सेंट्रल रेलवे ईसीसी सोसाइटी में एनआरएमयू को मिला भारी बहुमत

सोसाइटी के कुल 274 में से एनआरएमयू के 246 प्रतिनिधि चुने गए

मुंबई/आगरा और कोंकण रेलवे की सभी सीटों पर एनआरएमयू का कब्जा

सीआरएमएस को 26, अन्य को मिलीं सिर्फ 2, एक सीट पर था गठबंधन

मुंबई : सेंट्रल रेलवे एम्प्लाइज को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड (ईसीसी सोसाइटी) के चुनाव में नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन (एनआरएमयू) ने भारी बहुमत प्राप्त करके सोसाइटी के प्रबंधन और संचालन पर अपना कब्जा बरकरार रखा है. एनआरएमयू के महामंत्री वेणु पी. नायर के नेतृत्व में ईसीसी सोसाइटी का यह चुनाव 26 जून को संपन्न हुआ. अध्यक्ष पी. जे. शिंदे द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार चुनाव में एनआरएमयू को सोसाइटी की कुल 274 सीटों में से 246 सीटें मिली हैं. जबकि सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ (सीआरएमएस) को कुल 26 और अन्य को 3 सीटें मिली हैं. भुसावल मंडल की बडनेरा सीट गठबंधन के चलते अन्य के खाते में गई है.

उल्लेखनीय है कि सेंट्रल रेलवे, मुंबई मंडल की कुल 80 सीटों और कोंकण रेलवे की कुल चार सीटों पर अकेले एनआरएमयू ने अपना कब्जा जमाया. तमाम जद्दोजहद के बावजूद यहां अन्य किसी संगठन को एक भी सीट नहीं मिल पाई. यही स्थिति उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल की भी रही, जहां कुल 13 सीटें एनआरएमयू के खाते में गईं हैं. इसी प्रकार भुसावल मंडल की कुल 35 में से 32, नागपुर मंडल की 23 में से 18, पुणे मंडल की कुल 11 में से 10, सोलापुर मंडल की कुल 14 में से 12, भोपाल मंडल, प.म.रे. की कुल 29 में से 20, जबलपुर मंडल, प.म.रे. की कुल 29 में से 26 और झांसी मंडल, उ.म.रे. की कुल 36 में से 31 तथा आगरा मंडल, उ.म.रे. की कुल 13 में से 13 सीटें एनआरएमयू के खाते में आई हैं. इस तरह एनआरएमयू ने कुल 274 में से 246 सीटों पर भारी बहुमत प्राप्त किया है.

ईसीसी सोसाइटी के चुनाव में एनआरएमयू की मुख्य प्रतिद्वंद्वी सीआरएमएस को पुणे मंडल में एक, सोलापुर मंडल में दो, भुसावल मंडल तीन, नागपुर मंडल में तीन, जबलपुर मंडल में तीन, भोपाल मंडल में नौ और झांसी मंडल में पांच सीटें ही मिल पाईं और उसने किसी भी मंडल में एक का आंकड़ा पार नहीं किया. जबकि मुंबई और आगरा मंडल तथा कोंकण रेलवे में सीआरएमएस का खाता भी नहीं खुल पाया. हालांकि बताते हैं कि ओबीसी और एससी/एसटी एसोसिएशन के साथ सीआरएमएस का अलिखित चुनावी गठबंधन था, परंतु जिसका रेलकर्मियों के बीच कोई अस्तित्व नहीं है, उनके साथ गठबंधन करने का नुकसान ही उसे उठाना पड़ा है. जबकि शिवसेना समर्थित रेल कामगार सेना और मनसे समर्थित महाराष्ट्र नवनिर्माण रेल कामगार सेना इस चुनाव में अलग-थलग रहे, क्योंकि उनके समर्थन या सहभागिता का कोई प्रभाव इस चुनाव में देखने को नहीं मिला.

ज्ञातव्य है कि सेंट्रल रेलवे एम्प्लाइज को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड (ईसीसी सोसाइटी) की स्थापना वर्ष 1913 में हुई थी. भारतीय रेल में रेलकर्मियों की यह सबसे पुरानी सोसाइटी है. इसे पूरे एशिया महाद्वीप में भी सबसे बड़ी सोसाइटी के रूप में जाना जाता है. इसका मुख्यालय मुंबई (भायखला) में स्थित है. इसकी शाखाएं मध्य रेलवे के मुंबई, पुणे, भुसावल, सोलापुर, नागपुर मंडलों सहित प.म.रे. के भोपाल, जबलपुर और उ.म.रे. के झांसी एवं आगरा मंडल में हैं. इसके अलावा इसकी एक उप-शाखा न्यू कटनी जंक्शन (जबलपुर मंडल) पर भी है.

इसके कुल 1.42 लाख अंशधारक (शेयर होल्डर) मध्य रेलवे, पश्चिम मध्य रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे तथा कोंकण रेलवे तक देश के बृहद क्षेत्र में फैले हुए हैं. सोसाइटी की स्थापना से लेकर आज तक इसके प्रबंधन एवं संचालन पर एनआरएमयू का प्रभुत्व लगातार कायम है. सोसाइटी का प्रबंधन एवं संचालन एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अंतर्गत होता है. डायरेक्टर्स का चुनाव, प्रत्येक पांच साल में अंशधारकों द्वारा सीक्रेट बैलेट से चुने गए इसके 274 प्रतिनिधि करते हैं.