उत्तर रेलवे और सीपीडब्ल्यूडी की मानक दर सूची में जमीन-आसमान का अंतर
उत्तर रेलवे द्वारा पिछले पांच सालों में की गई खरीद और कराए गए सभी कार्यों की जांच होनी चाहिए
सभी केंद्रीय विभागों, खासतौर पर इंजीनियरिंग निर्माण कार्यों, में सीपीडब्ल्यूडी के ही सारे नियम-कानून मानक के तौर पर लागू होते हैं
दोनों की दर सूचियों का वर्तमान बाजार दरों से कोई संबंध नहीं, वर्तमान बाजार दरें सीपीडब्ल्यूडी की मानक दर सूची से भी कम पर चल रही हैं
सुरेश त्रिपाठी
भारतीय रेल और केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग(सीपीडब्ल्यूडी) दोनों ही केंद्रीय विभाग हैं. दोनों में ही खासतौर पर भंडार विभाग की सामग्री खरीद और इंजीनियरिंग विभाग के समस्त निर्माण सम्बंधी कार्यों में, कुछ अपवादों को छोड़कर, बाकी सारे नियम-कानून समान होते हैं और होने चाहिए. यही बात इन दोनों ही नहीं, बल्कि सभी केंद्रीय विभागों में कार्य एवं सामग्री दर के मामले में भी समान रूप से लागू होती है. जबकि सच्चाई यह है कि भारतीय रेल सहित सभी केंद्रीय विभागों, खासतौर पर इंजीनियरिंग निर्माण कार्यों, में सीपीडब्ल्यूडी के ही सारे नियम-कानून मानक के तौर पर लागू होते हैं. परंतु उत्तर रेलवे (भारतीय रेल की रीढ़?) और सीपीडब्ल्यूडी की ‘एकीकृत मानक दर अनुसूची – कार्य एवं सामग्री’ में जमीन-आसमान का अंतर है. इससे सप्लायर्स और टेंडरर्स को न सिर्फ भारी कंफ्यूजन हो रहा है, बल्कि इस तरह से सम्बंधित रेल अधिकारियों द्वारा अपने चहेते सप्लायर्स/कॉन्ट्रैक्टर्स का फेवर भी किया जा रहा है.
उत्तर रेलवे की ‘एकीकृत मानक दर अनुसूची – कार्य एवं सामग्री’, जो कि वर्ष 2010 की है, में कोड क्रम संख्या 081280 के अनुसार 1.25 एमएम की हिन्गेस जांब, लॉक जांब, बीड्स की कमर्शियल माइल्ड स्टील शीट्स से बने प्रेस्ड स्टील डोर फ्रेम्स और 50 एमएम * 25 की एमएम माइल्ड स्टील एंगल सेक्शन अथवा 1.25 एमएम की प्रेस्ड माइल्ड स्टील वेल्डेड बेस टाईज अथवा रिजिड्ली फिक्स्ड मैकेनिकल मीन्स या 25 एमएम मोर्टार गार्ड के साथ स्टील बट हिन्गेस सहित स्प्लिट एन्ड टेल जांब, लॉक स्ट्राइक प्लेट, स्पेसिफाइड शॉक अब्सोर्बर्स, इंजीनियर-इंचार्ज द्वारा निर्देशित सरफेस की प्री-ट्रीटमेंट के बाद अप्रूव्ड स्टील प्राइमर की कोटिंग आदि की दर कोड क्रम संख्या 081281, प्रोफाइल-ए (105 एमएम x 60 एमएम) सिंगल रिबेट, प्रति मीटर 1802.09 रु., कोड क्रम संख्या 081282, प्रोफाइल-बी (105 एमएम x 60 एमएम) सिंगल रिबेट, प्रति मीटर 2051.81 रु., कोड क्रम संख्या 081283, प्रोफाइल-सी (160 एमएम x 60 एमएम) डबल रिबेट, प्रति मीटर 2509.19 रु., दी गई है.
जबकि भारत सरकार, सीपीडब्ल्यूडी के ‘दिल्ली शेड्यूल ऑफ रेट्स – 2012’ में उपरोक्त इन्हीं सभी समान सामग्रियों की दर बहुत कम दी गई है. देखें – Page-117
Code No. 10.14 Providing and fixing pressed steel door frames confirming IS:4351, manufactured from commercial mild steel sheet of 1.60 mm thickness, including hinges, jamb, lock jamb, bead and if required angle threshold of mild steel angle of section 50×25 mm or base ties of 1.60mm, pressed mild steel welded or rigidly fixed together by mechanical means, including M.S. pressed butt hinges 2.5 mm thick with mortar guards, lock strike-plate and shock absorbers as specified and applying a coat of approved steel primer after pre-treatment of the surface as directed by Engineer-in-charge.
