किसी भी उत्पादन इकाई के निगमीकरण की फिलहाल कोई योजना नहीं -सीआरबी
एआईआरएफ और उत्पादन इकाईयों के पदाधिकारियों की सीआरबी के साथ बैठक
नई दिल्ली : ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा की अगुवाई में भारतीय रेल की सभी उत्पादन इकाईयों के पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधि मंडल ने चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी) विनोद कुमार यादव से मंगलवार, 13 अगस्त को मुलाकात की. प्रतिनिधि मंडल में शामिल पदाधिकारियों का सीआरबी से पहला सवाल यही था कि जब सभी उत्पादन इकाईयां सफलतापूर्वक और पूरी क्षमता के साथ उत्पादन कर रही हैं, तब फिर इनके निगमीकरण की बात क्यों की जा रही है?
इस सवाल के जवाब में सीआरबी विनोद कुमार यादव ने पदाधिकारियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि फिलहाल सौ दिन में कुछ नहीं होने जा रहा है, अभी सिर्फ एक अध्ययन कराया जा रहा है, कोई भी फैसला बिना कर्मचारियों की सहमति के नहीं लिया जाएगा और ऐसा भी कोई फैसला नहीं होगा, जो कर्मचारियों के खिलाफ हो.
रेल भवन के कांफ्रेंस रुम में हुई इस बैठक के दौरान एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि 100 दिन की कार्ययोजना से उत्पादन इकाईयों के कर्मचारियों में भय और नाराजगी व्याप्त है, सभी प्रोडक्शन यूनिट अपने लक्ष्य से ज्यादा रिकार्ड उत्पादन कर रही हैं, जबकि सभी जगह काफी वैकेंसी भी हैं. उन्होंने कहा कि एक तरफ रेलवे की उत्पादन इकाईयों की संसद में तारीफ की जा रही है, उन्हें अच्छे काम के लिए शील्ड दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर इन्हें निगम में तब्दील करने की भी बात हो रही है, यह विरोधाभास क्यों है?
कॉम. मिश्रा ने कहा कि औद्योगिक शांति के लिए जरूरी है कि कर्मचारियों की मेहनत का सम्मान हो और सरकारी कर्मचारियों को सरकारी ही रहने दिया जाए. उन्होंने कहा कि उत्पादन इकाईयों के कर्मचारियों को जो भी लक्ष्य दिया जाएगा, उसे वे पूरी मेहनत और लगन के साथ पूरा करेंगे.
इस पर सीआरबी ने कर्मचारी नेताओं की शंका का समाधान करते हुए स्पष्ट किया कि फिलहाल कोई भी उत्पादन इकाई निगम में तब्दील होने नहीं जा रही है. उन्होंने विस्तार से पूरी जानकारी दी और कहा कि सरकार ने सौ दिन की एक कार्ययोजना तैयार की है, जिसमें कुल छह मुद्दे हैं. इसमें सभी 6500 रेलवे स्टेशनों को वाईफाई से सुसज्जित करना है, दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकता रूट में ट्रेनों की स्पीड बढ़ाई जानी है, सिगनलों को अपग्रेड करना है, 2800 सड़क पुलों (आरओबी) का निर्माण किया जाना है, ये सभी कार्य हमारी प्राथमिकता में हैं. जहां तक दो मुद्दे उत्पादन इकाईयों के निगमीकरण और प्राइवेट ऑपरेटर्स द्वारा कुछेक ट्रेनों को चलाने का मामला है, यह फिलहाल सिर्फ एक विचार मात्र है.
सीआरबी ने कहा कि हमारे पास तेजस के रेक काफी समय से उपलब्ध हैं, लेकिन उनका संचालन नहीं हो रहा था, अभी आईआरसीटीसी को कहा गया है कि वह इसका संचालन करे, लेकिन इसमें इंजन हमारा होगा, सुरक्षा हमारी होगी, ड्राइवर-गार्ड हमारे होंगे, बस वह सिर्फ टिकट की बिक्री करेंगे और हमें उसकी फीस अदा करेंगे. इसके अलावा हमारी जो भी ट्रेनें अभी चल रही हैं, उनमें कोई हस्तक्षेप नहीं होने वाला है. इस तरह की ट्रेनें अभी भी चल रही हैं.
उन्होंने कहा कि अब जहां तक उत्पादन इकाईयों और कारखानों का सवाल है, हम जानते हैं कि सीमित संसाधनों में हमारे रेल कर्मचारियों ने बेहतर नतीजे दिए हैं. उनसे जो भी अपेक्षा की गई है, वह उस पर खरे उतरे हैं. सीआरबी ने कहा कि किसी को घबराने की कोई जरूरत नहीं है, कम से कम वह अपने कार्यकाल में ऐसा कोई फैसला नहीं लेंगे, जिससे कर्मचारियों का अहित हो. सरकार के एजेंडे पर मात्र स्टडी कराई जा रही है. उसकी रिपोर्ट आने पर बहुत ही विस्तार से बात होगी, इस बातचीत में फेडरेशनों को भी शामिल किया जाएगा.
सीआरबी ने कहा कि अगले 10-15 साल में भारतीय रेल को एक बड़े बदलाव की ओर ले जाने की योजना है. इसके लिए 50 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है. कोशिश यह हो रही है कि देश में ‘ट्रेन ऑन डिमांड’ हो. ‘मेक इन इंडिया’ के तहत न सिर्फ बुलेट ट्रेन चलाने की योजना है, बल्कि कोशिश होगी कि बुलेट ट्रेन का उत्पादन भी देश में ही हो.
उन्होंने कहा कि फिलहाल ये सभी भविष्य की योजनाएं हैं. इस बातचीत के दौरान मेंबर स्टाफ मनोज पांडेय, एनआरएमयू के अध्यक्ष एस. के. त्यागी, महासचिव एल. एन. पाठक के अलावा सभी उत्पादन इकाईयों के पदाधिकारी और प्रतिनिधि उपस्थित थे.