उत्तर रेलवे: आरआरसी/जीडीसीई की वैकेंसी भी तीन साल से नहीं भरी गईं!
रेलवे के कार्मिक विभाग अर्थात कार्मिक अधिकारियों की यह सबसे बड़ी विफलता है, जिसका ठीकरा अंततः रेल प्रशासन के सिर फूटता है और हजारों-लाखों बेरोजगार युवा आंदोलित होकर करोड़ों की रेल संपत्ति फूंक देते हैं!
उत्तर रेलवे में आरआरसी/जीडीसीई की वैकेंसी भी तीन साल से लटकी हुई हैं। परंतु अब तक पैनल आउट नहीं किया गया है। बेरोजगार युवा आखिर उद्वेलित न हों, तो क्या करें!
उत्तर रेलवे में आरआरसी/जीडीसीई की भर्ती के लिए 2019 में फार्म स्टेशन मास्टर और गार्ड के पदों हेतु लिए गए थे। रेलवे के अभ्यर्थियों ने ट्विटर पर गुहार लगाई, तब जाकर 2021 में परीक्षा कराई गई थी।
फरवरी 2021 में पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई। फिर ट्विटर करने पर अगस्त 2021 में परीक्षा ली गई।
इसके बाद 7-10 दिसंबर को डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन कराया गया। फिर भी अभी तक पैनल जारी नहीं किया जा सका है।
अभी भी अभ्यर्थी को फोन कर करके आरआरसी वाले और डाक्यूमेंट्स मांग रहे हैं। अर्थात किसी न किसी बहाने टाइम पास किया जा रहा है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब भी कॉल सेंटर में फोन करके अभ्यर्थी जानने की कोशिश करते हैं, तो 15-20 दिन और लगेंगे, 10 दिसंबर से यही कहकर लगातार अभ्यर्थियों को टाल दिया जा रहा है।
रेलवे के कार्मिक विभाग अर्थात कार्मिक अधिकारियों की यह सबसे बड़ी विफलता है, जिसका ठीकरा अंततः रेल प्रशासन के सिर फूटता है और हजारों-लाखों बेरोजगार युवा आंदोलित होकर करोड़ों की रेल संपत्ति फूंक देते हैं।
राष्ट्रीय भर्ती बोर्ड के परिप्रेक्ष्य में अब समय आ गया है कि आरआरसी और आरआरबी को बनाए रखने पर पुनर्विचार किया जाए। इनमें जितनी धांधली, भ्रष्टाचार और पक्षपात हो रहा है, उसे देखते हुए इन्हें स्थाई रूप से बंद कर देने का एकमात्र विकल्प शेष बचता है।
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