्य रेल का बना पालतू स्वान, भाग-2

पहले भाग में पढ़ा – “पूर्व प्रिंसिपल की आस्तीन का साँप अब एसडीजीएम/मध्य रेल का बना पालतू-स्वान”, अब दूसरे भाग में पढ़ें – “मूर्ख, महा-मूर्ख, परम-मूर्ख और एसडीजीएम/मध्य रेल”

मूर्खों की तीन श्रेणियां होती हैं। मूर्ख, महा-मूर्ख और परम-मूर्ख। मूर्खता की इस उपमा में कभी-कभी हमें धृतराष्ट्र के अपने पुत्रों के प्रति अंध-प्रेम का स्मरण हो आता है। झूठे रिश्ते कभी-कभी प्रशासन के शीर्ष पर बैठे लोगों को भी अपना विवेक खोने और धृतराष्ट्र बनने पर बाध्य कर देते हैं। इस तरह वे दुराचारी प्रशासनिक षड्यंत्र के चक्कर में फंस जाते हैं। इधर रेलवे स्कूल कल्याण में भी आस्तीन के सांप के मामले में एसडीजीएम के साथ अक्षरश: यही हुआ है।
 
किसी भी सरकारी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करने से पहले तथ्यों की जांच कर लेना शुद्ध प्रशासनिक बुद्धिमत्ता मानी जाती है। यह तब और भी अधिक आवश्यक हो जाता है जब मामला किसी कर्तव्यनिष्ठ और निष्ठावान अधिकारी का हो! प्रस्तुत मामले का तथ्य यह है कि काफी समय तक पूर्व प्रिंसिपल की आस्तीन का साँप रहा तिलंगा और उसकी पत्नी 2020 तक रेलवे स्कूल कल्याण की प्रमुख समितियों के सदस्य थे। जब पत्नी पीटीए की संयुक्त सचिव होती है, तो पति इसका कोषाध्यक्ष होता है। जब पत्नी स्कूल प्रबंधन समिति की सदस्य बन जाती है, तो पति एक दशक या उससे अधिक समय के लिए 2020 तक स्कूल की लगभग सभी समितियों का हिस्सा बना रहता है। मध्य रेलवे मुख्यालय ने इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए तिलंगे को एक बड़ी शास्ती-मेजर पेनल्टी चार्जशीट (SF-5) जारी करने का आदेश दिया, जो उसे बहुत अच्छी तरह से ज्ञात है।

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी से पता चलता है कि इसकी शुरुआत स्कूल प्रिंसिपल या डीआरएम/मुंबई से नहीं हुई थी। मुख्यालय के पास मेजर पेनल्टी का आरोप पत्र (चार्जशीट) जारी करने के लिए उचित और पर्याप्त कारण रहे। आरोप पत्र जारी होने के तुरंत बाद तिलंगे की पत्नी ने स्कूल प्रिंसिपल के विरुद्ध विजिलेंस में शिकायत दर्ज की। प्रिंसिपल पर लगाए गए आरोप न केवल घटिया स्तर के हैं, बल्कि पूर्वाग्रह से ग्रस्त एक प्रकार के मूर्खतापूर्ण मजाक ही कहे जा सकते हैं। इसमें जांच के लायक बिंदुओं अर्थात् विजिलेंस एंगल के अलावा बाकी सब कुछ है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व एसडीजीएम ने 2021 में दो बार रेलवे स्कूल कल्याण का दौरा किया था। पहला, फरवरी 2021 में जीएम/सेंट्रल रेलवे के साथ और दूसरा, 7 अक्टूबर, 2021 को एसडीजीएम ने अपनी विजिलेंस टीम सहित एडीआरएम और सीनियर डीपीओ/मुंबई मंडल, मध्य रेलवे के साथ स्कूल का दौरा किया था। आस्तीन के साँप यानि तिलंगे ने “रेलसमाचार” को भी स्कूल में एक जीएम विजिट के दौरान समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हुए एक संदेश भेजा था, जिसे “रेलसमाचार” ने तत्काल अस्वीकार कर दिया था, इस आशय के प्रमाण “रेलसमाचार” के पास उपलब्ध हैं। उस समय तिलंगे को आरोप पत्र जारी नहीं किया गया था।

पूर्व एसडीजीएम और उनकी टीम ने रेलवे स्कूल कल्याण में उपलब्ध प्रत्येक सुविधा और गतिविधि का निरीक्षण किया। इसकी एक निरीक्षण रिपोर्ट भी बनाई गई थी, जिसमें बताया गया था कि स्कूल में कुल 1903 छात्र हैं, जिनमें से 813 छात्र रेलवे से बाहर के हैं। इस इंस्पेक्शन नोट में कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। एसडीजीएम ने स्कूल को अच्छे प्रदर्शन के लिए दस हजार रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया था। ज्ञातव्य है कि धृतराष्ट्र बने वर्तमान एसडीजीएम को अपने मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाकर एसडीजीएम कार्यालय में उपलब्ध उस निरीक्षण नोट को पढ़ना चाहिए, जिसमें उल्लेख है कि एसडीजीएम के दौरे के समय प्रिंसिपल के विरुद्ध एक विजिलेंस कम्प्लेंट पेंडिंग थी, जो कि आस्तीन के साँप उर्फ तिलंगे के द्वारा की गई थी।

