फॉलोअप : दक्षिण रेलवे मजदूर यूनियन : मान्यताप्राप्त संगठन या माफिया???
दक्षिण रेलवे में लगातार जारी है यूनियन की दादागीरी, रेल प्रशासन किंकर्तव्यविमूढ़
रे. बो. के दिशा-निर्देश लागू करने हेतु एसआरओए और एसआरपीओए ने लिखा महाप्रबंधक को पत्र
वोटिंग के हिसाब से 42 और कुल संख्या के अनुसार 90, मगर हैं 180 से ज्यादा यूनियन शाखाएं
सभी रेलवे ग्राउंड्स यूनियन के कब्जे में, भाड़े पर उठाकर करोड़ों की अवैध कमाई करती है यूनियन
अपने ही ग्राउंड्स पर विभागीय कार्यक्रम करने हेतु रेल प्रशासन को लेनी पड़ती है यूनियन से अनुमति
सुरेश त्रिपाठी
दक्षिण रेलवे में एकमात्र मान्यताप्राप्त यूनियन और उसके एकमात्र शीर्ष पदाधिकारी की दादागीरी लगातार जारी है. जबकि रेल प्रशासन किंकर्तव्यविमूढ़ या दिग्भ्रमित है और वह यूनियन की दादागीरी को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है, जिससे यूनियन की उद्दंडता और मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है तथा वह स्वयं को सर्वोपरि मानते हुए ही व्यवहार कर रही है. शुक्रवार, 15 अप्रैल को भी ऐसा ही एक दृश्य पेरम्बूर रेलवे ग्राउंड पर हुआ, जहां रेलवे के एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी के साथ यूनियन नेता के व्यक्तिगत सुरक्षा रक्षकों ने सिर्फ इसलिए धक्कामुक्की और गाली-गलौज किया, क्योंकि यूनियन नेता को उक्त ग्राउंड पर सुबह की चहलकदमी करनी थी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त खिलाड़ी अपने कुछ सहायकों को सुबह छह बजे से पेरम्बूर स्थित रेलवे ग्राउंड पर प्रशिक्षण दे रहा था. करीब 6.40 बजे यूनियन नेता उर्फ पार्सल पोर्टर अपने निजी सुरक्षा रक्षकों के साथ ग्राउंड पर आया. तभी वहां उक्त खिलाड़ी सहित प्रशिक्षण ले रहे रेलकर्मियों को यूनियन नेता के रक्षकों ने ग्राउंड से बाहर चले जाने को कहा. उनके मना करने पर रक्षकों ने उनके साथ धक्कामुक्की और गाली-गलौज शुरू कर दिया. कहासुनी बढ़ने पर वहां बड़ी संख्या में रेलकर्मी इकट्ठे हो गए और उन्होंने यूनियन नेता और उसके निजी रक्षकों को चारों ओर से घेर लिया. मामला अधिक गंभीर रुख अख्तियार करता कि तभी किसी के कॉल कर देने पर वहां स्थानीय सेम्बियम थाने की पुलिस पहुंच गई और उसने उक्त यूनियन नेता को किसी तरह बचाकर वहां से निकाला.
बाद में पता चला कि उक्त खिलाड़ी और उससे प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रेलकर्मी दक्षिण रेलवे एम्प्लाइज संघ (एसआरईएस) के सदस्य थे. बहरहाल दोनों तरफ से किसी ने भी पुलिस में उक्त घटना की लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई है. तथापि एसआरईएस के एक पदाधिकारी का कहना था कि प्रतिपक्षी यूनियन के नेता और उसके निजी रक्षकों ने उसके सदस्यों के साथ मारपीट और गाली-गलौज किया. उसका कहना था कि यूनियन नेता ने दक्षिण रेलवे के सभी रेलवे ग्राउंड्स को अपनी निजी संपत्ति बना लिया है. वह जब अपने निजी रक्षकों के साथ किसी राजा-महाराजा की तरह टहलने निकलता है, तो ग्राउंड में खेल रहे सभी रेलकर्मियों और बच्चों को वहां से जबरन हटा दिया जाता है.
