प्रधानमंत्री जी, मजॉरिटी की सुनो, वे आपकी सुनेंगे!
महोदय, आपके लिए यह अवसर “मजॉरिटी” की सुनने का है! संदर्भ में निहित संदेश को समझकर तदनुरूप कदम उठाएंगे, तो फायदे में रहेंगे!
प्रधानमंत्री जी, 5% के लिए 95% के सपनों और अवसरों का गला नहीं घोंटा जाना चाहिए!
ये 52 साल के क्राइटेरिया वाले तो हर हाल में फायदे में रहेंगे जब तक ‘एज-क्राइटेरिया’ एक भी ‘क्राइटेरिया’ में रहेगा!
माननीय प्रधानमंत्री जी,
रेल मंत्रालय द्वारा जल्दी ही 34 #DRM की जो पोस्टिंग होने जा रही है, वह आपकी वर्तमान सरकार की और वर्तमान रेलमंत्री द्वारा की जाने वाली आखिरी डीआरएम पोस्टिंग होगी, क्योंकि अब जब #DRMs की अगली वैकेंसी क्रिएट होगी तब तक नई सरकार और नए मंत्री होंगे, इसलिए कुछ लीक से हटकर नई परिपाटी बना जाएं, जिसका लाभ मजॉरिटी अर्थात् अधिकांश लोगों को मिले और पूरी व्यवस्था का कल्याण हो! कम से कम इतना तो होना ही चाहिए कि जिस #EQI लिस्ट के आधार पर मार्च 2023 की #DRM पोस्टिंग हुई है, उसी से इस बार की भी और आगे की सभी #DRM की पोस्टिंग उसी आधार पर की जाएं, तो न्यायपूर्ण होगा। महोदय, आपके लिए यह अवसर सबकी सुनने के साथ ही खासकर “मजॉरिटी” की सुनने का है! संदर्भ में निहित संदेश को समझकर तदनुरूप कदम उठाएंगे, तो न केवल फायदे में रहेंगे, बल्कि व्यवस्था का भी व्यापक भला हो जाएगा!
“प्रधानमंत्री जी, डीआरएम पोस्टिंग में तुरंत ‘यूसीसी’ लागू की जाए!”
(महोदय, ये कैसा डीआरएम पैनल है कि जिसमें अभी तक 76 लोगों में से मात्र 32 लोगों की भी पोस्टिंग यानि 42% लोगों की भी पोस्टिंग नहीं होती और पोस्टिंग में लगभग डेढ़ साल की देरी करने के बावजूद फिर से नया पैनल नए कट-ऑफ-डेट के साथ बनाना शुरू कर देते हैं? पैनल बनाने का यह कौन सा तरीका है? और यह कितना न्यायपूर्ण है? अगर अगस्त 2023 में खाली हो रहे पदों को वर्तमान पैनल से भरेंगे तो मात्र 10 लोग बचेंगे, जिनको अब सीधे 2024 अक्टूबर/नवंबर में क्रिएट हो रही वैकेंसी में समायोजित कर लेते, दूसरे नए पैनल के लोगों के साथ। एक और विवेकपूर्ण तर्कसंगत तरीका यह रहता कि जिस पैनल में जो बॉर्डर लाइन पर हैं, #DRM में उनकी पोस्टिंग पहले कर दी जाए और जिनके पास पहले से ही एज-एडवांटेज इतना है कि वे आगे वाले पैनल में आराम से आ जाएंगे, उनकी पोस्टिंग बाद में की जाए। लेकिन मौका बराबर का और सबको मिलना चाहिए, जिससे कोई किसी और बहाने, या आधार पर, पैनल में शामिल होने की योग्यता रखने के बावजूद और फिर पैनल में शामिल होने के बावजूद भी वंचित न रह जाए। किसी भी राजा/प्रशासक के लिए न्यायसंगत और धर्मसम्मत तरीका तो यही होना चाहिए!)
वरना फिर से जुलाई 1970 के बाद का जन्म-दिनांक (#Date of birth) का क्राइटेरिया (#criteria) डालकर खान मार्केट गैंग (#KMG) और ऑल इंडिया दिल्ली सर्विस (#AIDS) गैंग कंधा तो सरकार का यूज कर रहा है, लेकिन निशाना अपना साध रहा है, और इसी बहाने आगे 10 सालों तक अपने लोगों की #DRMship सुनिश्चित कर दिया है। माननीय प्रधानमंत्री जी, आप यह भी जान लें कि भले ही सरकार आपकी है, लेकिन रेल मंत्रालय का #SYSTEM अब भी यही 52 साल के एज-क्राइटेरिया वाला #KMG और #AIDS गैंग ही चला रहा है! यही कारण है कि सरकार के निर्णयों का श्रेय और लाभ खासकर रेल मंत्रालय के संदर्भ में सरकार को नहीं, इन दोनों गैंगों के लोगों को मिल रहा है! और अगर सच में देखा जाए तो “सरकार को केवल बदनामी और आलोचना मिल रही है और मलाई ये शकुनी #KMG गैंग और #AIDS वाले खा रहें हैं!” गौर से देखने पर ऐसा लगता है कि “मोदी सरकार इनके लिए ही बनी थी। ये सरकार के लिए नहीं, केवल अपने और अपने कबीले के लिए काम कर रहे हैं!”
