पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा रेलवे बोर्ड के “केयर गिवर” संबंधी आदेश का उल्लंघन
जोनल अधिकारियों की मनमानी पर अविलंब अंकुश लगाए रेलवे बोर्ड!
गोरखपुर ब्यूरो : कोविड-19 महामारी के चलते रेलवे बोर्ड द्वारा रेल कर्मचारियों के स्थानांतरण पर लगाई गई रोक को पूर्वोत्तर रेलवे के सीएमएम/ई ने ताक पर रखते हुए कर्मचारियों का स्थानांतरण गोरखपुर डिपो से गोंडा डीजल डिपो करके एक कर्मचारी कृष्णानंद सिंह को 18 जुलाई को जबरन जॉइन भी करा दिया। इस स्थानांतरण से स्थानांतरण भत्ता भी देय होने से रेलवे पर अतिरिक्त भार भी पड़ा है।
सवाल यह उठता है कि यदि जोनल रेलों द्वारा बोर्ड के आदेशों और दिशा-निर्देशों का इसी तरह उल्लंघन किया जाता रहा, तो बोर्ड और उसके निर्देशों का औचित्य ही क्या रह जाएगा? ऐसा लगता है कि रेलवे बोर्ड की अनिश्चयात्मक स्थिति के चलते जोनल रेलों में कुछ अधिकारियों द्वारा मनमानी की जा रही है, जिस पर यदि समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो व्यवस्था में और अधिक अराजकता फैलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।
उपलब्ध कार्यालय आदेश से जाहिर है कि कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक संकट से गुजर रही रेलवे एवं कर्मचारियों की बीमारी से रोकथाम के लिए स्थानांतरणों पर बोर्ड द्वारा लगाई गई रोक के बावजूद सीएमएम/ई ने जानबूझकर आदेश का उल्लंघन कर अपनी मनमानी करते हुए 29 जून एवं 13 जुलाई को स्थानांतरण पत्र जारी करके तीन कर्मचारियों का स्थानांतरण गोरखपुर डिपो से गोंडा डीजल डिपो में किया है जो कि रेलवे बोर्ड के आदेश की खुली अवमानना है।
सीएमएम/ई/पूर्वोत्तर रेलवे ने आदेश सं. 20 को रेलवे बोर्ड के आदेश दि. 13.03.2020 का संज्ञान लिए बिना यूनियन के दबाव में निरस्त करते हुए ऐसे कर्मचारी का स्थानांतरण किया, जिसका भाई मानसिक विकलांग है और उक्त कर्मचारी ही उसका “केयर गिवर” है।
उल्लेखनीय है कि ऐसे कर्मचारियों का स्थानांतरण न किए जाने के संबंध में रेलवे बोर्ड द्वारा अलग से निर्देश जारी किया गया है। बोर्ड के उक्त निर्देश के साथ कर्मचारी ने जब सक्षम अधिकारी के समक्ष अपील दाखिल की तो उसकी इस अपील को भी रेलवे बोर्ड के आदेश का संज्ञान लिए बगैर निरस्त कर दिया गया।
कर्मचारियों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के समय बोर्ड के दिशा-निर्देशों को दरकिनार करके स्थानांतरण करने वाले पूर्वोत्तर रेलवे के सीएमएम/ई ने कर्मचारी और राष्ट्र विरोधी कार्य किया है।
उनका यह भी आरोप है कि पहले आदेश के तहत स्थानांतरित किए गए दो कर्मचारियों को यूनियन ने मोटी राशि लेकर पिछली तारीख से पदाधिकारी बताकर उनको स्थानांतरण से बचाया, जबकि सीएमएम/ई ने जातिगत भेदभाव और पक्षपात तथा बोर्ड के आदेशों का उल्लंघन करते हुए “केयर गिवर कर्मचारी” तक का स्थानांतरण करने से गुरेज नहीं किया।
रेलवे बोर्ड और सक्षम जोनल अथॉरिटी द्वारा इस मामले का अविलंब संज्ञान लिया जाना चाहिए।