यूनियन की मान्यता रद्द किए जाने की अधिकारी/कर्मचारी संगठनों की मांगaft
रेलवे बोर्ड ने मांगी दक्षिण रेलवे से यूनियन की दादागीरी से संबंधित रिपोर्ट
हिंदी भाषी बनाम तमिल भाषी अधिकारी/कर्मचारी का मुद्दा बनाने की घटिया चाल
सीनियर डीसीएम/टीपीजे पर हमला यूनियन को पड़ा महंगा, 11 कर्मचारी निलंबित
यूनियन ने दिया रेल प्रशासन और सीसीएम को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी
सीसीएम/द.रे. के विरुद्ध यूनियन करेगी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ यानि घर में घुसकर मारेगी
सुरेश त्रिपाठी
सीनियर डीसीएम/तिरुचिरापल्ली मंडल अरुण थॉमस पर उनके चैम्बर में घुसकर 5 अक्टूबर को किया गया हमला सदर्न रेलवे मजदूर यूनियन (एसआरएमयू) के कुछ मंडल पदाधिकारियों और उनके सहयोगी करीब 20-25 रेलकर्मियों को अब काफी महंगा पड़ रहा है. वाणिज्य विभाग के चार रेलकर्मियों को तत्काल दूसरे दिन ही निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद एक-एक की पहचान करके बाकी विभागों के कर्मचारियों को भी उनके विभागीय अधिकारियों द्वारा बाद में निलंबित किया गया. इस प्रकार उक्त हमले में शामिल कुल 11 रेलकर्मियो को अब तक निलंबित किया जा चुका है. रेल प्रशासन इस मामले में इस बार यूनियन पदाधिकारियों के विरुद्ध काफी सख्त और गंभीर रुख अपना रहा है. पता चला है कि अगले हप्ते होने वाली द. रे. के दोनों संवर्ग के अधिकारी संगठनों की संयुक्त बैठक में यूनियन की मान्यता रद्द किए जाने का प्रस्ताव पारित करके रेल प्रशासन से इसकी सिफारिश की जाने वाली है. यदि वास्तव में यूनियन की मान्यता रद्द होती है, तो यह टकराव और ज्यादा बढ़ने की संभावना है.
रेलवे बोर्ड ने भी तिरुचिरापल्ली मंडल में सीनियर डीसीएम के साथ घटित घटना को काफी गंभीरता से लिया है. उधर एसआरएमयू को छोड़कर दक्षिण रेलवे के सभी विपक्षी एवं कैडर संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से 25 अप्रैल 2016 को दिए गए ज्ञापन पर रेलवे बोर्ड स्थापना निदेशालय की डिप्टी डायरेक्टर-2 निर्मला यू. तिर्के ने 10 अगस्त 2016 को एक पत्र लिखकर दक्षिण रेलवे प्रशासन (जीएम) से यूनियन की तमाम अवांछित एवं आपराधिक गतिविधियों की रिपोर्ट मांगी है. सुश्री तिर्के ने उक्त ज्ञापन में उल्लेखित मान्यताप्राप्त यूनियन के पदाधिकारियों अथवा सदस्यों द्वारा कर्मचारियों और अधिकारियों पर किए गए 29 मामलों में लक्षित हमलों, जिनमें कुछ हिंसक और कुछ शारीरिक शोषण के आरोपों से संबंधित हैं, पर विशेष रूप से जीएम की ओपिनियन मांगी है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुश्री तिर्के द्वारा मांगी गई रिपोर्ट के परिप्रेक्ष्य में सीपीओ/द.रे. ने 24 अगस्त 2016 को द. रे. के सभी छह मंडलों के मंडल रेल प्रबंधकों को पत्र भेजकर उक्त संयुक्त ज्ञापन में दिए गए मुद्दों पर उनके विस्तृत रिमार्क देने को कहा है. इसमें हाल ही में यूनियन पदाधिकारियों द्वारा ऐर्यलूर में एक ट्रैकमैन पर किए गए हमले का भी उल्लेख है. उल्लेखनीय है कि ‘रेलवे समाचार’ ने दि. 17.04.2016 को इसी वेबसाइट पर ‘फॉलोअप : दक्षिण रेलवे मजदूर यूनियन : मान्यताप्राप्त संगठन या माफिया?’ शीर्षक से उक्त तमाम मुद्दों पर पर्याप्त प्रकाश डाला था. तथापि, ऐसा लगता है कि जब सारी कसरत करके भी सीसीएम का ट्रांसफर संभव नहीं हो पाया, तब रेलवे बोर्ड ने उक्त ज्ञापन पर संज्ञान लिया है. हालांकि यूनियन के दबाव में एक सांसद पुनः इस मुद्दे पर दबाव बनाने हेतु गत सप्ताह रेलवे बोर्ड पहुंचे थे, परंतु सूत्रों का कहना है कि संबंधित बोर्ड अधिकारियों ने इस मामले पर उनके सामने तमाम तथ्य प्रस्तुत करके उन्हें बैरंग वापस कर दिया.
