July 16, 2023

पूर्व मध्य रेलवे: “बाप बड़ा न भैय्या, सबसे बड़ा रुपैय्या!”

East Central Railway Head Quarters, Hajipur

सुधीर-दृष्टि से चलने वाले रेलमंत्री अपनी आँखों पर पट्टी के साथ-साथ कान में भी रुई डालकर रेल का बंटाधार करने पर तुले हैं, अब रेल को भगवान ही बचा सकते हैं!

रेल में यात्रा करने से पहले यात्रीगण अपने ईष्ट देवता का स्मरण करके चलें, अपने निकट संबधियों को अपनी रेल यात्रा की पूर्व सूचना देकर चलें, क्योंकि अब भारतीय रेल में उनके जान-माल की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है, हर जगह कोई न कोई सूरज कुमार पैसे के दम पर उनकी जान से खेलने को तैयार बैठा है!

पूर्व मध्य रेल का धनबाद मंडल संरक्षा को दरकिनार कर मैडम के चप्पल के बदले एक कर्मचारी के कपड़े उतरवाने में लगा हुआ है और विगत दो महीनों में मंडल की ग्रैंड कोर्ड लाइन एक बहुत बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण दे रही है, जो भारतीय रेल के लिए एक काला दिन साबित होगा। इसकी बानगी 01.05.2023 को तब सामने आई जब एक #JCB लाइन के बीचों बीच आकर फंस गई थी और ड्राइवर की सूझबूझ से एक बड़ी रेल दुर्घटना होते-होते बची थी। #Railwhispers ने भी इस घटना के बारे में ट्वीट किया था। इस खबर को प्रकाशित हुए दो महीने होने वाले हैं लेकिन दोषी अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, क्योंकि इस लापरवाही का जिम्मेदार अधिकारी सेक्शनल वरिष्ठ अभियंता सूरज कुमार उच्च अधिकारियों की आँख का तारा है। पैसे के दम पर कैसे बड़ी-बड़ी लापरवाही करके, जिससे सैकड़ों जिंदगियां दांव पर लगा दी जाती हैं, इसका उदहारण पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद मंडल में आए दिन देखने को मिल रहा है।

इसी प्रकार 26.04.2023 को दिलवा के पास रेल की पटरी बकल कर गई और एक भीषण दुर्घटना होते-होते बची। ट्रेन नंबर 18626 हटिया पटना एक्सप्रेस डीरेल होने से बच गई। इस घटना को कई अखबारों ने प्रमुखता से छापा था लेकिन सूरज कुमार ने पैसे के दम पर पूरी घटना को दबा दिया। इस घटना की जांच में लीपापोती की गई। “आखिर ग्रैंड कोर्ड में दो बड़ी घटना के बाद भी सूरज कुमार के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया? आखिर इस भ्रष्ट अधिकारी को क्यों बचाया जा रहा? कारण बहुत साफ है- बाप बड़ा न भैय्या, सबसे बड़ा रुपैय्या!” यह सवाल पूछ रहे हैं पूर्व मध्य रेलवे के तमाम फील्ड कर्मचारी!

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इसी तरह 17.06.2023 को #BCM का काम होने के बाद #SEJ को बिना पैकिंग किए ब्लाक कैंसिल कर दिया गया। इसका नतीजा ये हुआ कि #SEJ टूटते-टूटते बचा और रात भर सारी गाड़ियां पिटती रहीं और भगवान भरोसे संरक्षा को दरकिनार कर गाड़ियां चलीं। अगले दिन #CTE को गझंडी आकर कैंप करना पड़ा। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी सूरज कुमार के सितारे बुलंद रहे। #CTE ने क्या रिपोर्ट दी, इसकी जिम्मेदारी तय हुई कि नहीं, ये तो पूर्व मध्य रेलवे के ‘नीरो’ महाप्रबंधक अनुपम शर्मा ही बता सकते हैं, जो कभी किसी बड़े से बड़े नेता का भी फोन नहीं उठाते हैं।

पूरा रेल मंत्रालय #बालासोर दुर्घटना के बाद संरक्षा को लेकर काफी संजीदा है, लेकिन धनबाद मंडल का चहेता सूरज कुमार इस सबसे बेफिक्र अपनी लूटपाट और लूट की मलाई सबको चटाने में लगा हुआ है। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इसी दौरान महाकदाचारी और जाति के सबसे बड़े पैरोकार #PCE अपने फेयरवेल कलेक्शन दौरे पर धनबाद में थे और वहां की रंगीनियों का रसास्वादन कर रहे थे।

अभी कुछ ही दिन पहले 24.06.2023 को गुरपा में स्विच बदलने के लिए चार घंटे का ब्लाक लिया गया था, लेकिन यह ब्लाक लगभग 12 घंटे तक चला। इसके बावजूद भी गाड़ियों को क्लैंप करके चलाना पड़ा, जो कि संरक्षा के साथ स्पष्ट खिलवाड़ है। संरक्षा के साथ इस खिलवाड़ के साथ-साथ कई गाड़ियां विलम्ब से चलीं, उससे यात्रियों को जो परेशानी हुई उसकी परवाह किसी को भी नहीं है।

फील्ड में कार्यरत कई पी-वे सुपरवाइजरों का कहना है कि ऊपर बताए गए ये वे कुछ उदाहरण हैं जो ऑफिसियली रिपोर्ट किए गए हैं, जबकि ऐसे अनगिनत मामले हैं जिनको हाईलाइट नहीं किया गया, वरना सूरज कुमार की कृपादृष्टि कई वरिष्ठ अधिकारियों पर से हट जाती और उनके घर का राशन-पानी तक बाधित हो जाता। उनका यह भी कहना है कि एक निहायत भ्रष्ट कामचोर अधिकारी को इतने सेंसिटिव सेक्शन की जिम्मेदारी क्यों दी गई है, यह समझ से परे है। यह भी सुनने में आया है कि सूरज कुमार की सेवा का मेवा अब उसको धनबाद मंडल का वरिष्ठ अभियंता/समन्वय बनाकर देने की तैयारी है।

कई अधिकारियों का कहना है कि “आज पूरी भारतीय रेल कमजोर हाथों में है, #सुधीर_दृष्टि से चलने वाले रेलमंत्री धृतराष्ट्र बनकर अपनी आँखों पर पट्टी के साथ-साथ कान में भी रुई डालकर रेल का बंटाधार करने पर तुले हैं। अब रेल को भगवान ही बचा सकते हैं। रेल में यात्रा करने से पहले यात्रीगण अपने ईष्ट देवता का स्मरण करके चलें, अपने निकट संबधियों को अपनी रेल यात्रा की पूर्व सूचना देकर चलें, क्योंकि अब भारतीय रेल में उनके जान-माल की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। हर जगह कोई न कोई सूरज कुमार पैसे के दम पर उनकी जान से खेलने को तैयार बैठा है!”