Code No. Discription Unit Rate
10.14.1 Profile B
10.14.1.1 Fixing with adjustable lugs with split end tails to each jamb Meter Rs.346.75.
10.14.1.2 Fixing with carbon steel galvanised dash fastener of
required dia and size (to be paid separately) Meter Rs.339.85.
10.14.2 Profile C
10.14.2.1 Fixing with adjustable lugs with split end tails to each jamb Meter Rs.370.00.
10.14.2.2 Fixing with carbon steel galvanised dash fastener of
required dia and size (to be paid separately) Meter Rs.363.10.
10.14.3 Profile E
10.14.3.1 Fixing with adjustable lugs with split end tails to each jamb Meter Rs.404.85.
10.14.3.2 Fixing with carbon steel galvanised dash fastener of
required dia and size (to be paid separately) Meter Rs.397.90.
उपरोक्त तमाम तथ्यों से स्पष्ट है कि उत्तर रेलवे और केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा सामग्री की खरीद और कार्य की दरों में जमीन-आसमान का अंतर है. इससे सप्लायर्स और कॉन्ट्रैक्टर्स में यह कंफ्यूजन पैदा होना स्वाभाविक है कि वे किन दरों को मानक दर मानकर टेंडर अप्लाई करें. ऐसे में हो यह रहा है कि जो सप्लायर या कांट्रेक्टर सीपीडब्ल्यूडी की दर को मानक मानकर टेंडर करता है और उसे यदि दरकिनार करना होता है, तो उसको यह कहकर भगा दिया जाता है कि उसने दरें बहुत कम कोट की हैं, इन दरों पर काम नहीं हो सकता है, वह या तो काम नहीं करेगा, या फिर मटीरियल की गुणवत्ता से समझौता करेगा या काम बीच में ही छोड़कर भाग जाएगा.
इसी प्रकार जब कोई कांट्रेक्टर या सप्लायर उत्तर रेलवे की उपरोक्त ‘एकीकृत मानक दर अनुसूची – कार्य एवं सामग्री – 2010’ में दी गई दरों के अनुसार टेंडर कोट करता है, तो सम्बंधित अधिकारियों का यह कहना होता है कि अन्य सप्लायर के मुकाबले उसके रेट बहुत ज्यादा हैं. वहीं जब किसी चहेते सप्लायर या कांट्रेक्टर को फेवर करना होता है, तो सम्बंधित अधिकारियों के उपरोक्त सभी तर्क उलट जाते हैं. इस तरह एक तरफ न सिर्फ कार्य की गुणवत्ता से बड़े पैमाने पर समझौता किया जा रहा है, बल्कि कुछ खास सप्लायर और कॉन्ट्रैक्टर्स को फेवर करके रेल राजस्व को भारी नुकसान भी पहुंचाया जा रहा है. इस तमाम प्रक्रिया और घालमेल में भ्रष्टाचार भी बहुत बड़े पैमाने पर शामिल है.
इसके आलावा उत्तर रेलवे की यह तथाकथित ‘एकीकृत मानक दर अनुसूची’ पांच साल पहले वर्ष 2010 की बनी हुई है, जबकि सीपीडब्ल्यूडी की मानक सूची तीन साल पहले वर्ष 2012 की है. सामग्री की खरीद और ठेके पर कार्य करवाने के मामले में उत्तर रेलवे और सीपीडब्ल्यूडी दोनों की उपरोक्त दर सूचियों का वर्तमान बाजार दरों से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि वर्तमान की बाजार दरें सीपीडब्ल्यूडी की उपरोक्त मानक दर सूची से भी कम पर चल रही हैं. जबकि यह मानक दर सूची हर छह महीनों में अथवा हर साल रिवाइज होनी चाहिए. आश्चर्य इस बात का भी है कि रेलवे का इतना बड़ा अमला फिर करता क्या है? उत्तर रेलवे निर्माण संगठन सहित सभी जोनल रेलों के भंडार एवं इंजीनियरिंग विभागों द्वारा पिछले पांच सालों में उपरोक्त ‘एकीकृत मानक दर अनुसूची’ के अनुसार की गई खरीद और किए-कराए गए अथवा दरकिनार किए गए सभी कार्यों की गहराई से जांच होनी चाहिए.