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माननीय प्रधानमंत्री जी, 5% के लिए 95% के सपनों और अवसरों का गला नहीं घोंटा जाना चाहिए! ये 52 साल के क्राइटेरिया वाले तो हर हाल में फायदे में रहेंगे जब तक एज-क्राइटेरिया एक भी क्राइटेरिया में रहेगा, लेकिन जो 52 साल से ज्यादा के हैं उनकी आशा तो नहीं मरेगी और डेट-ऑफ-बर्थ की क्राइटेरिया के अलावा किसी की योग्यता, क्षमता, परिश्रम और समर्पण हमेशा व्यर्थ नहीं जाता, यह विश्वास तो बना ही रहेगा! अर्थात् हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि नीति और नियम ऐसा होना चाहिए कि उसका लाभ योग्य, सक्षम, निष्ठावान, कर्तव्य पारायण और सरकार एवं व्यवस्था के प्रति समर्पित लोगों को मिले!
महोदय, व्यवस्था की यही दिक्कत है कि 5% वाले लोग ही हर जगह हावी हैं, इसलिए ऐसे लोग जब कुछ भी करते हैं, चाहे वह पॉलिसी हो या उसका क्रियान्वयन, वह 5% लोगों के लिए ही होता है, और इसीलिए उसका फायदा भी 5% लोगों तक ही पहुंचाता है, #Majority ठगी खड़ी रह जाती है! परिणामस्वरूप सरकार की नीतियों और रवैये के खिलाफ जन असंतोष बढ़ता चला जाता है, जिसका परिणाम सरकार को चुनाव में भोगना पड़ता है, मगर इनका कुछ नहीं बिगड़ता। ये 5% लोग अपनी एज-क्राइटेरिया के बूते अपना झोला उठाए नई सरकार में अपनी पैठ बनाने चल पड़ते हैं, क्योंकि इनको एक ड्रग्स एडिक्ट की तरह अनवरत सत्ता भोगने की लत रहती है जिसके लिए ये कुछ भी कर सकते हैं; जिसमें न्यायपूर्ण, विवेकपूर्ण और बृहद हित में सोचने वाले तंत्र की हत्या करना इनका पहला कदम होता है।
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महोदय, अभी सरकारी सेवा की आयु-सीमा यदि 60 से 58 हो जाए तो ये जितने भी ऊपर बैठे 52 साल के एज-क्राइटेरिया के पैरोकार हैं उनमें भगदड़ मच जाएगी। और 52 साल ही क्यों, हम तो कहते हैं आयु-सीमा को क्राइटेरिया न रखकर 15 साल की नौकरी कर चुके सभी को योग्य (#एलिजिबल) मानकर उनके विभिन्न तरह के टेस्ट लेकर #DRM बनाएं, अर्थात् जिम्मेदार पदों पर बैठाया जाए, जिसमें उनके फील्ड में काम के अनुभव से लेकर और भी तर्कसंगत क्राइटेरिया हों, जिससे बिना मानवीय पूर्वाग्रह के सभी को #DRM बनने का अवसर प्राप्त हो सके और यही प्रक्रिया ऊपर के सभी पदों के लिए अपनाई जाए!
महोदय, पैनल की #validity भी उतनी होनी चाहिए जितना #DRM का कार्यकाल है, यानि 2 साल, तभी किसी पैनल के साथ भी न्याय हो सकेगा और उससे उत्पन्न तमाम विसंगतियां और जोड़-तोड़ पर लगाम लग पाएगी। इसलिए पहली बार #EQI_Test के साथ जिन 76 लोगों का पैनल 2022 की शुरूआत में बनाया गया था और जिसके आधार पर अक्टूबर/नवंबर 2022 और मार्च 2023 में #DRM की पोस्टिंग हुई, उसी को वैध मानते हुए उस पैनल के सभी लोगों की पोस्टिंग की जाए। इससे आपको न केवल अप्रत्याशित सुखद और चमत्कारिक परिणाम ही नहीं प्राप्त होंगे, बल्कि आने वाले समय में इस निर्णय को मोदी सरकार के कुछेक बेहतरीन यादगार निर्णयों के रूप में इतिहास याद रखेगा और रेलमंत्री जी इसे जब भी याद करेंगे, उन्हें असीम आत्म-संतुष्टि की सुखद अनुभूति ही होगी!
माननीय प्रधानमंत्री एवं रेलमंत्री जी, #RailSamachar ‘मजॉरिटी’ के हित में आपसे आग्रह करता है कि शांत मन से एक बार गौर से हमारे द्वारा उठाए गए तथ्यों और मुद्दों को देखें! अगर ये सही लगें, अथवा जितने सही लगें, उतने पर तुरंत कार्यवाही करें, और न लगें, तो कूड़े में डाल दें! लेकिन सत्ता के दंभ में किसी की भी न्यायसंगत आवाज को अनसुना करना उचित नहीं है। आप जानते हैं कि रावण में एकमात्र यही कमी थी, जिसके कारण उसका सर्वनाश हुआ और राम इस दंभ से परे थे। वे सबकी सुनते थे, जिसकी नहीं सुननी चाहिए, उसकी भी, और जिसकी सुनकर भी नहीं माननी चाहिए, उसकी भी! राम और रावण में यही मौलिक अंतर है, जो सत्ता मिलने पर भी दंभ से परे हो और जो सबकी सुने और सबके लिए करे और जिये, वह राम! और जो सत्ता के दंभ में हो और अपने अलावा तथा अपने स्वार्थ की बातों के सिवा किसी की न सुने, और न माने, वह रावण! बाकी आप बेहतर जानते हैं कि यह सिस्टम कैसे चल रहा है और कैसे चलाना है!