April 8, 2019

रेल प्रशासन की खुदगर्ज नीति से उद्वेलित टिकट चेकिंग स्टाफ

अनुशासनिक कार्यवाही और इंटर डिवीजन ट्रांसफर करने का नादिरशाही आदेश

अवैध टारगेट पूरा न करने पर सीसीएम/प.रे. द्वारा टीए बंद करने का फरमान

मुंबई : प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंतिम दो-तीन महीनों में ‘अवैध टारगेट’ को लेकर भारतीय रेल के समस्त टिकट चेकिंग स्टाफ को रेल प्रशासन द्वारा ‘टारगेट’ किया जाता है. जबकि कागज पर रेलवे बोर्ड द्वारा ऐसा कोई लिखित निर्देश जोनल रेलों को नहीं दिया गया है. परंतु जोनल रेलों द्वारा अवैध रूप से प्रत्येक टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए प्रतिदिन का ‘टारगेट’ निश्चित किया गया है, जो कि अवैध है. टिकट चेकिंग स्टाफ पूरी तत्परता के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करता है, जिसके प्रमाण टिकट खिड़की से हो रही टिकटों की बिक्री है.

रेल प्रशासन ने ऑन बोर्ड टिकट चेकिंग स्टाफ के लिए सैकड़ों तरह की जिम्मेदारियां सुनिश्चित कर रखी हैं. जिनका पालन समस्त टिकट चेकिंग लाइन स्टाफ पूरी मुस्तैदी के साथ कर रहा है. यह फेहरिस्त काफी लंबी है. तथापि कुछ मूढ़ प्रवत्ति के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) एक लाइन से समस्त टिकट चेकिंग स्टाफ को भ्रष्ट और कामचोर कहने और साबित करने से बाज नहीं आ रहे हैं. इनमें खासतौर पर मुंबई मंडल मध्य रेल और मुंबई सेंट्रल मंडल, पश्चिम रेलवे के वर्तमान सीनियर डीसीएम का नाम प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीनियर डीसीएम, मुंबई सेंट्रल मंडल, पश्चिम रेलवे ने तो यहां तक कह दिया कि सभी पुरुष टीटीई भ्रष्ट हैं, इसलिए अब शताब्दी एक्स में महिला टीटीई को भेजा जाएगा. इस पर मंडल का समस्त टिकट चेकिंग स्टाफ भयानक गुस्से में है और सोशल मीडिया पर उसके द्वारा सीनियर डीसीएम के खिलाफ भारी आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है. स्टाफ का कहना है कि स्टाफ की परेशानियों का समाधान करने के बजाय अपरिपक्व सीनियर डीसीएम का यह व्यवहार कतई उचित नहीं है.

पश्चिम रेलवे मुंबई सेंट्रल मंडल के टिकट चेकिंग स्टाफ ने एक मुहिम की शुरुआत करते हुए समस्त पुरुष टिकट चेकिंग स्टाफ से अपील की है कि वह अब जाग जाएं, शताब्दी एक्स में ड्यूटी करने से साफ मना करें, अपरिपक्व सीनियर डीसीएम का यह भेदभाव अब बर्दास्त नहीं किया जाएगा. उनका कहना है कि जहां शताब्दी, राजधानी, दूरंतो आदि जैसी प्रीमियम गाड़ियों के लिए स्टाफ का विशेष रूप से चयन किया जाता रहा है, वहीं अब सीनियर डीसीएम ऐसे किसी चयन के बिना ही महिला टीटीई को 8 मार्च से शताब्दी में भेजना शुरू करने जा रही हैं. उनका कहना है कि यह भेदभाव कहां तक उचित है? यदि महिला टीटीई उनकी तरह ही ज्यादा ईमानदार हैं, तो शताब्दी के साथ ही उन्हें कल से ही राजधानी और दूरंतो गाड़ियों में भी लगाया जाना चाहिए.

उद्वेलित टिकट चेकिंग स्टाफ का कहना है कि अनुभवहीन और अपरिपक्व सीनियर डीसीएम, मुंबई सेंट्रल का यह कहना कतई गलत है कि सभी मेल टीटीई भ्रष्ट हैं. उन्होंने सभी टिकट चेकिंग स्टाफ का आहवान करते हुए कहा है कि यदि सीनियर डीसीएम के इस कथन का जमकर विरोध नहीं किया गया, तो उनके ऊपर इस बात का स्थाई टैग लग जाएगा कि वह वास्तव में भ्रष्ट हैं. उनका यह भी कहना है कि बात सिर्फ अर्निंग की ही नहीं है, सीनियर डीसीएम का बात करने का तरीका गलत है. वह सभी स्टाफ को एक लाइन से भ्रष्ट कैसे ठहरा सकती हैं?

