रेलवे में कोरोना फैलने का कारण: सालों से एक जगह जमे अधिकारी और कर्मचारी
भ्रष्टाचार खत्म करना – सरकार, शासन-प्रशासन, व्यवस्था, नौकरशाही, नेताशाही और भ्रष्टाचार विरोधी सरकारी संस्थाओं इत्यादि में से किसी के भी प्राथमिक एजेंडे में शामिल नहीं है!
रेलवे में कोरोनावायरस इसलिए फैला, क्योंकि यहां संयुक्त भ्रष्टाचार होता रहा है। यहां कुछ अपवादों को छोड़कर लगभग सभी एक-दूसरे के साथ न सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, बल्कि एक-दूसरे को उससे बचाने में जुटे हैं। रेलवे के लगभग सभी तथाकथित स्टेकहोल्डर्स इस संयुक्त भ्रष्टाचार में सराबोर हैं। यह कहना है रेलवे के कई पंजीकृत ठेकेदारों और तमाम जानकारों का।
उनका कहना है कि खासतौर पर उत्तर रेलवे के अधिकारियों में यह भ्रष्टाचार सबसे अधिक फैला, क्योंकि पिछले 20-25 वर्षों से यहां के ज्यादातर अधिकारी केवल उत्तर रेलवे में ही गोल-गोल चक्कर लगा रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति लगभग सभी बड़े शहरों और जोनल मुख्यालयों में भी है।
उन्होंने इसका मतलब बताते हुए कहा कि उत्तर रेलवे के दायरे में डीआरएम कार्यालय, निर्माण संगठन कार्यालय, फील्ड कार्यालय, और जिसके पास दो पैसे का जुगाड़ है, या फिर जिसका कोई मामा, मौसा, फूफा, ससुर, साला पॉलिटिक्स या अपर नौकरशाही में है, वह पिछले 20-25 सालों से उत्तर रेलवे के दायरे से अथवा दिल्ली से बाहर कभी नहीं गया।
उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जुगाड़ से रेलवे बोर्ड, या किसी न किसी रेलवे उपक्रम (पीएसयू) में अपने गोटी फिट कर लेते हैं। रेलवे बोर्ड सहित बड़ौदा हाउस भी लंबे समय से भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है।
उनका कहना है कि अब चूंकि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे और पूर्व रेलवे सहित दूसरी जोनल रेलों में निर्माण गतिविधियां ज्यादा हो रही हैं, जिसका लाभ वहां के अधिकारियों को हो रहा है। तथापि वहां काबिल अधिकारियों का काफी अभाव है। अतः वहां रेल परियोजनाओं को पूरा करने में देरी हो रही है और इसीलिए उनकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है।
जानकारों का यह भी कहना है कि दरअसल भ्रष्टाचार खत्म करना शासन-प्रशासन, व्यवस्था, नौकरशाही और नेताशाही तथा भ्रष्टाचार विरोधी सरकारी संस्थाओं इत्यादि में से किसी के भी प्राथमिक एजेंडे में शामिल नहीं है। यह सिर्फ भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करके जनता को दिग्भ्रमित करते हैं। इसीलिए जनता ने भी सिरे से इसमें शामिल होकर इसे व्यवस्था के एक अंग के रूप में स्वीकार कर लिया है।
क्रमशः रेलवे में ऑक्सीजन घोटाला!
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी
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