अब और क्या होगी इससे बड़ी विडंबना !
रेलवे से इस्तीफा देकर गया एन. कन्हैया बना एनसी-जेसीएम का सदस्य
अब तक न तो ऐसा हुआ और न ही देखा गया था कि एक आदमी, जिसने बतौर कर्मचारी अपनी सेवा पूरी नहीं किया, जो एक धमकी से डरकर नौकरी छोड़ भागा हो, उसे यूनियन नेता बना दिया गया।
यूनियन लीडर बनकर उसने अकूत संपत्ति अर्जित की, जिसकी बदौलत उसने न सिर्फ दक्षिण रेलवे को, बल्कि रेलवे बोर्ड को भी बखूबी मैनेज किया करके पूरी रेल व्यवस्था को अपनी उंगलियों पर नचाया। इससे जाहिर है कि व्यवस्था में भीतर तक घुन लगा हुआ है और पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार का शिकार हो चुकी है।
इस पर आश्चर्य इस बात का है कि एन. कन्हैया जैसे लोग, जिसने वर्षों पहले रेल सेवा से त्यागपत्र दे दिया था, अब भारत सरकार के साथ उच्च फोरम में बैठकर केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए भाव-ताव (बार्गेन) करेंगे।
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हां, यह सही है। स्वर्गीय राखालदास गुप्ता की जगह अब कन्हैया जैसे पूर्व पार्सल पोर्टर को नेशनल काउंसिल (एनसी-जेसीएम) की स्टैंडिंग कमेटी एवं एनॉमली कमेटी का सदस्य – स्टाफ साइड बनाने की मंजूरी सेक्रेटरी (पर्सनल) – चेयरमैन, स्टैंडिंग कमेटी की तरफ से मिल गई है।
तमाम स्थापित नियमों, दिशा-निर्देशों आदि के अस्तित्व में होते हुए भी यदि व्यवस्था की ऐसी बड़ी विसंगतियों तथा नौकरशाही की मनमानियों पर कोई अंकुश नहीं लग रहा है, तब यह समझना बहुत मुश्किल नहीं है कि सरकार इस देश को और इसकी संपूर्ण सरकारी व्यवस्था को किस दिशा में ले जाना चाहती है।
ऐसी स्थिति में अब केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों का भगवान ही मालिक है। बस इतना ही कहा जा सकता है, क्योंकि उनका कोई भला हो, न हो, मगर चुके हुए तथाकथित यूनियन नेताओं का भला अवश्य होता है।
A person who did not wanted to continue as a worker is allowed to act as #UnionLeader
The system has become so corrupt, that like this person, who has resigned from #RlyService,is approved to #bargain for the CGEs as a Member, standing committee
Now only the God can save the CGEs pic.twitter.com/pTOagXFbKu— RAILWHISPERS (@Railwhispers) February 7, 2021