December 6, 2022

IRMS Notification: रेलवे बोर्ड के बचकाने निर्णय ने युवाओं में धूमिल की मोदी सरकार की छवि!

प्रधानमंत्री जी, एक बार बिना किसी सलाहकार के रेलवे के इस कथित नीतिगत मगर हास्यास्पद निर्णय पर विचार अवश्य करें और अगर इसमें जेहादी मानसिकता वाली कोई थ्योरी नजर आए तो सभी को छुट्टी दें, और यह अगर सही लगे तो पर्दे के आगे और पर्दे के पीछे इसमें रहे सभी लोगों को पद्मविभूषण से सम्मानित करें!

रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) द्वारा आईआरएमएस भर्ती का जो बचकाना नोटिफिकेशन निकाला गया, उससे रेल में कार्यरत ही नहीं, बल्कि रिटायर्ड लोग भी उद्वेलित हैं, जबकि भावी प्रतिभाएं अपने भविष्य और रोजगार के अवसरों पर चिंतित होकर मोदी सरकार के प्रति असमंजस में पड़ गई हैं कि मोदी जी एक तरफ ‘सबका विकास – सबको समान अवसर” की सैद्धांतिक बातों करते हैं, तो दूसरी तरफ उनके अश्विनी वैष्णव जैसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी मंत्री ठीक उनके विपरीत दिशा में जाकर नीतिगत निर्णय देते हैं!

प्रधानमंत्री मोदी जी देखिए, आप अपने रेल मंत्रालय का कमाल, इन्होंने #IRMS (Indian Railway Management Services) बनाया है, लेकिन मजे की बात यह है कि इसमें मैनेजमेंट किए लोग एलिजिबल नहीं हैं। यह दुनिया का पहला ऐसा Management service exam होगा जिसमें MBA/BBA भी eligible नहीं हैं, चाहे वह IIM या हॉवर्ड से ही क्यों न Management किया हो!

कोई अगर थोड़ा सा भी बुद्धिमान नेता होता, तो सबसे पहले पनही निकालकर ‘विभागवाद’ में अंधे हो रहे उन सलाहकारों को पीटता, जिन्होंने इसकी परिकल्पना की और मूर्त रूप दिया।

मोदीजी, यह आम जनता में आपकी सरकार के प्रति जो धारणा बनती जा रही है कि, “ये लोग तानाशाही से काम कर रहे हैं और प्रशासनिक दक्षता और शासन-प्रशासन चलाने के लिए जो बुद्धिमत्ता और समझदारी होनी चाहिए, उसका अभाव है”, उसको यह पुख्ता कर देता है।

इतना हास्यास्पद निर्णय, वह भी नीतिगत जिसका असर आने वाले कई दशकों तक रहेगा, अभी तक आजादी के बाद से नहीं देखा गया है।

यह इस बात का भी परिचायक है कि जितने भी मंत्रालयों, विभागों से यह प्रस्ताव गुजरा है, वहां कितने क़ाबिल लोग बैठे हैं? या यह भी हो सकता है कि सब के अंदर काम करने का और सही बात कहने का उत्साह और साहस ही खत्म हो गया हो! जैसा कि हर जगह देखा जा रहा है!

इसका जिक्र किया जा चुका है कि कैसे 2022 के सिविल सर्विसेज एक्जाम से 150 IRMS का इंडेंट भेजने पर एक व्यक्तिगत गोपनीय पार्टी में अपने को विश्वेश्वरैया से भी बड़ा इंजीनियर समझने वाले कबीले के नेता ने धनबल के ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से पूरी स्ट्रैटेजी बता डाली थी जो IRMSE के वर्तमान नोटिफिकेशन का शब्दशः था और जो चार विभागों को सीटें आवंटित की गई हैं, वह भी एकदम उतनी ही हैं।

उन नेता साहब, जो अभी रेलवे के अति महत्वपूर्ण माने जाने वाले पद पर कार्यरत है, ने जब देखा कि उस मीटिंग में शामिल बाकी अधिकारी उनकी इस स्ट्रैटेजी को लेकर उतने आशावादी नहीं दिख रहे थे, तब नेता जी ने फैज अहमद फैज की नज्म गुनगुनाया था, जिसे बाद में उनके कबीले के उनके कई करीबी गुनगुनाते रहते थे –

लाजिम है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिस का वादा है
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो गायब भी है, हाजिर भी
जो मंजर भी है, नाजिर भी
बस नाम रहेगा अल्लाह का…

अपने कबीले के प्रति जेहादी नेता ने इसका संदर्भ जोड़ते हुए यह कहा कि, “सर, बस अल्लाह की जगह इंजीनियर्स कर दीजिए! तो सन्दर्भ और आशय दोनों स्पष्ट हो जाएगा!”

ऐसे में अब, “बस नाम रहेगा इंजीनियर्स (अल्लाह) का!”