इस दरम्यान सदर्न रेलवे ऑफिसर्स एसोसिएशन (एसआरओए) ने एक ज्ञापन पर सभी अधिकारियों से हस्ताक्षर करने की अपील की है, जिससे 14 अक्टूबर के बाद होने वाली एसोसिएशन की बैठक के बाद उक्त ज्ञापन महाप्रबंधक को सौंपकर अखिल भारतीय रेल सेवा के अधिकारियों का उत्पीड़न करने और उन्हें धमकाने के आरोप में यूनियन (एसआरएमयू) की मान्यता रद्द किए जाने की मांग पर दबाव बनाया जा सके. उक्त ज्ञापन में यूनियन के कुछ पदाधिकारियों को नामजद करते हुए उनके संबंध में यह भी लिखा गया है कि वे अधिकारियों के साथ बदतमीजी से पेश आते हैं, धमकाते हैं, परिवार सहित जान से मार देने की धमकी देते हैं, और अब तक कई अधिकारियों के विरुद्ध झूठे आपराधिक मामले दर्ज करवाकर उन्हें फंसा चुके हैं. पता चला है कि एसआरओए द्वारा इस मामले को रेलवे बोर्ड स्तर पर भी उठाया जाने वाला है. इसके अलावा अगले हप्ते मुंबई में होने जा रही सीसीएम कांफ्रेंस में यह मुद्दा उठ सकता है. बताते हैं कि मंडलों से मांगे गए रिमार्क्स आने में काफी देरी हो रही है और यही सीपीओ की असली चाल है, क्योंकि मंडलों के रिमार्क्स आने और मुख्यालय में उनको कंपाइल करके रेलवे बोर्ड भेजने तक कावेरी का बहुत सारा पानी सूख चुका होगा, यानि सारा मामला ठंडा हो जाएगा और इस तरह से यूनियन की मदद करने में सीपीओ और एसडीजीएम कामयाब हो जाएंगे.