उनका कहना है कि यहां महिला या पुरुष टीटीई की अर्निंग का कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि पुरुष टीटीई के सामने महिला टीटीई की अर्निंग कहीं नहीं ठहरती है. स्टाफ का कहना है कि यहां बात सिर्फ रेल प्रशासन और वर्तमान मूढ़ सीनियर डीसीएम की अंग्रेज नीति ‘बांटो, फूट डालो, और राज करो’ की है. वह स्टाफ में फूट डाल रही हैं, जबकि खुद को प्रशासनिक कामकाज का कोई तजुर्बा नहीं है, मातहत स्टाफ के साथ बात करने की उन्हें तमीज सीखनी चाहिए. उनका कहना है कि सीनियर डीसीएम का यह अनुचित व्यवहार समस्त टिकट चेकिंग और वाणिज्य स्टाफ के मन में उनके प्रति निराशा और घृणा पैदा करने वाला है.

उधर प्रिंसिपल सीसीएम/प.रे. ने मुंबई सेंट्रल, वड़ोदरा, रतलाम, अहमदाबाद, राजकोट और भावनगर मंडलों के सीनियर डीसीएम को 21 फरवरी को एक पर जारी करके कहा है कि महीने में सबसे कम अर्निंग देने वाले स्टाफ का टीए तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया जाए. इसके अलावा उक्त पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि स्टाफ के कार्य में कोई प्रगति नहीं होती है, तो उसके खिलाफ अनुशासन एवं अपील नियम के तहत कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई की जाए. इसके साथ ही प्रिंसिपल सीसीएम ने उक्त पत्र में यह नादिरशाही आदेश भी दिया है कि यदि किसी टिकट चेकिंग स्टाफ की परफॉरमेंस में लगातार कोई सुधार परिलक्षित नहीं हो रहा है, तो उसका नाम इंटर डिवीजन ट्रांसफर के लिए भेजा जाए.

ऐसे ही आदेश मध्य रेलवे में भी दिए गए हैं. इसके खिलाफ शुक्रवार, 23 फरवरी को सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के नेतृत्व में मुंबई मंडल के टिकट चेकिंग स्टाफ ने मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के सामने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर सीनियर डीसीएम, डीआरएम और सीसीएम के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन करके मुर्दाबाद के नारे लगाए. पश्चिम रेलवे की ही तरह मुंबई मंडल, मध्य रेलवे के सीनियर डीसीएम के अपरिपक्व व्यवहार से मंडल का समस्त टिकट चेकिंग स्टाफ क्षुब्ध है, क्योंकि वह भी समस्त टिकट चेकिंग स्टाफ को एक सिरे से भ्रष्ट मानते हैं.

मुंबई मंडल, मध्य रेलवे का कोई कामकाज सही ढ़ंग से नहीं चल रहा है, क्योंकि शुक्रवार को मंडल के रनिंग स्टाफ ने भी संघ के नेतृत्व में एकत्रित होकर सीनियर डीओएम के विरुद्ध मंडल कार्यालय के समक्ष नारेबाजी की. मध्य रेलवे में लोकल एवं मेल-एक्स. गाड़ियों का संचालन समय पर नहीं हो रहा है. आए दिन लोकल ट्रेनों की समस्या होने से लाखों यात्री परेशान है. मंडल अधिकारियों का यह बचकाना व्यवहार सीआरबी के मातहत स्टाफ के साथ सामंजस्यपूर्ण बर्ताव किए जाने की नीति के एकदम उलट और मौके-बेमौके उन्हें अपमानित करने की मंत्री की नीति के अनुरूप हो रहा है.

टिकट चेकिंग स्टाफ का कहना है कि “हम जानते हैं कि जुर्माना क्यों और कैसे लगाया जाता है, लेकिन जनता नहीं जानती. एक ट्रेन में 4-6-8 एसी के डिब्बे, 8-12-14 स्लीपर के डिब्बे, पेंट्रीकार, 2 गार्ड डिब्बे, 2 एसएलआर डिब्बे और सबसे महत्वपूर्ण 2 सामान्य डिब्बे, एक आगे और एक पीछे. अब प्रतीक्षा सूची में, जो कम से कम 400-800 के बीच होती है, उसके बाद 200-400 सामान्य टिकट और इनके बैठने की व्यवस्था क्या है? 2 सामान्य डिब्बों की क्षमता 180. अब लोग जाएं तो जाएं कहां?”