बस इसी जेहादी मानसिकता से ओवर कांफिडेंस में आकर यह हास्यास्पद नीतिगत निर्णय करवाया गया। इसी घटनाक्रम से समझने वाले समझ सकते हैं कि रेलवे के इस विभागवाद की जड़ कहां है?और मर्ज क्या है? यहां पर अब मर्ज को ही दवा बना दिया गया है।

हरिकेश की गति पर जिस तरह का तर्क रेलवे के ‘फैज अहमकों’ का होगा, उसी तरह का तर्क ये #IRMSE के लिए भी देंगे।

प्रधानमंत्री जी इस पूरे मामले को गंभीरता से देंखे, क्योंकि शुरुआती दौर में रेलवे को लेकर जिस तरह आपका इंवाल्वमेंट रहा, वह बताता है कि रेलवे आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन अब  कैजुअल या किसी खान मार्केट गैंग के भरोसे रेलवे के पूरे भविष्य को प्रभावित करने वाला निर्णय छोड़ना घातक होगा।

इसलिए प्रधानमंत्री जी, एक बार बिना किसी सलाहकार के रेलवे के इस कथित नीतिगत मगर हास्यास्पद निर्णय पर विचार अवश्य करें और अगर इसमें जेहादी मानसिकता वाली कोई थ्योरी नजर आए तो सभी को छुट्टी दें, और यह अगर सही लगे तो पर्दे के आगे और पर्दे के पीछे इसमे रहे सभी लोगों को पद्मविभूषण से सम्मानित करें!

रेलमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी आपकी कुर्सी भी ऐसे जेहादियों की ऐसी जेहादी सोच के कारण ही खतरे में आ रही है, क्योंकि रेलवे सहित तमाम ऐसे मंत्रालय हैं जिनका काम टेक्निकल ही है, अतः उन सब मंत्रालयों का मंत्री भी और देश का प्रधानमंत्री भी अब #BTech ही होना चाहिए।

कबीलों में समानता

रेलवे के इन टेक्निकल सर्विस और सिविल सर्विसेस से आए 52 साल की क्राइटेरिया के अति विशिष्ट योग्यता वाले कबीले में एक जबरदस्त समानता है। औऱ वह यह है कि टेक्निकल सर्विस के कबीले  किसी भी बेहतरीन और ईमानदार इंजीनियर को पनपने नहीं देते और केवल जितने गलत लोग हैं, उनको ही वे आगे बढ़ाते हैं, औऱ यही खासियत सिविल सर्विसेस के जोकरों की भी है कि वे भी किसी अच्छे अधिकारी को पनपने नहीं देते और अपनी ही तरह के लोगों को बढ़ावा देते हैं।

टेक्निकल लाबी के पैरोकारों का गिरोह हमेशा से  ईमानदार और बेहतरीन इंजीनियर्स की टारगेटेड किलिंग करता रहा है और सिविल सर्विसेस में ऊपर तक 52 साल की क्राइटेरिया अथवा कथित योग्यता के कारण पहुंचे जोकर भी अच्छे और ईमानदार अधिकारियों की टारगेटेड किलिंग करते रहें हैं।

इसीलिए इस रेल की व्यवस्था में श्रीधरन जैसे ईमानदार और बेहतरीन इंजीनियर्स अपनी क्षमता नहीं दिखा पाते हैं। वंदे भारत बनाने वाले बेहतरीन और ईमानदार इंजीनियर थोक भाव से चुन-चुनकर मार दिए जाते हैं, और इधर सिविल सर्विसेस में अजित सक्सेना जैसे बेहतरीन और ईमानदार अधिकारी उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते, जिसके वे वास्तव मे हकदार थे और जहां से ये लोग रेल की दिशा और दशा दोनों बदल सकते थे।

सब खान मार्केटिए छोड़ जाएंगे!

“खान मार्केट गैंग” (#KMG) के विषय में अधिकारियों में चर्चा है कि वर्तमान रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ जुड़े ये सभी एजेंडाधारी आगे-पीछे न केवल रेल छोड़ देंगे, बल्कि श्री वैश्णव को भी छोड़कर निकल लेंगे, क्योंकि इससे पहले पूर्व रेल मंत्रियों के साथ रहे रेलवे के अधिकारी शायद ही इतना अघा गए हों कि उन्हें और उनकी सात पुश्तों को कुछ भी करने की आवश्यकता पड़े।

प्रधानमंत्री जी, यह रेल मंत्रालय है, यहां कमाई के अनगिनत और अकूत साधन-संसाधन उपलब्ध हैं, रेल के अधिकारी रेलमंत्री के स्तर तक स्वयं उठने के बजाय उन्हें अपने निम्न स्तर पर उतारने में माहिर हैं, विश्वास न हो तो 2014 से अब तक के अपने चारों रेलमंत्रियों का हस्र स्वयं देख लें!

मोदी जी, रेलवे की यह दुर्दशा इसलिए भी हो रही है क्योंकि लोगों को यह बात अब तक समझ में नहीं आई है कि मोदी सरकार में राज्यसभा सांसदों को जनसाधारण से जुड़ा रेल मंत्रालय लगातार क्यों सौंपा जा रहा है? जो जनता के प्रति उत्तरदाई नहीं हैं, वे जनहित या सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर कोई निर्णय क्यों लेंगे? परिणामस्वरूप रेल का पूरा सिस्टम #KMG के चलते चौपट हो चुका है, चौतरफा भ्रष्टाचार का बोलबाला है, और इसका खामियाजा मोदी सरकार को ही भुगतना ही पड़ेगा, आज नहीं तो कल! क्योंकि नीति और नीयत की धांधली लोगों को अब बखूबी समझ में आ रही है!

अब यह गैंग, #RailSamachar की खबर के बाद, अपने एजेंडे का पर्दाफाश होने पर यह कह रहा है कि #corrigendum निकालकर इसमें #Management कोर्स वालों को भी शामिल कर लिया जाएगा! प्रधानमंत्री जी, यह क्या हो रहा है रेलवे में! आखिर रेल को रसातल में क्यों ले जाया जा रहा है! कृपया गंभीरतापूर्वक इस पर विचार करें प्रधानमंत्री जी!