August 15, 2019

निजीकरण और निगमीकरण के शोर से कर्मचारियों में भय और गुस्सा है -शिवगोपाल मिश्रा

महामंत्री/एआईआरएफ ने रेलमंत्री पीयूष गोयल को कर्मचारियों की मन:स्थिति से अवगत कराया

नई दिल्ली : ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने हाल ही में रेलमंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करके उनसे कहा कि रेल मंत्रालय से निजीकरण और निगमीकरण का आदेश भले ही जारी न हुआ हो, लेकिन इसके शोर से कर्मचारियों में भारी नाराजगी है, इस पर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, जिससे कर्मचारी भयमुक्त होकर अपने काम को अंजाम दे सकें. इस पर रेलमंत्री ने पुनः दोहराया कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है, अभी एक स्टडी कराई जा रही है, सरकार फेडरेशन के साथ बात करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचेगी.

महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने रेलमंत्री से मुलाकात में उनसे रेलकर्मचारियों से जुड़े कई मुद्दों पर बात की और उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा. उन्होंने ने कहा कि इस समय देश भर में भारतीय रेल के निजीकरण का शोर मचा हुआ है. यही नहीं, कारखानों और उत्पादन इकाईयों के निगमीकरण की बात की जा रही है. इसके अलावा रेलवे के सभी प्रिटिंग प्रेस को भी बंद करने की बात हो रही है. इससे रेल कर्मचारियों में न सिर्फ भय का वातावरण व्याप्त है, बल्कि इसे लेकर भारी नाराजगी भी है. कॉम. मिश्रा ने कहा कि चाहे रेलवे कर्मचारी हों या फिर उत्पादन इकाईयों के, सभी कड़ी मेहनत करते हैं और अच्छे परिणाम भी दे रहे हैं. यदि इसके बावजूद उनके ऊपर निजीकरण और निगमीकरण की तलवार लटकी रहती है, तो उनकी कार्य-क्षमता पर असर पड़ना स्वाभाविक है.

रेलमंत्री पियूष गोयल ने कहा कि रेलकर्मचारियों को फिक्र करने की जरूरत नहीं है. अभी एक स्टडी कराई जा रही है. इसकी रिपोर्ट आने पर फेडरेशन से बातचीत होगी, उसके बाद ही कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा.रेलमंत्री गोयल ने कहा कि ऐसा कोई काम नहीं किया जाएगा, जो रेल कर्मचारियों के हित में न हो.

महामंत्री कॉम. मिश्रा ने कहा कि कुछ ऐसी बातें शुरु हो जाती हैं, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी और बढ़ जाती है. अभी निजीकरण और निगमीकरण को लेकर कर्मचारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ था कि अब 30 साल की सेवा या 55 साल में कर्मचारियों को रिटायर करने की बात हो रही है. उन्होंने कहा कि एक ओर तो रेलकर्मचारियों को मेहनती और ईमानदार मानते हुए रिटायर होने के बाद भी रिइंगेज किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर 55 साल की उम्र में रिटायर करने की बात हो रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की इस दोहरी नीति का फेडरेशन सख्त विरोध करती है, अगर ऐसा कुछ भी किया गया, तो एआईआरएफ आंदोलन के लिए मजबूर होगी.