यूनियन पदाधिकारियों ने सीनियर डीसीएम को कमरे में बंद करके की मारपीट

एसआरएमयू पदाधिकारियों द्वारा सीनियर डीसीएम/तिरुचिरापल्ली के साथ दुर्व्यवहार

सीनियर डीसीएम अरुण थॉमस ने लिखाई यूनियन पदाधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर

दक्षिण रेलवे में यूनियन माफिया के समक्ष नपुन्शकत्व को प्राप्त हो गया है रेल प्रशासन

तिरुचिरापल्ली : दक्षिण रेलवे की अकेली मान्यताप्राप्त यूनियन, सदर्न रेलवे मजदूर यूनियन (एसआरएमयू) और वाणिज्य विभाग के साथ लगातार संघर्ष कायम है. यूनियन पदाधिकारी मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (सीसीएम) अजीत सक्सेना को न हटवा पाने की खुन्नस अब अन्य वाणिज्य अधिकारियों के साथ गाली-गलौज, मारपीट और दुर्व्यवहार करके निकाल रहे हैं. यूनियन द्वारा सीसीएम सक्सेना को अन्यत्र ट्रांसफर कराने की तमाम कोशिशें नाकामयाब हो गई हैं. यूनियन ने जोन से लेकर रेलवे बोर्ड तक और केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों तक भी अपनी दौड़ लगाकर सीसीएम का ट्रांसफर कराने की तमाम कोशिशों में कोई कसर बाकी नहीं रखी. तथापि वह इसमें अब तक कामयाब नहीं हो पाई है. यहां यूनियन पदाधिकारियों पर वह कहावत लागू होती है कि ‘धोबी से नहीं जीते, तो गधे के ही कान उमेठने लगे.’

‘रेलवे समाचार’ को प्राप्त जानकारी के अनुसार एसआरएमयू के करीब 25-30 कार्यकर्ता और पदाधिकारी सहायक महासचिव इसाक जॉनसन एवं मंडल सचिव पी. पलानिवेल के नेतृत्व में दोपहर लगभग 12 बजे सीनियर डीसीएम/तिरुचिरापल्ली मंडल अरुण थॉमस के चैम्बर में बिना किसी पूर्व सूचना अथवा अनुमति के ही अचानक घुस गए और चैम्बर का दरवाजा अंदर से बंद करके उनके साथ कथित तौर पर मारपीट तथा गाली-गलौज किया. यह घटना बुधवार, 5 अक्टूबर की है. श्री थॉमस ने यूनियन पदाधिकारियों के विरुद्ध कैंटोनमेंट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई है. घटना की जानकारी मिलने पर सीसीएम अजीत सक्सेना ने गुरुवार, 6 अक्टूबर को यूनियन के चार पदाधिकारियों – पार्सल क्लर्क एवं सहायक महासचिव इसाक जॉनसन, टीटीआई वी. थमाराई सेल्वन, सीटीआई बी. जयचंद्रन और ईसीआरसी सैयद ताजुद्दीन असलम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया.

पुलिस में दर्ज कराई गई श्री थॉमस की शिकायत के अनुसार एसआरएमयू के सहायक महासचिव इसाक जॉनसन एवं तिरुचिरापल्ली मंडल के मंडल सचिव पी. पलानिवेल के नेतृत्व में वी. थमाराई सेल्वन, बी. जयचंद्रन, सैयद ताजुद्दीन असलम, नागराज, संथी थंगम, मुरुगन, रावनादास और एम. ए. मार्टिन आदि पदाधिकारियों के साथ करीब 30 कर्मचारी/कार्यकर्ताओं ने सीनियर डीसीएम अरुण थॉमस के चैम्बर में अचानक घुसकर उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट की. उपरोक्त यूनियन पदाधिकारियों ने चैम्बर को अंदर से बंद कर लिया था और श्री थॉमस की मदद के लिए किसी को भी चैम्बर में आने नहीं दिया. अन्य ब्रांच अधिकारियों और कुछ कर्मचारियों द्वारा काफी मशक्कत करने के बड़ी देर बाद उक्त ‘माफिया ग्रुप’ ने चैम्बर का दरवाजा खोला और वहां से चलते बने. तब तक श्री थॉमस की स्थिति काफी अस्त-व्यस्त हो चुकी थी, वह अत्यंत सदमे की स्थिति में पहुंच गए थे. उन्होंने घटना की जानकारी मुख्यालय सहित डीआरएम को भी दी और अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह पर यूनियन पदाधिकारियों के खिलाफ पुलिस में नामजद एफआईआर दर्ज करवाई.

ज्ञातव्य है कि चेन्नई मंडल के टिकट चेकिंग स्टाफ के नियमानुसार आवधिक ट्रांसफर ऑर्डर के साथ वाणिज्य विभाग और यूनियन के बीच शुरू हुआ यह विवाद अब तक शांत नहीं हुआ है. यूनियन ने उक्त ट्रांसफर को कैट में चुनौती दी थी, मगर कैट ने अपने निर्णय को जलेबी की तरह लपेट दिया. जिसका कुल लब्बोलुआब यह है कि ‘जो कर्मचारी नई जगह जाना चाहें, जा सकते हैं, नहीं जाना चाहते हैं, तो उनके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की जाएगी.’ रेल प्रशासन (कार्मिक विभाग) ने कैट के उक्त जलेबीनुमा निर्णय को अब हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

