September 28, 2020

दस महीने बाद भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में दिए गए दंड पर अमल नहीं

Central Railway Head Quarters, Chhatrapati Shivaji Maharaj Terminus, Mumbai.

सीजीएस/ट्रांबे संजय गुप्ता ने फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र देकर ली दो पदोन्नतियां

मुंबई: संजय गुप्ता, चीफ गुड्स सुपरवाइजर (सीजीएस) भारत पेट्रोलियम रिफाइनरी गुड्स साइडिंग, ट्रांबे, मुंबई मंडल, मध्य रेलवे को फर्जी जाति प्रमाण के आधार पर पदोन्नति का लाभ लेने के मामले में शिकायत मिलने पर मध्य रेलवे विजिलेंस विभाग द्वारा मामले की जांच कर जांच रिपोर्ट के मुताबिक 6 अगस्त 2019 को एक मेजर पेनाल्टी चार्जशीट (एसएफ-5) जारी की गई थी, जिसमें उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अंतर्गत अब तक अनुचित प्रकार से प्रमोशन का लाभ हासिल करने का दोषी पाया गया था।

अनुशासनिक अधिकारी (डीए) अर्थात सीनियर डीसीएम, मुंबई मंडल, मध्य रेलवे ने उपरोक्त चार्जशीट पर 23 दिसंबर 2019 को जारी किए गए दंड के तहत संजय गुप्ता को सीजीएस (ग्रेड-4600) पे-मैट्रिक्स लेवल-7 से हेड बुकिंग क्लर्क (एचबीसी) (लोअर ग्रेड-4200 – पे-मैट्रिक्स लेवल-6) में रिवर्शन का आदेश देकर अपने अपने स्पीकिंग ऑर्डर में संजय गुप्ता द्वारा अनुचित प्रकार से तब तक लिए गए अधिक वेतन-भत्तों की रिकवरी करने का भी आदेश दिया था, जिसे ओएस/ पर्सनल को फौरन लागू करना चाहिए था, जो आज तक भी नहीं किया गया है।

संजय गुप्ता, जिसे सीनियर डीसीएम द्वारा 23 दिसंबर 2019 को नीचे के पद पर डॉउन ग्रेड कर दिया गया था, वह आज भी सीजीएस/बीआरएसजी/ट्रांबे के रुप में ही काम कर रहा है और नाजायज तरीके से उच्च पद की शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अपने अधीनस्थों को प्रस्तावित नियुक्ति पर भेजने के कार्य को (द्वेष पूर्वक) बिना किसी ऊपरी आदेश/निर्देश पर मनमाने तरीके से कर रहा है।

हालांकि रिकॉर्ड के अनुसार उसे 9 महीने पहले फर्जी जाति प्रमाण पत्र देने के लिए दंडित करके एचबीसी के निचले पद पर पदावनत (डिमोट) कर दिया गया था, जबकि उसका अपराध नौकरी से तुरंत बर्खास्त करने की श्रेणी वाला था। परंतु फिर भी आश्चर्यजनक तरीके से उसे लगातार उसी पद पर बनाए रखकर सीनियर डीसीएम कार्यालय तथा डीएंडएआर विभाग, सीएसएमटी द्वारा सभी प्रकार के पत्राचार में उसके पूर्व पदनाम सीजीएस/बीएसआरजी/ट्रांबे के तौर पर ही संबोधित किया जा रहा है।

उपलब्ध कागजात के मुताबिक आज तक संजय गुप्ता की नियमित पे-शीट से कोई रिकवरी नहीं की जा रही है, जाहिर है कि इससे रेलवे का नुकसान हुआ है और यह आपसी मिलीभगत के चलते हो रहा है।

यह संजय गुप्ता द्वारा वाणिज्य विभाग, मुंबई मंडल, मध्य रेलवे के कुछ शीर्ष अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया यह एक बहुत बड़ा घोटाला है।

संजय गुप्ता जो कि एक आदतन अफेंडर है और पहले भी जिन मामलों में उसको चार्जशीट/दंडित किया गया है, उनमें से एक डोंबिवली में फर्जी टिकट घोटाला भी है। इसके अलावा भिवंडी रोड स्टेशन में ओवरचार्जिंग के लिए डिकॉय चेक और कलवा बुकिंग में बतौर सीएनसी एक एसपीओ घोटाला भी शामिल है।

इस मामले में भी विजिलेंस द्वारा जांच की गई थी, परंतु ऐसे आदतन अफेंडर किस्म के कर्मचारी को बिना उसका इतिहास जाने वर्ष 2018 में स्वयं सीनियर डीसीएम ने उसे सीसीआई/एमपीपी जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया था। इससे जाहिर होता है कि उसके विरुद्ध चल रहे मामलों में लगातार उसको संरक्षण दिया गया है।

उपरोक्त पूरे मामले की जांच और अनुशासनिक अधिकारी द्वारा दिए गए दंड का उचित अनुपालन करवाने सहित इसमें कोताही बरतने वाले एपीओ/सी, ओएस/पी/कमर्शियल आदि के विरुद्ध समुचित विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सीवीओ/एसडीजीएम, मध्य रेलवे को एक लिखित शिकायत 25 सितंबर 2020 को सौंपी गई है।

इस दरम्यान संजय गुप्ता द्वारा उसे मिले दंड पर पुनर्विचार करने के लिए डीआरएम को अपील की गई है। विभागीय दंड प्रक्रिया अंतिम रूप से पूरी न होने के कारण ही शायद सीनियर डीसीएम द्वारा जारी रिकवरी आदेश पर अब तक अमल नहीं किया गया है। परंतु इस मुद्दे पर कोई अथॉरिटी कुछ बताने को तैयार नहीं है।

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