पू.म.रे. निर्माण संगठन: अधिकारियों/कर्मचारियों की ‘जुगाड़ पोस्टिंग’ का खेल
अलग डिप्टी डिप्टी सीई/सी कार्यालय स्थापित करने हेतु अपनाई जा रही ‘जुगाड़ तकनीक’
फर्जी एमबी और काम पूरा हुए बिना पूरा भुगतान करके लगाया जा रहा बड़े पैमाने पर चूना
विशेष प्रतिनिधि, हाजीपुर : पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन में फील्ड अधिकारियों की पोस्टिंग और डिप्टी चीफ इंजीनियर, कंस्ट्रक्शन कार्यालयों को बनाने और खत्म करने तथा उन पर चहेते एवं भ्रष्ट अधिकारियों को बैठाने का प्रायोजित खेल खेला जा रहा है. जबकि कार्य की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा अधकचरे ज्ञान वाले विभागीय पदोन्नत तथा आरआरबी के माध्यम से नए भर्ती बिना जेटीसी ट्रेनिग वाले जेई एवं एसएसई स्तर के कर्मचारियों से मनमाने तरीके से एमबी भरवाने और काम पूरा हुए बिना ही उनका संपूर्ण भुगतान जारी करके रेलवे राजस्व को बड़े पैमाने पर चूना लगाया जा रहा है.
विश्वसनीय सूत्रों ने ‘रेल समाचार’ को बताया कि सीमांचल क्षेत्र में चल रहे नए निर्माण प्रोजेक्ट्स के लिए पुराने डिप्टी चीफ इंजीनियर, कंस्ट्रक्शन कार्यालय को दरभंगा में ही रखा जाना सही था, जबकि नए सीएओ द्वारा पदस्थापना कर कार्यालय की पुनः शुरुआत कर दी गई है. सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा सकरी-निर्मली निर्माण कार्य के लिए अलग डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय स्थापित करने हेतु ‘जुगाड़ तकनीक’ अपनाई जा रही है. उनका कहना है कि इस बारे में पूर्व मध्य रेलवे का निर्माण संगठन पुनः दिग्भ्रमित नजर आ रहा है, क्योंकि यहां भी फील्ड में अधिकारियों और कर्मचारियों की ‘जुगाड़ पोस्टिंग’ का खेल धड़ल्ले से शुरू हो गया है.
सूत्रों ने बताया कि कई वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि जब सभी प्रोजेक्ट सकरी-निर्मली क्षेत्र में चल रहे हैं, तो डिप्टी सीई/सी का कार्यालय दरभंगा में ही रखा जाना चाहिए था, फिर इसे मुजफ्फरपुर में क्यों शिफ्ट किया गया? कई वरिष्ठ कर्मचारियों का भी यही कहना है कि यदि यह गलत और प्रायोजित था, तो अब मुजफ्फरपुर में नए बनाए गए डिप्टी चीफ इंजीनियर, निर्माण कार्यालय को अस्तित्व में क्यों रखा गया है, इसे अविलंब मर्ज कर देना रेल हित में होगा, जिसे लगभग 6 महीने पहले ही अस्थाई रूप में प्रायोजित तरीके से सृजित किया गया था.
इसी क्रम में उनका यह भी कहना है कि जब पुराना डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय रक्सौल में स्थित है, तब फिर नया डिप्टी चीफ इंजीनियर कार्यालय बेतिया या नरकटियागंज में बनाया जाना न सिर्फ रेलवे राजस्व का दुरुपयोग करना है बल्कि प्रोजेक्ट के नाम पर फंड्स की प्रायोजित लूट की छूट देना भी है. उनका कहना है कि अमानक कार्यों में लिप्त भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्माण संगठन से जीरो टॉलरेंस पर बाहर किए बिना गुणवत्तापूर्ण कार्य संपादन सुनिश्चित करने की लफ्फाजी करना हास्यपद है.
जानकार कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान में पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन का बहुत बुरा हाल है. सीधी भर्ती के उपरांत जेटीसी ट्रेनिंग पास किए बिना ही और ओपन लाइन के अधीन कम से कम पांच वर्ष की सेवा/प्रशिक्षण अवधि पूरा किए बिना उन्हें सीधे जेई/एसएसई के पद पर स्वतंत्र कार्य निर्माण प्रभारी बनाकर पदस्थ कर देना कहां तक उचित है? इससे पूर्व मध्य रेलवे के नए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और अमानक कार्य करवाए जा रहे हैं. उनका कहना है कि इन अधकचरे लोगों को दबाव में लेकर गलत एमबी भरवाकर फर्जी भुगतान भी किए जा रहे हैं.
इसी तरह पी-वे संबंधित निर्माण कार्यों में भी प्रशासनिक नियंत्रण व्यवस्था का संचालन करने वाले अधिकारियों के गलत नीतिगत फैसलों से दुर्भाग्यवश रेलपथ पर्यवेक्षक से पदोन्नत जेई और एसएसई, जो अधिकांश ग़ैरतकनीकी श्रेणी वाले या मात्र दसवीं पास हैं, के माध्यम से स्वतंत्र रूप से निर्माण कार्य संपादित करवाए जा रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप अमानक कार्य-संपादन और उक्त अधूरे कार्यों का पूरा भुगतान किए जाने का खेल हो रहा है.
कई वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर बार-बार स्थानांतरण आदेश बदले जाने के पीछे पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन प्रमुख का क्या उद्देश्य हो सकता है? उनका कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह सब भ्रष्टाचार की बदौलत ही हो रहा है. इस मामले में रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड को स्वतः संज्ञान लेकर ऐसे सभी मामलों की गहराई से छानबीन करके दोषी अधिकारियों के विरुद्ध उचित दंडात्मक करवाई की जानी चाहिए, तभी पूर्व मध्य रेलवे में चल रहा यह जंगलराज समाप्त हो सकता है.