October 15, 2020

बोनस पर अनिश्चितता से उद्वेलित रेलकर्मी, मान्यताप्राप्त रेल संगठनों ने दी हड़ताल की चेतावनी

Piyush Goyal, Minister for Railways with GS/NFIR Dr M. Raghavaiah (right) and GS/AIRF Shivgopal Mishra (left) and other leaders of both federations and Unions of Zonal Railwys.

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) के महामंत्री एम राघवैया का कहना है कि कोरोना महामारी जैसे भीषण संकट के समय भी रेलवे के 13.50 लाख कर्मचारी अपने स्वास्थ्य और अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर रात-दिन मेहनत कर रहे हैं, जिससे ऐसे समय में भी भारतीय रेल की दस हजार से भी ज्यादा यात्री एवं मालगाड़ियां प्रतिदिन चल पा रही हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार रेल कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा नहीं कर रही है। इसलिए रेलकर्मी हड़ताल पर जाने के लिए विवश हैं।

Watch: #GSNIFIR #DrMRaghavaiya की केंद्र सरकार को चेतावनी – “बोनस नहीं तो काम नहीं, होगा चक्का”

रेलवे के दोनों मान्यताप्राप्त फेडरेशन – नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) और ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) – ने उत्पादकता आधारित बोनस (पीएलबी) और रेलकर्मियों की अन्य कई लंबित मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। तथापि दोनों फेडरेशनों ने अभी तक यह घोषित नहीं किया है कि वे हड़ताल पर कब जाएंगे।

डॉ राघवैया ने कहा कि  कोरोना के संकटकाल में भी देश की “लाइफलाइन” भारतीय रेल को रात-दिन चलायमान रखने वाले रेलकर्मी अब आंदोलन की राह पर हैं। फेडरेशनों सम्बद्ध सभी जोनल रेलों के मान्यताप्राप्त संगठनों ने भी उपरोक्त मांगों के समर्थन में दोनों फेडरेशनों के साथ हड़ताल के निर्णय पर सहमति जताई है।

एनएफआईआर के महामंत्री डॉ राघवैया ने यूट्यूब पर अपना एक वीडियो वक्तव्य जारी करके रेलकर्मियों के शीघ्र ही हड़ताल पर जाने की घोषणा की। उनका कहना है कि कोरोना संकट के समय 13.50 लाख रेल कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर चौबीसों घंटे मेहनत करके गाड़ियां चला रहे हैं। इसीलिए भारतीय रेल का पहिया घूम रहा है। इसके बावजूद केंद्र सरकार रेलकर्मियों की लंबित मांगें मानने के लिए तैयार नहीं है। अतः रेलकर्मी हड़ताल पर जाने को विवश हैं।

महामंत्री डॉ राघवैया के अनुसार रेल कर्मचारियों के बोनस का करीब 2,000 करोड़ रुपया सरकार के पास बकाया है। इसका भुगतान सरकार की ओर से रेल कर्मचारियों को अभी तक नहीं किया गया है। रेल ऑपरेशन को सुचारू रखने के लिए रेलकर्मी कोरोना काल में भी काम कर रहे हैं, जिससे कोविड-19 संक्रमण के चलते अभी तक करीब 300 रेल कर्मचारी काल-कवलित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि असमय अकाल मृत्यु का शिकार हुए इन रेलकर्मियों के परिवारों को उचित मुआवजा भी मिलना चाहिए।

डॉ राघवैया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कहा था क‍ि “भारतीय रेल, भारत सरकार की “नवरत्‍न” है, और रेलवे का निजीकरण कभी नहीं होगा, जो लोग रेलवे के निजीकरण की बात कहते हैं, वह कोरी अफवाह है, उनसे ज्यादा रेलवे को कोई नहीं जानता, इसलिए लोगों की बातों पर भरोसा ना करें!” लेकिन आज वह सब भूलकर इसी “नवरत्‍न” का निजीकरण और निगमीकरण किया जा रहा है। रेलवे परिचालन को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है। एनएफआईआर इससे कभी-भी सहमत नहीं है।

उन्होंने आगे कहा क‍ि उत्पादकता पर आधारित बोनस पाना रेल कर्मचारियों का अधिकार है, जिसे वह उत्‍पादन के आधार पर लेते हैं। वर्ष 2019-20 का बोनस रेलकर्मियों को मिलना ही चाहिए। यह वर्ष 1977 से सभी पात्र रेल कर्मचारियों को लगातार मिलता आ रहा है।

उन्होंने कहा कि पेंशनर्स के महंगाई भत्‍ते की किश्‍त रोकी गई हैं। सरकार ने उनके साथ यह एक बड़ा अन्याय किया है। सरकार कोरोना संकट के नाम पर इसे नहीं रोक सकती, क्योंकि एकमात्र पेंशन ही तो पेंशनर्स के जीवनयापन का एक अंतिम आधार है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार की यही नीति रही, तो एनएफआईआर तमाम रेल कर्मचारियों के साथ खड़ी है। उनकी मांगें पूरी न होने पर देश भर में रेल का चक्‍का जाम कर दिया जाएगा।

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उल्लेखनीय है कि रेलकर्मियों की लंबित मांगों को लेकर, खासतौर पर बोनस के संबंध में रविवार, 11 अक्टूबर को रेलमंत्री पीयूष गोयल और सीआरबी/सीईओ/रेलवे बोर्ड विनोद यादव के साथ दोनों फेडरेशनों – एनएफआईआर एवं एआईआरएफ – की बैठक हुई थी। इस बैठक में रेलमंत्री और सीआरबी ने लगभग सभी मांगों पर सिर्फ आश्वासन दिए, पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा।

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