उल्लेखनीय है कि एसआरएमयू के तिरुचिरापल्ली मंडल के मंडल सचिव पी. पलानिवेल (रिटायर्ड) के नेतृत्व में सीटीआई वी. थमाराई सेल्वन, सीटीआई बी. जयचंद्रन, ईसीआरसी सैयद ताजुद्दीन असलम, चीफ पार्सल क्लर्क एवं सहायक मंडल सचिव एफ. एक्स. इसाक जॉनसन, जी. नागराज, मैट्रन शांति थंगम, मुरुगन, रावनादास और एम. ए. मार्टिन आदि पदाधिकारियों के साथ करीब 25-30 सदस्यों ने बुधवार, 5 अक्टूबर को दोपहर करीब 12 बजे सीनियर डीसीएम अरुण थॉमस के चैम्बर में अचानक घुसकर उनके साथ कथित गाली-गलौज और मारपीट की. उपरोक्त यूनियन पदाधिकारियों ने चैम्बर को अंदर से बंद कर लिया था और थॉमस की मदद के लिए किसी को भी चैम्बर में आने नहीं दिया. अन्य ब्रांच अधिकारियों और कुछ कर्मचारियों द्वारा काफी मशक्कत करने के बाद उक्त ‘माफिया ग्रुप’ चैम्बर का दरवाजा खोलकर धमकी देते हुए वहां से चलता बना. थॉमस ने उसी दिन यूनियन पदाधिकारियों के खिलाफ पुलिस में नामजद एफआईआर दर्ज करवाई थी. बाद में यूनियन ने भी थॉमस के विरुद्ध पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी.
उपरोक्त घटना के दूसरे दिन गुरुवार, 6 अक्टूबर को यूनियन के चार पदाधिकारियों – चीफ पार्सल क्लर्क/त्रिची एवं सहायक मंडल सचिव एफ. एक्स. इसाक जॉनसन, सीटीआई/त्रिची वी. थमाराई सेल्वन, सीटीआई/मयिलादुथुराई बी. जयचंद्रन और ईसीआरसी/त्रिची सैयद ताजुद्दीन असलम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद ट्रेन क्लर्क राजा, एसएसई/पी-वे रावनादास, टेक्नीशियन/इले. जी. नागराजन, मैट्रन/रेलवे हॉस्पिटल, पोन्नामलाई शांति थंगम, फिटर एम. ए. मार्टिन, टीटीई द्वय मोहम्मद शफी एवं पी. एन. गोवशिगन को भी क्रमशः पहचान करने के पश्चात् निलंबित किया गया है. उल्लेखनीय है कि यूनियन पदाधिकारियों ने थॉमस पर इसलिए जानलेवा हमला किया था, क्योंकि उन्होंने कुछ चेकिंग स्टाफ सहित कई अन्य वाणिज्य कर्मियों के काफी समय से लंबित तबादले का आदेश जारी कर दिया था. ज्ञातव्य है कि दक्षिण रेलवे के किसी भी मंडल में पिछले करीब 20 सालों से टिकट चेकिंग स्टाफ का कोई लिंक रजिस्टर नहीं बनाया जा रहा था, जिससे एक ही ट्रेन में कई-कई मंडलों और जोनों का टिकट चेकिंग स्टाफ अपनी मर्जी और सुविधा के मुताबिक ड्यूटी कर रहा था. यही हाल बुकिंग क्लर्कों का भी है, जिनका कोई ड्यूटी रोस्टर सालों से नहीं है.
इसके परिणामस्वरूप यूनियन के पिट्ठू बुकिंग क्लर्क चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर और एमएमसी काम्प्लेक्स स्थित बुकिंग कार्यालय में सुबह के समय जब दिल्ली, हावड़ा, मुंबई, लखनऊ इत्यादि के लिए बड़ी संख्या में लंबी दूरी की गाड़ियां छूटती हैं, तब वह बमुश्किल दो-ढ़ाई घंटे टिकट बुकिंग काउंटर्स में बैठते थे और चार-पांच काउंटर बंद करके तीन-चार काउंटर्स से ही भारी भीड़ में कम पढ़े-लिखे, अनपढ़ यात्रियों को दो-तीन सौ रुपए अतिरिक्त ओवर चार्ज करके इतने ही समय में 14 से 15 हजार रुपए कमाकर काउंटर छोड़कर चले जाते थे. उसके बाद नॉन-पीक ऑवर में उनके द्वारा भाड़े पर रखे गए बाहरी लोग टिकट बांटते थे. अधिकारी बताते हैं कि इसमें यूनियन और उनके पिट्ठुओं के साथ विजिलेंस की भी मिलीभगत चल रही रही थी.
