रेलवे बोर्ड से ज्यादा पावरफुल है अनिल गुप्ता का मनी-पावर!
अनिल गुप्ता का फेवर कर रही है आईआरसीटीसी की भ्रष्ट लॉबी?
दिल्ली से बाहर के आदेश के बावजूद अनिल गुप्ता की पुनः दिल्ली में पोस्टिंग
सांसद वसावा ने पत्र लिखकर किया अनिल गुप्ता की दिल्ली पोस्टिंग का विरोध
सुरेश त्रिपाठी
रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड से ज्यादा पावरफुल है आईआरसीटीसी का जेजीएम अनिल गुप्ता और उसका मनी-पावर, जिसने अपने मनी-पावर की बदौलत दिल्ली में पुनः अपनी पोस्टिंग मैनेज कर ली है, जबकि सीवीओ/आईआरसीटीसी और सीवीओ/रेलवे बोर्ड ने उसे दिल्ली एरिया से बाहर ही रखने के लिखित आदेश दिए थे. यह मजमून है लोकसभा सांसद मनसुखभाई धनजीभाई वसावा के उस पत्र का, जो कि उन्होंने रेलमंत्री पीयूष गोयल को कदाचारी जेजीएम अनिल गुप्ता की दिल्ली में पुनः की गई पोस्टिंग का विरोध करते हुए 18 मई 2018 को लिखा था.
उल्लेखनीय है कि आईआरसीटीसी के सर्वाधिक भ्रष्ट जेजीएम अनिल गुप्ता को गत वर्ष तब आईआरसीटीसी के कॉर्पोरेट ऑफिस, दिल्ली से हटाकर चंडीगढ़ भेज दिया गया था, जब उसके खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति की कई शिकायतों पर सीवीओ/आईआरसीटीसी की जांच के बाद उसे दोषी पाया गया था. सीवीओ/आईआरसीटीसी ने उसे दिल्ली से बाहर भेजे जाने की सिफारिश की थी, मगर तब भी आईआरसीटीसी की भ्रष्ट लॉबी ने जब लंबे समय तक उक्त सिफारिश पर अमल नहीं किया था, तब भी कई सांसदों ने इस बारे में तत्कालीन रेलमंत्री को लिखा था. इसके बाद ही रेलवे बोर्ड के लिखित आदेश पर उसे दिल्ली से हटाकर चंडीगढ़ भेजा गया था.
अपने उपरोक्त पत्र के साथ सांसद श्री वसावा ने रेलवे बोर्ड के पत्र की प्रति संलग्न करते हुए आईआरसीटीसी में चल रहे भ्रष्टाचार की तरफ रेलमंत्री का ध्यान आकर्षित किया है कि भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतों की जांच के बाद सीवीओ/आईआरसीटीसी की सिफारिश पर जेजीएम/आईआरसीटीसी अनिल गुप्ता को दिल्ली से बाहर ‘गैर-संवेदनशील’ पद पर रखे जाने का स्पष्ट लिखित आदेश रेलवे बोर्ड ने दिया था. उन्होंने लिखा है कि जेजीएम अनिल गुप्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार और घरानेशाही चलाने की कई व्यक्तियों के साथ ही कई सांसदों की भी शिकायत के बाद रेलवे बोर्ड ने उन्हें दिल्ली से बाहर शिफ्ट किए जाने का आदेश दिया था. सांसद श्री वसावा ने रेलवे बोर्ड के पत्र का उल्लेख करते हुए लिखा है कि सीवीओ/आईआरसीटीसी और सीवीओ/रेलवे बोर्ड दोनों ने अनिल गुप्ता को आईआरसीटीसी के दिल्ली स्थित कॉर्पोरेट कार्यालय से निकाल बाहर करने को लिखा था.
सांसद श्री वसावा ने आगे लिखा है कि जेजीएम अनिल गुप्ता ने अपने मनी-पावर की बदौलत दिल्ली में अपनी पोस्टिंग मैनेज कर ली है, जिससे वह एक बार पुनः कैटरिंग कॉन्ट्रैक्ट्स और इससे संबंधित लाइसेंस, कस्टमर्स, टेंडर्स की डीलिंग और भ्रष्ट गतिविधियों के माध्यम से अपने और अपने नजदीकी रिश्तेदारों के नाम पर अमाप संपत्ति अर्जित कर सके. उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि इसका मतलब यह है कि अनिल गुप्ता का मनी-पावर रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड के आदेश से ज्यादा पावरफुल है. उन्होंने रेलमंत्री से अपील की है कि अनिल गुप्ता के इस पूरे मामले की जांच सीवीसी, रेलवे बोर्ड विजिलेंस और आयकर विभाग से करवाई जाए. इसके साथ ही उसकी पूरी मनी-चेन, जिसे उसने खासतौर पर पंजाब में अपने और अपने नजदीकी रिश्तेदारों के नाम पर चल-अचल संपत्ति, जमीन, फार्महाउस, सिंचित कृषि भूमि इत्यादि में जो करोड़ों रुपये का निवेश किया है, उसकी जांच भी गहराई से करवाई जाए.
यहां अक्षरशः प्रस्तुत है दि. 04.05.2017 का वह पत्र (सं. 2017/एएम/टीएंडसी/कांफिडेंसियल-1) जो रेलवे बोर्ड ने जेजीएम/आईआरसीटीसी अनिल गुप्ता को दिल्ली से बाहर भेजे जाने और गैर-संवेदनशील पद पर रखे जाने के संदर्भ में तत्कालीन सीएमडी/आईआरसीटीसी को लिखा था. रेलवे बोर्ड के इस पत्र की कड़ी भाषा से स्पष्ट है कि अनिल गुप्ता की भ्रष्ट करतूतों से रेलवे बोर्ड कितना व्यथित और नाराज था, क्योंकि उसकी करतूतों से रेलवे की छवि बड़े पैमाने पर धूमिल हुई थी.
