मैकेनिकल/इलेक्ट्रिकल विभागों में बदलाव से संभ्रम की स्थिति
दोनों विभागों के अधिकरी/कर्मचारी बदलाव को बता रहे हैं निरर्थक
नई दिल्ली : भारतीय रेल के मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रिकल विभाग के विभिन्न अधिकारियों की रिपोर्टिंग और विभागीय स्थितियों में 1 अप्रैल से बड़ा बदलाव हो गया है. इलेक्ट्रिकल विभाग से एसी और ट्रेन लाइटिंग शाखा को अलग कर दिया गया है. अब यह दोनों विभाग मैकेनिकल के अधीन हो गए हैं. इसके साथ ही अब तक मैकेनिकल विभाग के अधीन रहे लोको पायलट्स अब इलेक्ट्रिकल विभाग के नियंत्रण में आ गए हैं. रेलवे बोर्ड के संयुक्त सचिव एच. मोहराना द्वारा जारी इस आदेश के बाद अब सभी जोनल रेलों के हजारों कर्मचारियों के विभाग बदल गए हैं. एक अप्रैल से प्रभावी हुए इस आदेश को लेकर दोनों विभागों में भारी संभ्रम की स्थिति बन गई है. दोनों विभागों के अधिकरी और कर्मचारी इस बदलाव को निरर्थक मान रहे हैं.
डीजल मेंटेनेंस एवं ऑपरेशन के अराजपत्रित कर्मचारी मेंबर ट्रैक्शन के अधीन हो गए हैं, जबकि मेमू, ईएमयू, एसी एवं ट्रेन लाइटिंग के कर्मचारी अब मेंबर रोलिंग स्टॉक के अधीन काम करेंगे. इसी प्रकार डीजल मेंटेनेंस और ऑपरेशन के अधिकारियों पर प्रशासनिक नियंत्रण मेंबर ट्रैक्शन का होगा तथा मेमू, ईएमयू, ट्रेन लाइटिंग और एसी सहित इलेक्ट्रिकल कोचिंग के अधिकारियों का प्रशासनिक नियंत्रण अब मेंबर रोलिंग स्टॉक के मातहत रहेगा.
जबकि आदेश के अनुसार इलेक्ट्रिकल विभाग के अधिकारियों का कैडर कंट्रोल मेंबर ट्रैक्शन और मैकेनिकल विभाग का कैडर कंट्रोल मेंबर रोलिंग स्टॉक के पास ही पूर्ववत रहेगा. वैसे मंडलों में जहां सीनियर डीएमई, डीएमई पावर/ओएंडएफ का पद है, वहां डीजल ऑपरेशन के कार्य सीनियर डीईई/ऑपरेशन और डीईई/टीआरओ को ट्रांसफर कर दिए गए हैं तथा सीनियर डीएमई, डीएमई/पावर/ओएंडएफ का पद सीनियर डीएमई, डीएमई/फ्रेट के रूप में सृजित किया गया है.
विद्युतीकृत मंडल जहां सीनियर डीएमई, डीएमई/पावर एवं सीनियर डीएमई, डीएमई/फ्रेट दोनों के पद मौजूद हैं, उन मंडलों में सीनियर डीएमई, डीएमई/पावर का पद समाप्त कर दिया गया है. अब इन पदों को अन्य स्थान पर शिफ्ट करने की जिम्मेदारी प्रधान मुख्य मैकेनिकल इंजीनियर को सौंपी गई है. विद्युतीकृत मंडलों में वर्तमान में रनिंग कैडर में काम कर रहे कर्मचारी अब सीनियर डीईई, डीईई/ऑपरेशन, डीईई/टीआरओ के प्रशासनिक नियंत्रण में दे दिए गए हैं.
नॉन-रनिंग कैटगरी के कर्मचारियों को सीनियर डीएमई, डीएमई/फ्रेट और सीनियर डीईई, डीईई/ऑपरेशन, डीईई/टीआरओ के अधीन अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया गया है. कर्मचारियों की हिस्सेदारी डीआरएम के निर्णय पर आधारित होगी. ब्रेकडाउन और दुर्घटना राहत जैसे कार्य सीनियर डीएमई/कैरेजएंडवैगन के अधीन होंगे.
मंडलों में जहां सीनियर डीईई/जी और डीईई/जी ट्रेन लाइटिंग और एसी की देखरेख करते हैं, वहां इन कार्यों की देखरेख की जिम्मेदारी अब सहायक अभियंता एवं मंडल अभियंता करेंगे. ये दोनों अधिकारी तत्संबंधी सभी मामलों की जानकारी सीनियर डीएमई/कैरेज एंड वैगन को देंगे. सीनियर डीईई/जी और डीईई/जी अब केवल इलेक्ट्रिकल का काम देखेंगे.
भारतीय रेल के इन दोनों महत्वपूर्ण विभागों में उपरोक्त अंतर्विभागीय बदलाव का निर्णय रेलवे बोर्ड द्वारा शायद यह सोचकर लिया गया होगा कि इससे विभागवाद पर थोड़ी लगाम लगेगी. परंतु जोनल और मंडल मुख्यालयों सहित फील्ड में कार्यरत उक्त दोनों विभागों के अधिकारी और कर्मचारी इस बदलाव से खुश नही हैं. जैसा कि हर नए काम या नए बदलाव को स्वीकार करने में थोड़ा समय लगता है और शुरू में उसका विरोध भी होता है, शायद यही स्थिति यहां भी हो सकती है. परंतु दोनों विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का कहना है कि यह बदलाव निरर्थक और अनुत्पादक है, इससे रेलवे का कोई भला नहीं होने वाला है, बल्कि लंबे समय तक संभ्रम की स्थिति से तब तक काफी नुकसान हो चुका होगा. उनका कहना है कि यदि विभागवाद को ही खत्म करना इस बदलाव का उद्देश्य है, तो बाल मुंडाकर मुर्दा हल्का करने वाली कहावत को चरितार्थ करने के बजाय एकमुश्त कोई ऐसा निर्णय लिया जाना चाहिए कि सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को कुछ इस तरह प्रशिक्षित किया जाए कि वे हर वह काम करने के लिए तत्पर रहें, जो उन्हें सौंपा जाए.