“अमृत काल” में यात्रियों के साथ धोखा, वसूला जा रहा है हटाए गए कोच का अधिक किराया

भारतीय रेल इस समय “अमृत काल” में सरपट दौड़ रही है! यह #RailSamachar का कथन नहीं है, यह कथन भारत की आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे रेल मंत्रालय और उसके मूर्धन्य शीर्ष प्रबंधन का है। जबकि सामान्य रेल यात्रियों की दृष्टि में रेलवे धरती पर नहीं—लिंक्डइन पर, ट्विटर पर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया की आसमानी सतह पर चल रही है!

इसमें हम केवल इतना ही जोड़ना चाहते हैं कि यह अमृत काल सामान्य रेल यात्रियों के लिए वास्तव में काल की तरह है, जिन्हें मंत्री जी अपना वीआईपी पैसेंजर कहते हैं, जो कि वास्तव में भीड़-दुर्गंध से भरे डिब्बों में यात्रा करने को अभिशप्त हैं और देर-सबेर दबते-कुचलते अपने गंतव्य तक पहुँच ही जाते हैं।

मंत्री जी के इन कथित वीआईपी यात्रियों के पास रेल के सिवा आखिर अन्य कोई सस्ता-सुलभ विकल्प भी तो नहीं है। अमृत काल तो उनका चल रहा है—जो अमृत भारत स्टेशन, ट्रैक फेंसिंग, कवच और न जाने कितने प्रकार के हजारों करोड़ के नए-नए प्रोजेक्ट्स लेकर आए हैं और रेल राजस्व को दोनों हाथों से इन योजनाओं पर खर्च कर रहे हैं।

In just four months, ₹413 crore Cherlapalli Railway Station Roof Collapsed in South Central Railway

अब जब खर्च होगा, तो “अमृत” रूपी कमीशन की कुछ बूंदें तो उन लोगों पर गिरेंगी ही, जो इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए जी-जान लगाकर क्वालिटी-क्वांटिटी को भूलकर दिन-रात एक किए हुए हैं! यह बात हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि अमृत भारत स्टेशन और बड़े-बड़े स्टेशनों पर #RLDA द्वारा कराए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता और उन पर किए जा रहे खर्चों की निगरानी के लिए कोई पारदर्शी तंत्र नहीं है।

बहरहाल बात अमृत काल में यात्रियों को मिलने वाली सुविधा की हो रही थी। अभी तक तो यही बात कही जाती थी कि कुछ अच्छा पाने के लिए जेब तो ढ़ीली करनी पड़ेगी, लेकिन इस अमृत काल में वहाँ भी जेब काटी जा रही है जहाँ पर वह सुविधा मिल भी नहीं रही है, जिसे देने का वादा किया गया था। अर्थात यात्रियों की आंखों में धूल झोंककर उनसे अधिक किराया वसूला जा रहा है।

कुछ शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रियों को हवाई यात्रा जैसी अनुभूति कराने के लिए एक लक्जरी कोच ‘अनुभूति’ के नाम से इंट्रोड्यूस किया गया था, जिसका किराया एग्जीक्यूटिव क्लास से 1.2 गुना ज्यादा है

प्राप्त जानकारी के अनुसार फरवरी, 2025 से ट्रेन नं. 12029/30, अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस तथा ट्रेन नं. 12003/04, लखनऊ नई दिल्ली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस में अनुभूति कोच (EA) की जगह एग्जीक्यूटिव कोच (EC) लगाया जा रहा है, लेकिन किराया अभी भी अनुभूति श्रेणी का लिया जा रहा है।

अभी भी अनुभूति कोच श्रेणी में बुकिंग जारी है और इनके टिकट लेने वाले यात्रियों को एग्जीक्यूटिव कोच में बैठाया जा रहा है। EC श्रेणी का किराया लखनऊ से नई दिल्ली के लिए ₹2155 है, जबकि EA श्रेणी का ₹2480 है।

इस तरह ₹325 प्रति यात्री अधिक किराया अनुभूति कोच के नाम पर वसूला जा रहा है, जबकि यात्री एग्जीक्यूटिव क्लास में यात्रा कर रहा है। इस अमृत काल में रेल मंत्रालय द्वारा केवल कागजी कार्रवाई की जा रही है। न तो ED/ME, ED/PM, CCM/PM/NR ने इसकी सुधि ली और #CRIS तो आराम फरमा ही रहा है। यात्रियों के साथ यह धोखा पिछले तीन महीनों से जारी है।

Order issued by CRSE/Chg./NR

उल्लेखनीय है कि चीफ रोलिंग स्टॉक इंजीनियर (#CRSE) उत्तर रेलवे मुख्यालय बड़ौदा हाउस ने 7 फरवरी को स्थाई रूप से अनुभूति कोचों को रिप्लेस करने संबंधी “मोस्ट अर्जेंट” आदेश जारी कर दिया था। तदनुसार डिप्टी सीसीएम/डीबी ने 10 फरवरी को जीएम/पीआरएस एवं क्रिस को पत्र लिखकर आदेशानुसार व्यवस्था करने को कहा था। इसके अनुसार कोच तो रिप्लेस कर दिए गए, मगर यात्रियों से किराया अभी भी अनुभूति कोच का ही लिया जा रहा है।

Instructions issued by Dy. CCM/DB/NR

यात्रियों के साथ इस धोखाधड़ी का दोषी क्रिस का जोकर सीएमडी और उसके सहयोगी तो हैं ही, साथ ही रेलवे बोर्ड के ईडी/एमई, ईडी/पीएम के साथ उत्तर रेलवे का सीसीएम/पीएम भी दोषी है, जो अपना निर्धारित काम करने के बजाय केवल अपनी नेटवर्किंग करने में व्यस्त रहते हैं। इसके अलावा, उत्तर रेलवे का चीफ पैसेंजर ट्रांसपोर्टेशन मैनेजर (#CPTM) को भी पूछा जाना चाहिए कि वह क्या कर रहा है? उसकी क्या ड्यूटी है?