इसका साक्षात् प्रमाण तब मिल गया, जब चेन्नई के एक बुकिंग सुपरवाइजर को निलंबित करते हुए सभी बुकिंग काउंटर्स का ड्यूटी रोस्टर बनाया गया, तब यूनियन के पिट्ठू करीब 14-15 बुकिंग क्लर्क एक साथ बीमारी का बहाना करके सिक लीव पर चले गए. जब वहां अन्य स्टेशनों से बुलाकर नए बुकिंग क्लर्क काम कर रहे थे, तब बताते हैं कि यूनियन और उसके पिट्ठुओं के इशारे पर विजिलेंस ने पूरे दिन उन नए बुकिंग क्लर्कों के काउंटर्स के साथ-साथ उनकी भी जामातलाशी ली, जिसमें निजी नकदी की घोषणा, जिसका रजिस्टर न जाने कब से वहां नहीं बना था, न करने वाली दो-तीन महिला बुकिंग क्लर्कों के खिलाफ मामला बनाकर विजिलेंस ने अपने कर्तव्य की इतिश्री की. इससे दूसरे स्टेशनों से आए सारे नए बुकिंग क्लर्क बुरी तरह डर गए, इस कथित जांच के पीछे यही यूनियन और विजिलेंस की चाल थी. बताते हैं कि इसके पहले पिछले दसियों सालों से कभी-भी विजिलेंस ने उक्त बुकिंग कार्यालयों पर छापामारी नहीं की थी, बल्कि कोटा (टारगेट) पूरा करने के लिए पहले से इंगित करके रखे गए कर्मचारियों के मामले विजिलेंस को दिए जाते रहे हैं. जानकारों का कहना है कि विजिलेंस की इसी मिलीभगत के चलते द. रे. में यूनियन नामक माफिया इतना विशाल रूप धारण कर पाया है.
सीनियर डीसीएम/त्रिची अरुण थॉमस पर किए गए कथित हमले के परिप्रेक्ष्य में एक साथ 11 पदाधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर दिए जाने से यूनियन के लोग बौखला गए हैं. उन्होंने सबसे पहले 8 अक्टूबर को उधर त्रिची में टिकट चेकिंग और अन्य वाणिज्य स्टाफ के 40-50 लोगों को इकठ्ठा करके रेल प्रशासन के खिलाफ मोर्चा निकाला और सीसीएम एवं सीनियर डीसीएम के विरुद्ध मुर्दाबाद के नारे लगाए. इधर एमएमसी काम्प्लेक्स, चेन्नई में एक दिवसीय उपवास धरना आयोजित किया गया. हालांकि उक्त धरने में कुल मिलकर लगभग 50-60 कर्मचारियों ने ही भाग लिया, मगर इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में 100 लोगों के शामिल होने की बात कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनियन के अध्यक्ष सी. ए. राजाश्रीधर ने धरने में शामिल लोगों को संबोधित करते समय रेल प्रशासन को और अपरोक्ष रूप से सीसीएम को धमकी देते हुए कहा कि सीसीएम त्रिची के चार लोगों का ट्रांसफर करके एसआरएमयू को कम करके आंक रहे हैं, जिसके लिए उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि रेल प्रशासन को कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए, वरना उसके खिलाफ एसआरएमयू द्वारा ‘ट्रेड यूनियन ऐक्शन’ लिया जाएगा.
राजाश्रीधर के जाने के बाद और धरने के अंत में करीब दो घंटे तक यूनियन के पदाधिकारी (एजीएस) जी. ईश्वर लाल(रिटायर्ड) ने उपस्थित कर्मचारियों को संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन में मुख्य रूप से सीसीएम, डीआरएम/चेन्नई और सीनियर डीसीएम/चेन्नई को टारगेट किया. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह अधिकारी मुख्यतः उत्तर भारतीय हैं, और इसीलिए वह हिंदी भाषी स्टाफ को वरीयता देते हैं. उन्होंने कहा कि सीसीएम ने एकसाथ सभी स्क्वाड को खत्म कर दिया है, जिससे रेलवे को 3-4 करोड़ रुपए का मासिक नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि टिकट चेकिंग और अन्य वाणिज्य स्टाफ को कम कर दिए जाने से इस रेलवे पर बेटिकट यात्रियों की संख्या बढ़ गई है, जिससे द. रे. और प्रधानमंत्री का नाम ख़राब हो रहा है.
