सीपीडी/आरई/दानापुर पर अति-मेहरबान रेलवे बोर्ड !

Railway Electrification

क्या भारतीय रेल में अभय कुमार चौधरी के जितना काबिल अधिकारी अब कोई बचा ही नहीं?

सीपीडी/आरई/दानापुर अभय कुमार चौधरी पर पूर्व मेंबर ट्रैक्शन घनश्याम सिंह के रिटायर होने के एक साल बाद भी रेलवे बोर्ड आखिर क्यों मेहरबान है। यह बात किसी की भी समझ से परे है। घनश्याम सिंह, जिनका नाम उनकी भ्रष्ट कार्य-प्रणाली के चलते साथी विद्युत अधिकारियों ने “घमासान सिंह” रख दिया था, ने ही मेंबर ट्रैक्शन बनते ही अपने चहेते अभय कुमार चौधरी को सीपीडी/आरई/दानापुर बनाया था।

इतना ही नहीं घमासान सिंह ने अपने कार्यकाल में अक्टूबर 2018 से सीपीडी/आरई/हावड़ा का कुछ हिस्सा सीपीडी/आरई/दानापुर को ट्रांसफर कर दिया था। फरवरी 2019 में जब सीपीडी/आरई/हावड़ा का ट्रांसफर हो गया, तब घमासान सिंह ने सीपीडी/आरई/दानापुर को सीपीडी/आरई/हावड़ा का पूरा चार्ज सौंप दिया। जो अभी तक चल रहा है। जबकि घनश्याम सिंह का रिटायरमेंट हुए इसी माह एक साल होने जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर/रेलवे इलेक्ट्रीफिकेशन (सीपीडी/आरई) दानापुर अभय कुमार चौधरी को घमासान सिंह का लगातार वरदहस्त प्राप्त रहा है। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि इन दोनों की सेटिंग इतनी जबरदस्त है कि अभी भी आरई दानापुर का अच्छा खासा धन उगाही का हिस्सा घमासान सिंह को पहुंच रहा है! तथापि, रेलवे बोर्ड, रेलवे विजिलेंस और कोर मुख्यालय/प्रयागराज के दिमाग़ में अब तक उन्हें हटाने का ख्याल भी नहीं आ रहा है।

आज जबकि सीपीडी/आरई/हावड़ा के अधीन लगभग 1000 टीकेएम से अधिक का इलेक्ट्रीफिकेशन का काम चल रहा है, जो कि सीपीडी/आरई/दानापुर के कार्यक्षेत्र से ज्यादा है। फिर भी सीपीडी/आराई/हावड़ा की जगह किसी भी इलेक्ट्रिकल ऑफीसर की पोस्टिंग नहीं की जा रही है। जैसे कि अभय कुमार चौधरी के जितना काबिल अधिकारी भारतीय रेल में अब कोई बचा ही नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि अभय कुमार चौधरी को रेलवे बोर्ड विजिलेंस का भी वरदहस्त प्राप्त है। इसीलिए वह ओपन लाइन द्वारा किए गए ज़्यादातर काम के टेंडर अपने चहेते कांट्रेक्टर को अवार्ड करते हैं और कथित फाल्स बिलिंग कर करोड़ों रुपये का आपस में ठेकेदार के साथ मिलकर बंदरबांट कर रहे हैं। सीपीडी/आरई/हावड़ा के सभी टेंडर भी सीपीडी/आरई/दानापुर यानि अभय कुमार चौधरी द्वारा ही पटना में बैठकर किए जा रहे हैं।

यही वजह है कि शायद करोड़ों के खेल में रेलवे बोर्ड और विजिलेंस को भी मोटा माल पहुंच रहा होगा? इसीलिए सीपीडी/दानापुर अभय कुमार चौधरी को हटाने की बात तो दूर रही, उसे पिछले 18-20 महीनों से सीपीडी/आरई/हावड़ा की पोस्ट का अतिरिक्त प्रभार देकर और उसे खाली रखकर लुकिंग ऑफ्टर अरेंजमेंट से काम चलाया जा रहा है, जबकि बतौर सीपीडी/दानापुर अभय कुमार चौधरी का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है।

अब होना यह चाहिए कि अभय कुमार चौधरी को अविलंब सीपीडी/दानापुर की पोस्ट से ट्रांसफर करके उनके अधीन हुए अब तक सभी कार्यों और उनके द्वारा पटना के विभिन्न मॉल्स में खरीदी गई दूकानों सहित उनकी समस्त चल-अचल संपत्तियों की सीबीआई जांच कर करोड़ों के घोटाले को उजागर कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए। इसके साथ ही सीपीडी/आरई/हावड़ा के पद पर किसी अन्य सक्षम अधिकारी की पोस्टिंग अविलंब होनी चाहिए। क्रमशः

बेशर्मों को सींग और पूंछ नहीं होती!

देखें, घनश्याम सिंह उर्फ घमासान सिंह द्वारा अपनी वाहवाही के लिए बनाया गया वीडियो, जबकि वह अपनी पूरी रेलसेवा के दौरान भ्रष्टाचार के लिए पूरी भारतीय रेल में न सिर्फ अत्यंत विवादास्पद रहे, बल्कि बदनाम होकर रिटायर हुए और अभी भी न सिर्फ जम्मू-दिल्ली के सीबीआई दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, बल्कि क्वालिटी इंजीनियरिंग द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किए गए एक मुकदमें का सामना भी उन्हें करना पड़ रहा है।