उनका कहना है कि इस ग्राउंड को उक्त यूनियन नेता के नाम से जाना जाता है, जिसने पिछले करीब 10-12 सालों से दक्षिण रेलवे के लगभग सभी रेलवे ग्राउंड्स को अपनी निजी संपत्ति बना रखा है. जबकि यूनियन नेता का कहना है कि एसआरईएस के लोग तब से उसके खिलाफ मुहिम चला रहे हैं, जब से उसका सीसीएम के साथ विवाद हुआ है. इस घटना के बाद एसआरईएस ने यूनियन नेता के विरुद्ध उचित विभागीय कार्रवाई न किए जाने और रेलवे ग्राउंड्स को यूनियन के कब्जे से मुक्त न कराने के विरोध में रेल प्रशासन और उच्च रेल अधिकारियों के खिलाफ एक मोर्चा भी निकाला.
एसआरईएस के पदाधिकारियों सहित दक्षिण रेलवे के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों का भी यही कहना है कि पिछले 10-12 सालों से यूनियन और उसके पार्सल पोर्टर नेता ने दक्षिण रेलवे के लगभग सभी रेलवे ग्राउंड्स, जिनमें सीनियर एवं जूनियर रेलवे इंस्टिट्यूट्स भी शामिल हैं, पर न सिर्फ अपना अवैध कब्जा बना रखा है, बल्कि उन्हें अपनी निजी संपत्ति की तरह इस्तेमाल करके सालाना उनसे करोड़ों की अवैध कमाई भी यूनियन नेता द्वारा की जा रही है. उनका यह भी कहना है कि यह सब रेल प्रशासन की जानकारी में हो रहा है, मगर रेल प्रशासन इन रेलवे ग्राउंड्स को अपने कब्जे में लेने के लिए कोई भी कदम इसलिए नहीं उठा रहा है, क्योंकि दक्षिण रेलवे और खासतौर पर चेन्नई में ही लंबे समय से जमे हुए एसडीजीएम, सीपीओ और सीएओ/सी जैसे कुछ अन्य अधिकारी यूनियन नेता की इस अवैध कमाई में भागीदार बने हुए हैं.
हाल ही में यूनियन द्वारा अपनी कुछ महिला सदस्यों को भेजकर सीसीएम के खिलाफ भी अपना पुराना छिछोरेपन वाला हथकंडा अपनाने और गलत आचरण का आरोप लगाकर उन्हें भी फर्जी दुर्व्यवहार के मामले में फंसाने की जो कोशिश की गई थी, उसमें यूनियन को मुंह की खानी पड़ी है. इससे उक्त सभी महिला सदस्यों सहित दक्षिण रेलवे के सभी कर्मचारी और अधिकारी यूनियन की दुश्चरित्रता के विरुद्ध लामबंद हो गए हैं. मुख्य प्रतिपक्षी श्रमिक संगठन एसआरईएस, एससी/एसटी एवं ओबीसी सहित दक्षिण रेलवे के सभी कैडर आधारित संगठनों ने तो एकजुट होकर यूनियन की मान्यता रद्द किए जाने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन तक किया है.
जबकि डायरेक्ट और डिपार्टमेंटल अफसरों के दोनों मान्यताप्राप्त संगठनों – ‘सदर्न रेलवे ऑफिसर्स एसोसिएशन’ (एसआरओए) एवं ‘सदर्न रेलवे प्रमोटी ऑफिसर्स एसोसिएशन’ (एसआरपीओए) – ने 31 मार्च को महाप्रबंधक/द.रे. को एक लिखित संयुक्त ज्ञापन देकर मांग की है कि अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ मारपीट, गाली-गलौज और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार इत्यादि के गलत एवं फर्जी आरोपों सहित यूनियन की तमाम अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाई जाए. उक्त ज्ञापन की प्रति ‘रेलवे समाचार’ के पास सुरक्षित है.