प्रस्तुत पत्र-
Sub: Irregular posting of Shri Anil Gupta, JGM/Catering/CO.
Ref.: 1) CVO/IRCTC Confidential Note no. 2017/IRCTC/Vig/Comp/RB/CA-III/01, dated 20.02.2017 and letter dated 17.04.2017.
2) DSC/IRCTC letter no. IRCTC/HRD/Rotation/Transfer/Catering dated 27.04.2017.
With reference to the above-mentioned issues regarding the transfer of Shri Anil Gupta, JGM/Catering/IRCTC, directions had been issued from Board to transfer the officer out of Delhi immediately and compliance communicated to this office by 28th April 2017. However, surprisingly, DSC/IRCTC vide his letter dated 27.04.2017 had instead given a justification for retention of the said officer within the Corporate Office. It appears that the management of IRCTC finds the services of Shri Anil Gupta to be indispensable whereby the working of the Company will come to a complete halt if he is transferred out of the Corporate Office as also out of Delhi. This is an indication of the management failure, as an officer who started his career as a Booking Clerk on Delhi Division and having no any professional education or training in the area of catering, but with a huge baggage of corruption charges against him, is found to be indispensable by the Company for his retention within the Corporate Office despite recommendation to the contrary from CVO/IRCTC as well as Board.
Meanwhile, I am also enclosing a complaint fromShri Bhanu Pratap Singh Verma, Hon’ble Member of Parliament (Lok Sabha), wherein vide his letter dated 24.03.2017 addressed to Hon’ble Minister of Railways, various allegations of corruption and nepotism have been levelled by the Hon’ble Member of Parliament against the said officer.
This office has already received several other complaints against Shri Anil Gupta and the same have been forwarded to IRCTC from time to time.In view of the advisory received from CVO/IRCTC vide her letter dated 17.04.2017 as was referred to earlier, it is desired that Shri Anil Gupta, is immediately shifted out of Delhi to a non-sensitive assignment (where he shall not be handling tenders, contracts or where passing/sanction of contractor bills are involved, etc). It is desired that IRCTC should not further procrastinate on this issue and it shall now be the responsibility of CMD/IRCTC to ensure compliance of these instructions of Board, and give feedback accordingly to this office by 12.05.2017.
रेलवे बोर्ड के पत्र की उपरोक्त भाषा से स्पष्ट है कि जेजीएम अनिल गुप्ता का भ्रष्टाचार और करतूतें कितनी गंभीर थीं? इसके बावजूद आईआरसीटीसी के तत्कालीन भ्रष्ट अधिकारी तब भी उसे बचाने और दिल्ली से बाहर भेजने को तैयार नहीं थे. रेलवे बोर्ड के पत्र से यह भी जाहिर है कि तत्कालीन डीएससी/आईआरसीटीसी ने अपने पत्र से रेलवे बोर्ड को यह बताने की कोशिश की थी कि यदि अनिल गुप्ता को दिल्ली अथवा कॉर्पोरेट ऑफिस से बाहर भेज दिया जाएगा, तो आईआरसीटीसी का सारा कामकाज ही ठप हो जाएगा. इससे यह भी स्पष्ट जाहिर हो रहा है कि तब भी आईआरसीटीसी में भारी भ्रष्टाचार हॉवी था और अब भी हॉवी है.
उल्लेखनीय है कि उस समय भी ‘रेल समाचार’ ने इस पूरे प्रकरण को विस्तार से प्रकाशित किया था. जब पूरा मामला सार्वजनिक हो गया और रेलवे एवं आईआरसीटीसी की पूरी तरह से किरकिरी हो गई थी, तथा जब तत्कालीन महाभ्रष्ट सीएमडी/आईआरसीटीसी की भी तमाम भ्रष्ट करतूतें उजागर हो गई थीं, तब अनिल गुप्ता को मजबूरी में उन्हें चंडीगढ़ ट्रांसफर करना पड़ा था. वर्तमान में भी आईआरसीटीसी का कामकाज भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है. इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण तो अनिल गुप्ता की पुनः दिल्ली में की गई पोस्टिंग ही है. इसके अलावा इटारसी के एक कैटरिंग कांट्रेक्टर सहित कुछ अन्य कॉन्ट्रैक्टर्स एवं सप्लायर्स को खासतौर पर फेवर किया जा रहा है. इसकी विस्तृत खबर शीघ्र ही ‘रेल समाचार’ द्वारा प्रकाशित की जाएगी.
उपरोक्त पूरे प्रकरण पर आईआरसीटीसी के वर्तमान सीएमडी एम. पी. मल से जब ‘रेल समाचार’ ने उनके मोबाइल पर संपर्क करके उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की, तो उन्होंने रेस्पोंड नहीं किया. उन्होंने एसएमएस का भी कोई जवाब नहीं दिया. इसके अलावा यहां प्रस्तुत सांसद का पत्र और रेलवे बोर्ड का उक्त पत्र भी उन्हें व्हाट्सऐप पर भेजकर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, परंतु उन्होंने इस पर भी अपनी कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की. हालांकि रेलवे बोर्ड के संबंधित अधिकारियों ने ‘रेल समाचार’ से यह अवश्य कहा कि वह मामले पर संज्ञान ले रहे हैं और इस पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है कि अनिल गुप्ता की यह पोस्टिंग कैसे और किसके कहने पर दिल्ली में की गई है. इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.