ईश्वर लाल ने आगे कहा कि एक दिवसीय भुख हड़ताल के रूप में एसआरएमयू का यह पहला कदम है. उन्होंने कहा कि सीसीएम रेलमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं हैं. उनका कहना था कि जब सीसीएम ने यहां का चार्ज संभाला था, तब उन्होंने हमारे अध्यक्ष को आश्वस्त किया था कि सभी मुद्दों का हल बातचीत के जरिए निकाला जाएगा, मगर वह अपने ही दिए गए आश्वासन से मुकर गए हैं और एसआरएमयू स्टाफ(?) के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आज सीसीएम ने चार कर्मचारियों को निलंबित किया है, मगर जब हम कल 20 हजार लोगों को लेकर उन पर चढ़ाई करेंगे, तब क्या वह 20 हजार लोगों को भी निलंबित कर पाएंगे? उन्होंने सीसीएम को ‘बिन मांगी सलाह’ देते हुए यह भी कहा कि बेहतर होगा कि वह अपना रवैया बदल लें, वरना गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें.
इसी मौके पर ईश्वर लाल ने स्थानीय अंग्रेजी दानिक टाइम्स ऑफ इंडिया और डेली थांथी (डीटी नेक्स्ट) के पत्रकारों को भी आड़े हाथों लिया और उन्हें लगभग धमकी देते हुए कहा वे यूनियन के खिलाफ गलत एवं प्लांटेड खबरें प्रकाशित कर रहे हैं. इसी प्रवाह में ईश्वर लाल ने यह भी कहा कि जिस प्रकार भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की है, ठीक उसी तर्ज पर एसआरएमयू द्वारा रेल प्रशासन और सीसीएम के विरुद्ध भी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की जाएगी, जिसका परिणाम बहुत भयंकर होगा. उन्होंने यह भी कहा कि एसआरएमयू एकमात्र यूनियन है, जो भ्रष्टाचार से मुक्त है और कर्मचारीगण स्वतःस्फूर्त उसको दान (डोनेशन)(?) देते हैं. अंत में उन्होंने एक बार पुनः रेल प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि या तो वह सुधर जाए, वरना बड़े पैमाने पर आंदोलन का सामना करने को तैयार रहे.
उल्लेखनीय है कि इन्हीं जी. ईश्वर लाल, जिन्हें द. रे. के कर्मचारी, विशेष रूप से चेन्नई मंडल के कर्मचारीगण, ‘सबसे भ्रष्ट’ का तमगा लगाकर और ‘ग.. ईश्वर लाल’ की संज्ञा देकर आपसी बातचीत में उद्धृत करते हैं, ने ट्वीटर पर लिखा है कि जिस प्रकार जीएम/द.रे. सीसीएम के चरणों में झुके हुए हैं, उसी प्रकार ‘रेलवे समाचार’ भी सीसीएम के चरणों का दास बन गया है. हालांकि ‘रेलवे समाचार’ ने ईश्वर लाल को ट्वीटर पर ही माकूल जवाब दे दिया है. अब जरा उनके भाषण का भी विश्लेषण कर दिया जाए.
