गैर-जिम्मेदार और अव्यावसायिक लोग डुबा रहे हैं भारतीय रेल की लुटिया

चालू वित्तवर्ष के पहले पांच महीनों में रेलवे से भाग खड़े हुए 15 करोड़ यात्री

सुरेश त्रिपाठी

राजनीतिक दुरुपयोग और अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण भारतीय रेल पिछले कई साल से घाटे में चल रही है. जहां एक तरफ इस पर खर्च और अनावश्यक अधिकारियों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ इसकी आय में कोई खास वृद्धि नहीं हो रही है. इस दरम्यान रेलवे द्वारा यात्री किराया न बढ़ाए जाने के बावजूद रेलवे से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में पिछले पांच महीनों के दौरान 15 करोड़ की भारी गिरावट दर्ज की गई है. इसके लिए रेलवे बोर्ड की अस्पष्ट, दिग्भ्रमित तुगलकी नीतियां और लगभग 18 हजार अकर्मण्य रेल अधिकारी ही जिम्मेदार हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार चालू वित्तवर्ष 2015-16 के पहले पांच महीनों, अप्रैल से अगस्त के दौरान 15 करोड़ रेलयात्री कम हुए हैं. इस दौरान लगभग हर महीने यात्रियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि अधिकृत तौर पर रेलवे बोर्ड की तरफ से यात्रियों की संख्या में आई इस भारी गिरावट का कोई वाजिब कारण तो नहीं बताया गया है, परंतु यह सर्वज्ञात है कि लगभग सभी गाड़ियों की लेट-लतीफी, गाड़ियों के चलने का पुनर्निर्धारण, यात्रियों को समय पर गाड़ियों की लेट-लतीफी या पुनर्निर्धारण की पूर्व सूचना न दिया जाना, साफ-सफाई की कमी, तमाम हवा-हवाई घोषणाओं के बावजूद वाजिब मूल्य पर साफ-सुथरा, सुरुचिपूर्ण और स्वास्थ्यवर्धक भोजन उपलब्ध कराने में रेलवे की कमी और सबसे बढ़कर रेलकर्मियों और रेल अधिकारियों का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार आदि कई कारक इसके लिए जिम्मेदार हैं.

रेलयात्रियों की संख्या में आई इस भारी गिरावट का रहस्योदघाटन 15 सितंबर को लगातार हो रही रेल दुर्घटनाओं के संबंध में रेलमंत्री द्वारा रेलवे बोर्ड में बुलाई गई सभी जोनल महाप्रबंधकों की विशेष बैठक में हुआ है. इस पर रेलमंत्री भी काफी परेशान देखे गए. जबकि रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने हैरानी जताते हुए कहा कि ‘सभी ट्रेनें हमेशा भरी रहती हैं, किसी भी ट्रेन में आसानी से आरक्षित टिकट उपलब्ध नहीं है, ऐसी स्थिति में रेलवे से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में इतनी बड़ी गिरावट आश्चर्य पैदा करने वाली है.’ श्री सिन्हा ने इन आकंड़ों में गड़बड़ी की आशंका जताई है.

रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्तवर्ष 2014-15 के अप्रैल से अगस्त के पांच महीनों में 3,575 मिलियन यात्रियों ने रेलवे से यात्रा की थी. जबकि चालू वित्तवर्ष 2015-16 की समान अवधि में यात्रियों की कुल संख्या 3.42 मिलियन दर्ज की गई है. जाहिर है कि यात्रियों की संख्या में कुल 4.2 प्रतिशत की गिरावट आई है. उल्लेखनीय है कि यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हो रहा है, बल्कि यदि रेलवे द्वारा हर महीने जारी की जाने वाली लंबी दूरी और उपनगरीय यात्रियों की संख्या को ध्यान से देखा जाए, तो रेलवे में यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, जो कि इस देश के एकमात्र राष्ट्रीय परिवहन ‘भारतीय रेल’ के लिए चिंता का विषय है.