सीआरबी की तानाशाही के सामने कार्मिक विभाग धराशाई
रविवार, 18 जुलाई 2021 की रात के आठ बजे चेयरमैन सीईओ रेलवे बोर्ड के आदेश पर जोनल रेलों के प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारियों (#PCPOs) को अचानक फोन करके रेलवे बोर्ड द्वारा आउटसोर्स डेटा एंट्री ऑपरेटर्स का आंकड़ा मांगा गया।
जोनल रेलों के कार्मिक अधिकारियों ने इस पर भारी खिन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आपातकालीन स्थिति में तो किसी भी काम के लिए कभी भी कहा जा सकता है, परंतु क्या यह डेटा सोमवार को सुबह कार्यालय खुलने के बाद नहीं दिया जा सकता है?
उनका कहना था कि यह कैसी तानाशाही और मनमानी है? और आधी रात को इस विषय पर ऐसी कौन सी नीति तय हो रही है, जो कल सुबह के पहले ही तय हो जानी है?
चेयरमैन/सीईओ/रेलवे बोर्ड के आदेश पर कार्मिक निदेशालय द्वारा जोनल रेलों के प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारियों को भेजा गया संदेश:
Dear PCPOs,
While considering the proposal for extension / discontinuation of the scheme for data entry operators on contract basis, CRB has sought information about the cadre / onroll strength of PA/Stenos over Zonal Railways. Zonal Railways should also provide current strength of data entry operators (engaged on contract basis) and requirement of the railway for the current year. A google sheet in this regard is being shared shortly. PCPOs are requested to ensure the information is filled in by tonight as it has to be submitted to CRB tomorrow morning at 9 AM.
इस संदर्भ में अत्यंत खिन्न कुछ सीनियर आईआरपीएस अधिकारियों का कहना है कि “आईआरपीएस सर्विस में कुछ गजब के नौटंकीबाज बोर्ड में बैठे हैं, जिनको बॉस के सामने केवल जीभ निकालकर हें हें हें करना आता है, बाकी किसी काम के लायक नहीं हैं। इनकी अपनी बुद्धि नहीं चलती है। ये अपना तनिक भी दिमाग या विवेक इस्तेमाल नहीं करते। और जो कुछ हैं भी, वे अपना “किराना स्टोर” चलाकर माल कमा रहे हैं। यह सही समय है कि आईआरपीएस सर्विस को समाप्त कर दिया जाए और अगर ऐसे ही ना-लायक लोग रखने हैं, तो वे अन्य सर्विसेज से भी मिल जाएंगे। उन्हें ही छांट-छांटकर लगा दिया जाए, स्पेशलाइज्ड सर्विस की नौटंकी क्यों पाले बैठे हैं?”
उधर इसी संदर्भ में कुछ वरिष्ठ रेलकर्मियों का कहना है कि “आजकल इसी ढ़र्रे पर काम कर रहे हैं बोर्ड के मेंबर और सीआरबी, रात को नौ बजे मैसेज आता है कि सुबह नौ बजे पूरी जानकारी चाहिए, छुट्टी या नॉन वर्किंग डे से उन्हें कोई मतलब नहीं रहता है। यदि जानकारियां इतनी अनिवार्य हैं, तो कार्यालयीन समय में उन्हें यह बात क्यों याद नहीं आती?”
बहरहाल, जोनल रेलों के पीसीपीओ भले ही अत्यंत खिन्न हुए हों, मगर वे अपने मातहतों के साथ तुरंत रेलवे बोर्ड द्वारा मांगे गए आंकड़े जुटाने में लग गए। तथापि उनका कहना था कि “चेयरमैन सीईओ रेलवे बोर्ड महोदय को जो काम – जीएम और डीआरएम की पोस्टिंग इत्यादि – वास्तव में पूरी तत्परता से करने चाहिए थे, वह तो वे अपना सात महीने का कार्यकाल बीत जाने पर भी नहीं कर पाए हैं, मगर फालतू के काम – विभिन्न प्रकार के अनावश्यक या गैरजरूरी आंकड़े इकट्ठे करने और निरर्थक मीडिया इंटरेक्शन – करने जैसे कार्यों में उनकी रुचि आवश्यकता से अधिक रहती है। ऐसे ही अकर्मण्य लोगों के कारण रेल का बंटाधार हो रहा है।”
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#CRB के सामने कार्मिक विभाग धराशाई रविवार रात्रि के आठ बजे #PCPOs को अचानक फोन करके माँगा आउटसोर्स #DataEntryOperator का आँकड़ा
— RAILWHISPERS (@Railwhispers) July 18, 2021
क्या यह डेटा सुबह कार्यालय खुलने के बाद नहीं दिया जा सकता है?
आधी रात को इस विषय पर ऐसी कौन सी नीति तय हो रही है जो कल सुबह के पहले ही तय हो जानी है? pic.twitter.com/jTzBcYcB2Z