इस हाई ड्रामे के अगले दृश्य में नया एसडीजीएम आता है और यह स्पष्ट है कि वर्तमान एसडीजीएम की ज्ञात साजिश के साथ एक और शिकायत दर्ज की जाती है। इसमें अंतर केवल इतना है कि अब पत्नी नहीं, बल्कि पति शिकायतकर्ता है। इस शिकायत का उद्देश्य वर्तमान प्रधानाध्यापिका सहित दो महिला कर्मचारियों के कैरियर की प्रगति को अवरुद्ध करना था। नए प्रशासनिक परिदृश्य में पहले जारी हुई मेजर पेनल्टी चार्जशीट (SF-5) ठंडे बस्ते में चली जाती है। इस संदर्भ में मुंबई डिवीजन, मध्य रेलवे के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि इस मामले में एसडीजीएम का भरपूर दबाव था, इसलिए तिलंगे के विरुद्ध एसएफ-5 के मामले की फिर से जांच और उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

सूत्रों ने यह भी कहा कि तिलंगे की पत्नी द्वारा पीटीए के माध्यम से रेलवे स्कूल में रोजगार लेने की भी जांच की जानी चाहिए, क्योंकि पति और पत्नी दोनों पीटीए में पदाधिकारी थे, उन्होंने इस संबंध में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। यह जांच भी की जानी चाहिए कि क्या तिलंगे ने शिकायत दर्ज कराने से पहले पत्नी की नौकरी की इस कहानी से एसडीजीएम को अवगत कराया था? बड़ा मजाक यह है कि रेलवे स्कूल में तिलंगा और उसकी पत्नी जो भी करते हैं, वह सही है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं, तो यह विजिलेंस की शिकायत का विषय बन जाता है। उसमें तिलंगे को विजिलेंस एंगल दिखाई देने लगता है!

यहाँ एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि रेलवे संसाधनों को जाँच में लगाने से पहले क्या एसडीजीएम ने इस बात की तथ्यात्मक खोज की है कि स्कूल में प्रशासन की किस प्रणाली का पालन किया जाता है? यदि हां, तो क्या उन्होंने यह नहीं देखा कि रेल प्रशासन द्वारा विधिवत गठित “स्कूल प्रबंधन समिति” जोकरों का एक समूह है? स्कूल से संबंधित सभी मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय इस स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा ही लिए जाते हैं, जिसमें वित्त विभाग सहित मान्यताप्राप्त यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ एसएजी और जेएजी स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं। क्या स्कूल प्रिंसिपल सहित सभी सदस्य मूर्ख या भ्रष्ट व्यक्ति हैं? क्या 2021 में स्कूल का दो बार दौरा करने वाले पूर्व एसडीजीएम अक्षम या नासमझ थे? स्कूल को वर्तमान स्थिति में विकसित करने में विशेष ध्यान देने वाले डीआरएम, सीपीओ और जीएम क्या केवल टाइम पास कर रहे थे और केवल मूकदर्शक बने हुए थे? यह सभी प्रश्न वर्तमान एसडीजीएम से उत्तर की माँग करते हैं।

इस मामले में जानकारों का कहना है कि धृतराष्ट्र बने वर्तमान एसडीजीएम को अपना बुनियादी होमवर्क करना चाहिए और सबसे पहले यह समझना चाहिए कि अब उनकी आस्तीन का साँप बन चुके तिलंगे ने स्कूल का कितना नुकसान किया है और उसे आरोप पत्र क्यों दिया गया था! कैसे पूर्व प्रिंसिपल की आस्तीन के इस साँप ने प्रिंसिपल सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया? इस आस्तीन के साँप ने डीएआर जाँच की एक भी विभागीय बैठक में शामिल होने का साहस क्यों नहीं दिखाया?

यह रेलवे स्कूल, जो पूरी तरह से पतन की ओर था, जहाँ कोई भी अपने बच्चों को शिक्षा के लिए नहीं भेजना चाहता था, वही रेलवे स्कूल सबसे अधिक प्रशस्ति वाले स्कूलों में से एक बन गया, जहां रेल कर्मचारियों के लगभग 500 बच्चे 2022 में प्रवेश की प्रतीक्षा में थे। वह स्कूल जिसने इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज कराया, दो राष्ट्रपति पुरस्कारों सहित मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा फाइव स्टार रेटिंग के साथ खेल मंत्रालय द्वारा फिट इंडिया प्रमाणित स्कूल है। यह अब निहित स्वार्थों और फर्जी शिकायतों के चलते दो साल से लगातार पीछे क्यों जा रहा है? एसडीजीएम अथवा मध्य रेल प्रशासन ने इसका संज्ञान लेना आवश्यक क्यों नहीं समझा?

यह रेलवे स्कूल तीन दशकों की अवधि में कई दूरदर्शी प्राचार्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों के विजन, कर्तव्य और कड़े परिश्रम का परिणाम है। अब तिलंगे जैसे कुछ तुच्छ लोग इस स्कूल को श्रेष्ठ बनाने वाले उन सभी दूरदर्शी लोगों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में इस आस्तीन के साँप को खुला छोड़ना अक्षम्य होगा। क्रमशः जारी…