पीसीएमडी/म.रे. की मनमानी, दो ईएनटी डॉक्टरों का अनुचित ट्रांसफर

‘बड़े अधिकारी’ की पत्नी के कहने पर गर्भवती महिला डॉक्टर का तबादला

बीसों साल से भायखला में पदस्थ सीनियर डॉक्टर के बजाय जूनियर की प्रताड़ना

सीआरएमएस ने की पीसीएमडी की मनमानी की भर्त्सना, आंदोलन की दी चेतावनी

रेलसमाचार ब्यूरो, मुंबई : रेलवे बोर्ड द्वारा दक्षिण रेलवे से मध्य रेलवे में लगभग जबरन ढकेले गए मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य चिकित्सा निदेशक (पीसीएमडी) सात महीने की एक गर्भवती महिला ईएनटी डॉक्टर को जोनल हॉस्पिटल, भायखला से डिवीजनल हॉस्पिटल, कल्याण में तत्काल ट्रांसफर करने के मामले को लेकर विवद में आ गए हैं. उसकी जगह एक अन्य ईएनटी डॉक्टर को कल्याण से भायखला ट्रांसफर किया गया है. इन दोनों ही डॉक्टरों का कार्यकाल भी पूरा नहीं हुआ था. जबकि वहीं बीसों साल से भायखला में जमे एक सीनियर ईएनटी डॉक्टर को अब तक वहां से एक बार भी नहीं हिलाया गया है. कल्याण एरिया में रहने वाले रेलकर्मियों में इसे लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है. सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ ने भी इसका कड़ा विरोध किया है और निर्णय नहीं बदले जाने पर धरना-मोर्चा और आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला ईएनटी डॉ. मीनाक्षी मिश्रा को भायखला से तत्काल रिलीव करके कल्याण में ज्वाइन करने को कहा गया. उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया, मगर जॉइनिंग के तुरंत बाद छह माह की मैटरनिटी लीव का आवेदन भी दे दिया, क्योंकि वह पहले से ही सात महीने की गर्भवती हैं. इसके साथ ही यह भी बताया गया कि उसके बाद वह अगले दो साल के लिए चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) पर रहने वाली हैं. ऐसी स्थिति में अगले दो साल तक कल्याण अस्पताल में कोई ईएनटी डॉक्टर नहीं होगा, क्योंकि कल्याण के एकमात्र ईएनटी डॉ. दामोदर का ट्रांसफर भायखला कर दिया गया है.

भायखला स्थित चिकित्सा सूत्रों ने ‘रेलसमाचार’ को बताया कि सात माह की गर्भवती डॉ. मीनाक्षी मिश्रा का अनावश्यक एवं अनुचित तबादला सिर्फ इसलिए किया गया, क्योंकि उन्होंने एक ‘बड़े अधिकारी’ की पत्नी को वाजिब अथवा गैरजरूरी तवज्जो नहीं दी. सूत्र का कहना है कि इसके अलावा उनके इस अनावश्यक तबादले का एक अन्य कारण यह हो सकता है कि उनकी गर्भावस्था और निकट भविष्य में उनके लांग-लीव पर जाने की वजह से सीनियर ईएनटी डॉ. दीपक डालमिया को ज्यादा काम करना पड़ता और तब उनकी बाहर वाली निजी प्रैक्टिस नहीं हो पाती. यही एकमात्र वजह है कि कल्याण में एक भी ईएनटी डॉक्टर न होने के बावजूद डॉ. मीनाक्षी की जगह तत्काल डॉ. दामोदर का तबादला भायखला किया गया.

सीआरएमएस ने 3 जून को पीसीएमडी/म.रे. को लिखे पत्र में कहा है कि डॉ. मीनाक्षी मिश्रा ने कल्याण में जॉइनिंग के तुरंत बाद 6 महीने की छुट्टी ले ली है और आगे वह दो साल तक सीसीएल पर रहने वाली हैं. ऐसे में यदि डॉ. दामोदर को रिलीव किया जाता है, तो कल्याण में दो साल तक एक भी ईएनटी डॉक्टर नहीं होगा, जबकि भायखला में पांच ईएनटी डॉक्टर हैं. ऐसी स्थिति में मंडल अस्पताल, कल्याण के सभी मरीजों को जोनल अस्पताल, भायखला जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो कि उनके लिए भारी परेशानी और समय की बरबादी का कारण बनेगा. इसके अलावा सुबह के पीक-ऑवर में बुजुर्ग एवं रिटायर्ड लोगों के लिए भायखला आना भी कठिन हो जाएगा. ऐसे में भायखला अस्पताल में ईएनटी मरीजों की भारी भीड़ जमा होगी. सीआरएमएस का कहना है कि वर्तमान बदलाव किसी भी तरह से सही नहीं है. अतः जब तक डॉ. मीनाक्षी मिश्रा पुनः अपनी ड्यूटी पर वापस नहीं आ जाती हैं, तब तक डॉ. दामोदर को कल्याण से रिलीव नहीं किया जाना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि मध्य रेलवे जोनल हॉस्पिटल, भायखला में अधिकांश सीनियर डॉक्टर बीसों साल से जमे हुए हैं. उनका यहां एक मजबूत गुट बना हुआ है, जिसमें यदि कोई जूनियर अथवा अन्य डॉक्टर फिट नहीं बैठता है, तो उसे उपरोक्त प्रकार के किसी न किसी विवाद में डालकर अन्यत्र ट्रांसफर करा दिया जाता है, जिससे उनके किसी रैकेट का पर्दाफास न हो. यही कारण है कि यहां उनका एक बड़ा चिकित्सा रैकेट चल रहा है. इस पर फिर कभी प्रकाश डाला जाएगा. ‘रेल समाचार’ लंबे अर्से से डॉक्टरों के नियमित तबादलों पर जोर देता रहा है और अब यह बात रेलकर्मियों सहित रेल संगठनों को भी समझ में आ गई है कि मेडिकल डिपार्टमेंट में विभिन्न मेडिकल उपकरणों एवं दवाईयों की खरीद, लोकल परचेज, सिक-फिट, नई भर्तियों के मेडिकल सहित मेडिकल टूरिज्म इत्यादि में जितना भ्रष्टाचार हो रहा है, वह किसी अन्य विभाग से कम नहीं, बल्कि ज्यादा है. रेल प्रशासन को अपने इस ‘सफेद हाथी’ पर अविलंब ध्यान देना चाहिए.