दोनों मान्यताप्राप्त जोनल ऑफिसर्स एसोसिएशनों ने इससे पहले यूनियन के खिलाफ 30 सितंबर 2014 और 1 जून 2015 को दिए गए अपने संयुक्त ज्ञापनों का हवाला देते हुए लिखा है कि यूनियन की दादागीरी को रोका जाना चाहिए. उन्होंने ज्ञापन में लिखा है कि यूनियन की दादागीरी न सिर्फ लगातार बढ़ रही है, बल्कि यूनियन के पदाधिकारियों द्वारा अधिकारियों के साथ आए दिन मारपीट, गाली-गलौज और अपशब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके साथ ही जो अधिकारी यूनियन की अवैध और नियम-विरुद्ध मांगों को नहीं मानते हैं, उन पर दुश्चरित्रता का फर्जी आरोप लगाकर यूनियन द्वारा उन्हें न सिर्फ बदनाम किया जा रहा है, बल्कि चरित्रहनन करके उनकी छवि और कैरियर भी बरबाद किया जा रहा है. उन्होंने लिखा है कि यूनियन की ऐसी गलत गतिविधियों और अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार में वर्ष 2013 के श्रमिक संगठनों का चुनाव जीतने के बाद बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है, क्योंकि उक्त चुनाव में वोटिंग औसत के आधार पर इस एकमात्र यूनियन को मान्यता मिली है.
दोनों अधिकारी संगठनों ने ज्ञापन में आगे लिखा है कि हाल ही में सीसीएम/द.रे. के चेंबर में यूनियन द्वारा अपनी कुछ दुष्ट प्रकृति की महिला सदस्यों को भेजकर सचरित्र और सदाचारी सीसीएम को महिलाओं के साथ दुश्चरित्रता एवं दुर्व्यवहार के फर्जी मामले में फंसाने की अत्यंत निंदनीय कोशिश की गई, इससे दक्षिण रेलवे के सभी अधिकारियों में एक भयानक चिंता और भय का वातावरण बन गया है तथा अधिकारी वर्ग अपने कर्तव्य के निर्वाह में खुद को असमर्थ महसूस कर रहा है. उन्होंने लिखा है कि यूनियन की ऐसी सोची-समझी और पूर्व नियोजित गतिविधियां कतई मान्य नहीं हो सकती हैं. ज्ञापन में यूनियन द्वारा विगत में की गई ऐसी आठ घटनाओं का भी विवरण दिया गया है, जिनमें यूनियन ने अधिकारियों के साथ अपशब्दों के इस्तेमाल सहित उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज करने तथा उन पर दुश्चरित्रता/दुर्व्यवहार के फर्जी आरोप लगाकर उनका भीषण उत्पीड़न किया है.
1. यूनियन ने पेरम्बूर स्थित रेलवे हॉस्पिटल के चीफ फिजीशियन डॉ. कलानिधि का घेराव करके उनके साथ आईसीयू में मारपीट और गाली-गलौज किया, जबकि वहां गंभीर मरीजों का इलाज चल रहा था. इससे आईसीयू सहित हॉस्पिटल के सभी मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. उन्होंने इसके साथ सीपीओ/द.रे. द्वारा इस संबंध में यूनियन के महामंत्री को लिखे गए कंडीशनल लेटर की प्रति भी जोड़ी है.
2. दि. 23.09.2014 को यूनियन पदाधिकारियों ने पालघाट मंडल के सीनियर डीएफएम तिट्टी जॉन के साथ एडीआरएम की उपस्थिति में मंडल पीएनएम के दौरान बैठक कक्ष में ही मारपीट और गाली-गलौज किया. इससे यूनियन ने मंडल के सभी ब्रांच अधिकारियों में मानसिक एवं शारीरिक भय का वातावरण बना दिया. इसकी प्रति भी संलग्न की गई है.
3. इसी प्रकार यूनियन ने तत्कालीन डीईई/आरएस/वीएलसीवाई सत्यरतन का घेराव करके उन्हें एक फर्जी मामले में फंसाया था.
4. तत्कालीन सीनियर डीईई/आरएस/आरपीएम रामनाथन का ड्यूटी के दौरान घेराव करके उनके साथ यूनियन पदाधिकारियों ने मारपीट और गाली-गलौज की थी.