अधिकारियों का कहना है कि तमाम मशक्कत और कथित तौर पर काफी पैसा खर्च करने के बावजूद जब यूनियन सीसीएम का ट्रांसफर कराने में विफल रही है, तब उसने कनिष्ठ अधिकारियों के साथ बदतमीजी, गाली-गलौज और दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया है. इससे पहले भी यूनियन द्वारा कई अधिकारियों के साथ ऐसा ही दुर्व्यवहार किया गया है. उनका कहना है कि जब सक्सेना या थॉमस जैसा कोई अधिकारी यूनियन के नियम विरुद्ध काम करने से इंकार कर देता है, तो यूनियन द्वारा उसे या तो किसी विजिलेंस मामले में फंसा दिया जाता है अथवा महिला पदाधिकारियों या कर्मचारियों को उनके चैम्बर में धोखे से अथवा जबरन भेजकर उन अधिकारियों पर उनके साथ दुर्व्यवहार किए जाने या छेड़खानी करने के फर्जी/बोगस आरोप लगवाकर यूनियन द्वारा उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है. उन्होंने बताया कि यूनियन का यह पुराना फंडा है, जिसका इस्तेमाल यूनियन अब तक कई अधिकारियों के विरुद्ध कर चुकी है.

अधिकारियों का यह भी कहना है कि श्री थॉमस एक अत्यंत शांत स्वभाव वाले अधिकारी हैं, वह न तो कभी नियम विरुद्ध कोई काम करते हैं, और न ही अपने मातहत किसी अधिकारी को कभी नियम विरुद्ध कोई काम करने के लिए कहते हैं. उन्होंने बताया कि सीसीएम से न जीत पाने पर यूनियन द्वारा सीसीएम को ‘रावण’ और तिरुचिरापल्ली मंडल के सीनियर डीसीएम को ‘मगरमच्छ’ जैसा दर्शाकर उनके बड़े-बड़े पोस्टर/बैनर रेलवे स्टेशनों एवं प्रमुख कार्यालय परिसरों में वाणिज्य अधिकारियों को शर्मिंदा करने के लिए लगाए गए हैं, जिनमें लिखा गया है कि सीसीएम और सीनियर डीसीएम ने कमर्शियल स्टाफ को पूरी तरह से बरबाद कर दिया है. इस मामले में यूनियन के मंडल सचिव पी. पलानिवेल का कहना है कि सीनियर डीसीएम का व्यवहार रेलकर्मियों के साथ अच्छा नहीं है. उन्होंने कहा कि यूनियन ने भी सीनियर डीसीएम के खिलाफ उनके साथ दुर्व्यवहार और गाली-गलौज करने के लिए एफआईआर दर्ज करवाई है.

ज्ञातव्य है कि इसी साल मार्च में यूनियन ने अपनी 9 महिला पदाधिकारियों के साथ महिला कार्यकर्ताओं का एक झुंड अचानक सीसीएम अजीत सक्सेना के चैम्बर में जबरन भेजकर उन पर उक्त महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किए जाने का झूठा आरोप लगवाया था. बाद में उक्त 9 महिलाओं में से एक को छोड़कर, जिसका आजतक अता-पता नहीं है, सभी ने लिखित में यह स्वीकार कर लिया कि यूनियन ने उन्हें धोखे से सीसीएम के चैम्बर में भेजा था, सीसीएम ने उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया. तब भी यूनियन ने महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करते और उन पर रिवाल्वर ताने हुए सीसीएम सक्सेना की फोटो के साथ उनके बड़े-बड़े बैनर/पोस्टर चेन्नई रेलवे स्टेशन और उससे लगे मुख्यालय परिसर में लगाए हैं. गत वर्ष नवंबर में इसी तरह अचानक चैम्बर में घुसकर यूनियन पदाधिकारियों ने चेन्नई मंडल के सीनियर डीसीएम बी. रविचंदर के साथ भी गाली-गलौज और बदतमीजी की थी और बाद में रेल प्रशासन पर दबाव डालकर उनका ट्रांसफर भी करा दिया था. अजीत सक्सेना ने सीसीएम का चार्ज लेते ही उन्हें पुनः चेन्नई मंडल के सीनियर डीसीएम के पद पर पुनर्स्थापित करवाया था.

उल्लेखनीय है कि तिरुचिरापल्ली मंडल का मंडल सचिव पी. पलानिवेल भी एसआरएमयू के जोनल महासचिव उर्फ ‘पार्सल पोर्टर’ एन. कन्हैया की ही तरह एक रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी है. उसे नियम विरुद्ध तिरुचिरापल्ली मंडल का मंडल सचिव बनाया गया है, जबकि मंडल स्तर पर किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी को पदाधिकारी नहीं बनाए जाने के लिए रेलवे बोर्ड के सख्त दिशा-निर्देश हैं. दक्षिण रेलवे में लंबे समय से एकमात्र मान्यताप्राप्त यूनियन होने के नाते एसआरएमयू एक ‘माफिया संगठन’ का रूप ले चुकी है. उसकी मर्जी के बिना दक्षिण रेलवे में कोई कामकाज नहीं चल सकता है. जबकि रेल प्रशासन उसके सामने पंगु हो चुका है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दक्षिण रेलवे में कुल कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से यूनियन को अधिक से अधिक 90 शाखाएं स्थापित करने की अनुमति दी जा सकती है, जबकि उसने करीब 180 शाखाएं स्थापित कर रखी हैं. तथापि रेल प्रशासन की मजाल नहीं हो रही है कि वह इन अनधिकृत यूनियन शाखाओं को बंद करवाकर इनमें हो रही संसाधनों की फिजूलखर्ची को रोक सके.