पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन में अधिकारियों की प्रायोजित पोस्टिंग
डिप्टी सीई/सी कार्यालय बनाने-खत्म करने का चल रहा है प्रायोजित खेल
हाजीपुर : पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन में फील्ड अधिकारियों की पोस्टिंग और डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालयों को बनाने-खत्म करने तथा उन पर चहेते एवं भ्रष्ट अधिकारियों को बैठाने का प्रायोजित खेल खेला जा रहा है. जबकि कार्य की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा अधकचरे कर्मचारियों से मनमाने तरीके से एमबी भरवाने और बिना काम पूरा हुए ही उनका संपूर्ण भुगतान जारी करके रेलवे राजस्व को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जा रहा है.
सीमांचल क्षेत्र में चल रहे नए प्रोजेक्ट के लिए पुराने डिप्टी चीफ इंजीनियर कंस्ट्रक्शन कार्यालय दरभंगा में ही रखा जाना सही था अथवा सकरी-निर्मली या रक्सौल में रखा जाना चाहिए. इस बारे में पूर्व मध्य रेलवे का निर्माण संगठन दिग्भ्रमित नजर आ रहा है, क्योंकि आलोक कंसल जैसे नौटंकीबाज और जोड़तोड़ में माहिर सीएओ/सी के आ जाने से यहां भी फील्ड में अधिकारियों और कर्मचारियों की ‘जुगाड़ पोस्टिंग’ का खेल धड़ल्ले से शुरू हो गया है.
जब सभी प्रोजेक्ट सकरी-निर्मली क्षेत्र में चल रहे हैं, तो डिप्टी सीई/सी का कार्यालय दरभंगा में ही रखा जाना चाहिए था, फिर इसे मुजफ्फरपुर में क्यों शिफ्ट किया गया? यदि यह उचित था, तो अब मुजफ्फरपुर में नए बनाए गए डिप्टी चीफ इंजीनियर, निर्माण, कार्यालय के तहत ही दरभंगा को भी मर्ज कर देना रेलहित में होगा, जिसे लगभग 6 महीने पहले ही अस्थायी रूप में प्रायोजित तरीके से सृजित किया गया था. यह कहना है यहां के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों का.
इसी क्रम में उनका कहना है कि जब पुराना डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय रक्सौल में स्थित है, तब फिर नया डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय बेतिया में बनाए जाने का क्या औचित्य है? उनका यह भी कहना है कि जब कई नए प्रोजेक्ट्स का कार्य संपन्न हो चुका है, तब ओपेन लाइन से नए और गैर-अनुभवी अधिकारियों को निर्माण में लाने की क्या आवश्यकता है? इसके अलावा वरिष्ठ अनुभवी अधिकारी, जो पूर्व में निर्माण संगठन में कार्यपालक अभियंता या डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद पर कार्य कर चुके हैं, को प्राथमिकता दिए जाने के बजाए नए अधिकारियों की पदस्थापना करना रेलहित में नहीं है.
‘रेल समाचार’ का मानना है कि पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन में यूनिट हेड के रूप में ऐसे क्लास-1 जेए ग्रेड अधिकारियों को प्राथमिकता दी जाए, जिन पर किसी भी तरह के आरोप न हों और जिनके विरुद्ध किसी प्रकार की विजिलेंस जांच न चल रही हो. इसके साथ ही निर्माण संगठन में 15 वर्षों से ज्यादा अवधि से लगातार कार्यरत और विजिलेंस द्वारा आरोपित जेई और एसएसई को भी उनके वास्तविक मंडलों/जोनों में अविलंब वापस किया जाना चाहिए, ताकि नए आने वाले एसएसई द्वारा क्वालिटी वर्क सुनिश्चित किया जा सके.
कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान में पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन का बहुत बुरा हाल है. सीधी भर्ती जेई/एसएसई और पीडब्ल्यूएस के बजाय व्यवस्था के दुर्भाग्यवश पदोन्नत जेई और एसएसई द्वारा निर्माण कार्य संपादित करवाए जा रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप अमानक कार्य-संपादन और उक्त अधूरे कार्यों का पूरा भुगतान किए जाने का खेल हो रहा है. आखिर बार-बार स्थानांतरण आदेश बदले जाने के पीछे पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन प्रमुख का क्या उद्देश्य हो सकता है? इस पर रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड को स्वतः संज्ञान लेकर उचित करवाई की जानी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सीएओ/नार्थ द्वारा रेलवे हित को दरकिनार कर एक कार्टेल के तहत कई नए डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय का सृजन कर अपने चेहते अधिकारियों की पदस्थापना की गई और दरभंगा जैसे पुराने कार्यालयों को समाप्त कर उक्त खंड को नए सृजित कार्यालय के अधीन मर्ज कर दिया गया, जबकि वहां चल रहे प्रोजेक्ट मुजफ्फरपुर के बजाय दरभंगा से काफी नजदीक थे. अब पुनः दरभंगा में नया डिप्टी सीई/सी कार्यालय बनाए जाने का कोई औचित्य किसी की भी समझ से परे है.
बताते हैं कि समस्तीपुर मंडल के जिस अधिकारी की पोस्टिंग हाल ही में हाजीपुर मुख्यालय में हुई थी, उसके लिए ही अब दरभंगा में पुनः डिप्टी सीई/सी कार्यालय बनाया जा रहा है. आरोप है कि यह खेल पैसे की बदौलत खेला जा रहा है. इसी तरह अनावश्यक रूप में बेतिया में और नरकटियागंज के नाम से डिप्टी सीई/सी कार्यालय सृजित कर प्रायोजित पोस्टिंग की गई है. इस कार्यालय से रेलवे को कोई फायदा नहीं होने वाला है. इसका लाभ सिर्फ संबंधित अधिकारियों को ही व्यक्तिगत रूप से मिलने वाला है.