उनका कहना है कि “स्लीपर कोच में चढ़ने के लिए यात्री मजबूर हैं. वेटिंग टिकट के साथ रास्ते में जो इंतजार कर रहे हैं, वह भी और जो जनरल टिकट वाले हैं, वह भी. अब रेल प्रशासन कहता है सामान्य टिकटधारी को चार्ज करो, फाइन के साथ और उतार दो, प्रतीक्षा सूची यात्री को ट्रेन के आरक्षित डिब्बों में बैठने की अनुमति नहीं है, टीटीई को अपने दम पर इन सबको रोकना है, जीआरपी/आरपीएफ या उसके बाद और बड़े लोगों का नंबर आता है, सभी कोशिश करते हैं, और फिर अपने-अपने तरीके से मांडवली कर लेते हैं. बाद में इसकी वे कुछ भी वजह बताते हैं.”

रेल प्रशासन का कहना है कि प्रतीक्षा सूची वालों को आरक्षित डिब्बे में नहीं चढ़ने देना है और टीएसएल बनाकर भी जनरल डिब्बे में भेजना है. जबकि टिकट चेकिंग स्टाफ का कहना है कि “कितना सरल है यह सब कहने और करने में, लेकिन सामान्य डिब्बे का हाल कोई बताए, नजदीक के यात्री, लंबी दूरी के यात्री और मध्य दूरी के यात्री. फिर रास्ते मे चढ़ने वाले प्रतीक्षा सूची और सामान्य यात्रियों को कहां भेजें? इसका क्या मतलब है कि रेलवे की कमी का भुगतान यात्री करें.”

“टीटीई ही सबका प्रबंधन करे? नकद रसीद भी बनाए, ट्रेन की यात्री सुविधाओं का ख्याल भी रखे, अफसर, स्टाफ, गरीब, मुसीबत के मारे, सबको संभाले, फिर भी वह भ्रष्ट है, वह बेकार, खुदगर्ज और अमानवीय है आदि-आदि, यह बोर्ड में बैठे और जोन एवं डिवीजन के मूढ़ अफसर हकीकत क्या जाने? या फिर जानबूझकर अनजान बने रहते हैं. फील्ड में क्या होता है, यह टीटीई से पूछिये, तब सच का पता चलेगा. ट्रेन में बहुत सी समस्यायें होती हैं और उनका निराकरण भी टीटीई ही करता है. यात्री के लिए टीटीई का महत्व बहुत ज्यादा है. जरूरत के समय सबका सच्चा साथी टीटीई ही होता है. उसकी कद्र करना रेल प्रशासन को कब समझ में आएगा?” यह कहना है तमाम उद्वेलित टिकट चेकिंग स्टाफ का.

फोटो परिचय : दि. 22.02.2018 को गाड़ी सं. 12156 में हजरत निजामुद्दीन से हबीबगंज के दरम्यान कार्यरत टीटीई संतू पालित ने गाड़ी के कोच सं. एस-10/एस-11 में मुरैना और ग्वालियर के बीच चोरी करते हुए एक व्यक्ति को पकड़कर आरपीएफ के हवाले किया.

‘रेलवे समाचार’ का मानना है कि जो अधिकारी (प्रिंसिपल सीसीएम/प.रे.) खुद अपनी पोस्टिंग के लिए जुगाड़ लगाते हों, और (प्रिंसिपल सीसीएम/म.रे.) लगभग 28 सालों से मुंबई में ही खूंटा गाड़कर जमे हुए हों, उन्हें किसी मातहत स्टाफ का इंटर डिवीजन ट्रांसफर करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. इसके अलावा जो खुद दूध के धुले हुए नहीं हैं, वह मातहत कर्मचारियों को भ्रष्ट कैसे कह सकते हैं? अपनी पोस्टिंग की जुगाड़ लगाना और लंबे समय से एक ही शहर में जमे रहना अपने आपमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है. रेल प्रशासन को चाहिए कि वह सबसे पहले वर्ष 2013 की ट्रांसफर नीति पर अमल करते हुए 15 साल से अधिक एक शहर में जमे हुए सभी अधिकारियों को अविलंब दरबदर करे, तभी ऐसे अत्यंत मगरूर हो चुके अधिकारियों के संस्थागत भ्रष्टाचार और उनके द्वारा स्टाफ के उत्पीड़न पर लगाम लगाई जा सकेगी.