माटुंगा वर्कशॉप: कैंटीन में 36 लाख के घोटाले की भरपाई रेट बढ़ाकर कर्मचारियों से करने पर आमादा वर्कशॉप प्रशासन
वर्कशॉप प्रशासन के इस निंदनीय निर्णय का यूनियन और कर्मचारियों का भारी विरोध
माटुंगा वर्कशॉप, मध्य रेलवे की कर्मचारी कैंटीन में वर्ष 2012 से चले आ रहे 36 लाख रुपए के घोटाले की राशि यह घोटाला करने वाले संबंधित अधिकारियों से करने के बजाय वर्कशॉप प्रशासन कैंटीन के खाद्य पदार्थों के रेट बढ़ाकर कर्मचारियों से इसकी भरपाई करने का अत्यंत अन्यायपूर्ण प्रयास कर रहा है। प्रशासन के इस निंदनीय प्रयास का विरोध यूनियन के साथ ही वर्कशॉप के लगभग सभी कर्मचारियों द्वारा भी किया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार माटुंगा वर्कशॉप प्रशासन द्वारा 26 जनवरी 2020 को कैंटीन में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों में मनमानी और कुतर्कपूर्ण वृद्धि कर दी गई थी। तभी से यूनियन और कर्मचारियों द्वारा इसका जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि 36 लाख की गड़बड़ी करने वालोें को वर्कशॉप प्रशासन द्वारा अन्यायपूर्ण तरीके से बचाने और इस गड़बड़ी का पैसा कर्मचारियों से वसूलने का शर्मनाक प्रयास किया जा रहा है।
पता चला है कि वर्कशॉप प्रशासन के साथ हुई पिछली बैठक में नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन (एनआरएमयू) ने चर्चा के दौरान रेट बढ़ाने का सख्त विरोध किया था और इस घोटाले की राशि कर्मचारियों से नहीं, बल्कि घोटाला करने वाले मैनेजमेंट कमेटी के संबंधित अधिकारियों से किए जाने की मांग की थी। परंतु ऐसा लगता है माटुंगा वर्कशॉप प्रशासन ने कर्मचारियों के हित में सोचने के बजाय घोटालेबाजों को बचाना ज्यादा जरूरी समझा है।
संभवतः आज शनिवार 7 मार्च को भी वर्कशॉप प्रशासन के साथ यूनियन प्रतिनिधियों और कैंटीन मैनेजमेंट कमेटी की बैठक होने वाली है।
यूनियन ने वर्कशॉप के अंदर चीफ वर्कशॉप मैनेजर (सीडब्ल्यूएम) कार्यालय के सामने अपना बोर्ड लगाकर वर्कशॉप प्रशासन को चेतावनी देते हुए लिखा था कि यूनियन, वर्कशॉप प्रशासन के अन्यायपूर्ण निर्णय की निंदा करती है और इस बारे में उसे सचेत करती है कि 28 मार्च 2018 को यूनियन द्वारा दिए गए मांग पत्र के अनुसार तत्काल कार्रवाई की जाए।
यूनियन ने अपने बोर्ड में यह भी लिखा था कि 36 लाख की गड़बड़ी करने वालोें के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए इस घोटाले की उपरोक्त राशि उनसे वसूल की जाए और वर्कशॉप कर्मचारियों से इसकी भरपाई करने के प्रयास का निंदनीय कदम तत्काल वापस लिया जाए, अन्यथा कर्मचारियों के हित में यूनियन को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ सकता है, क्योंकि प्रशासन की वसूली नीति अन्यायपूर्ण है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एनआरएमयू ने इससे पहले 11 नवंबर 2017 को भी वर्कशॉप प्रशासन को एक मांग पत्र देकर कैंटीन के रेट्स का पुनरीक्षण किए जाने की मांग की थी। उस पर भी वर्कशॉप प्रशासन ने आजतक कोई उचित निर्णय नहीं लिया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 के बाद से आजतक कैंटीन के लेखा-जोखा का समुचित ऑडिट नहीं किया गया है। जो ऑडिट किया भी गया, उसकी रिपोर्ट को प्रशासन ने सार्वजनिक करना जरूरी नहीं समझा।
तथापि वर्ष 2010-11 से 2015-16 तक की जो कथित ऑडिट रिपोर्ट्स (संदर्भ- सीआर/कैंटीन/एमटीएन/आरआर, दि.08.03.2018) कर्मचारियों के हाथ लगी हैं, उनके गहन अध्ययन से माटुंगा वर्कशॉप की कर्मचारी कैंटीन में भारी गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। इनके अवलोकन से जाहिर है कि माटुंगा वर्कशॉप की कर्मचारी कैंटीन की मैनेजिंग कमेटी भारी कुप्रबंधन और ऑडिट रिपोर्ट्स के मुताबिक अपरिमित वित्तीय गड़बड़ियों से कैंटीन की स्थिति काफी गंभीर है।
वर्कशॉप प्रशासन की “लापरवाही किसी की और भरपाई किसी से” की अन्यायपूर्ण नीति का विरोध करते हुए यूनियन ने 11 नवंबर 2017 को लिखे पत्र में कैंटीन की विस्तृत समीक्षा सहित “भाव बढ़ाने के कुत्सित प्रयास” की पूरी सच्चाई भी उजागर की थी। इसके साथ ही यूनियन ने कर्मचारियों के हित में चार मांगें भी वर्कशॉप प्रशासन से की थीं।
बताते हैं कि 7 मार्च 2018 की बैठक में सीडब्ल्यूएम ने यूनियन की चार मांगें मान ली थीं। इनमें उच्चाधिकार कमेटी का गठन करने, ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की करने, सभी सामग्री ई-टेंडर प्रणाली से खरीदे जाने और टेंपरिंग मुक्त कंप्यूटराइज्ड रिकॉर्ड कीपिंग प्रणाली लागू किए जाने की मांग शामिल थी। बताते हैं कि यह सारी व्यवस्था आजतक लागू नहीं हो पाई है। जबकि वर्कशॉप प्रशासन 36 लाख के घोटाले को या तो रफा-दफा करने अथवा खाद्य पदार्थों का रेट बढ़ाकर घोटाले की भरपाई कर्मचारियों से करने पर आमादा है।
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