जहां एसआरएमयू अध्यक्ष राजाश्रीधर ने काफी संयत शब्दों या भाषा में रेल प्रशासन को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है, वहीं ईश्वर लाल, जिसका इस्तेमाल यूनियन द्वारा हिंदी भाषी या हिंदी बोलने/समझने वाले के रूप में आगे करके किया जा रहा है, ने यूनियन की भ्रष्ट लड़ाई को भाषाई रंग देते हुए हिंदी भाषी बनाम तमिल भाषी अधिकारियों/कर्मचारियों का मुद्दा बना देने की कुत्सित कोशिश की है.
जहां तक रेलवे को 3-4 करोड़ रुपए मासिक नुकसान होने का ईश्वर लाल का दावा है, यह आंकड़ों से वह सिद्ध नहीं कर सकता, उसने कर्मचारियों को भड़काने के लिए उक्त दोनों मुद्दे उछाले हैं, क्योंकि रेल प्रशासन अथवा सीसीएम द्वारा स्टाफ की ट्रांसफर/पोस्टिंग से संबंधित रेलवे बोर्ड के नियम लागू करने के बाद रेलवे की आमदनी घटी नहीं, बल्कि बढ़ी है. प्रधानमंत्री और रेलमंत्री का नाम लेकर भी उसने कर्मचारियों को उकसाने और उनमें जोश भरने की कोशिश इसलिए की है, क्योंकि उसे अब धरने-मोर्चे के लिए आदमी नहीं मिल रहे हैं. पहले जब सब यूनियन को उसका ‘कट’ देकर मनमानी और मन-मुताबिक ड्यूटी कर रहे थे, तब उसकी एक हांक पर सब इकट्ठे हो जाते थे, जो कि अब रोस्टर और लिंक एवं नियमानुसार ड्यूटी करने के बाद संभव नहीं रह गया है. इसलिए वह और उसके जैसे अन्य यूनियन पदाधिकारी बहुत बुरी तरह से बौखला गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि सीसीएम बाबाओं की शरण में हैं, इसीलिए वह उसके जैसे भ्रष्ट और अनैतिक नहीं हुए हैं.
अब जहां तक ईश्वर लाल द्वारा दी गई गर्वोक्तिपूर्ण ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की धमकी की बात है, तो अधिकारियों का कहना है कि सर्वप्रथम यह कि रेल प्रशासन ने चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं, और न ही राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन उसकी यूनियन के पास गिरवी है, जो वह तथाकथित सर्जिकल स्ट्राइक करके किसी अधिकारी या कर्मचारी को उसके घर में घुसकर मार डालेगा और सारी व्यवस्था हाथ में हाथ रखकर उनकी बहादुरी के कारनामे देखती रहेगी. अधिकारियों को इस बात की आशंका अवश्य है कि यूनियन द्वारा यह कथित ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ बाहरी लोगों द्वारा करवाई जा सकती है. जहां ईश्वर लाल यह कह रहे रहे थे कि एसआरएमयू एकमात्र यूनियन है जो कि‘करप्शन फ्री’ है, तो उनकी यह घटिया गर्वोक्ति सुनकर वहां उपस्थित दिनभर उपवास पर रहे कर्मचारी ही अपना मुंह फेरकर व्यंग्य से हंस रहे थे.
जबकि पूरी भारतीय रेल को इस बारे में बखूबी मालूम है कि एसआरएमयू का चरित्र कैसा है? सबको पता है कि यूनियन के चेन्नई मंडल के मंडल सचिव की प्रतिदिन की अवैध कमाई कितनी है? 43 अथवा कुल 90 के बजाय 180 से ज्यादा अवैध यूनियन शाखाएं किस तरह चलाई जा रही हैं? किस तरह कर्मचारियों से यूनियन द्वारा रोजाना और सालाना ‘दान’ वसूल किया जाता है? किस तरह तमाम रेलवे इंस्टिट्यूट पर कब्जा करके उनसे अवैध कमाई की जा रही है? बहरहाल, अब यह रेल प्रशासन और रेलवे बोर्ड को तय करना है कि आखिर रेल व्यवस्था में ‘यूनियन’ होने का क्या अर्थ है?