जान जोखिम में डालकर काम करने से बचें ट्रैक मेंटेनर्स -शिवगोपाल मिश्रा
कर्मचारियों के हितों की अनदेखी नहीं होगी -एस.एन.अग्रवाल, मेंबर स्टाफ
अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करेंगे -विश्वेश चौबे, मेंबर इंजीनियरिंग
एआईआरएफ द्वारा आयोजित ट्रैक मेंटेनर्स संरक्षा-सुरक्षा संगोष्ठी संपन्न
नई दिल्ली : ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) द्वारा करनैल सिंह स्टेडियम, नई दिल्ली में 21 दिसंबर को आयोजित‘अखिल भारतीय ट्रैक मेंटेनर्स संरक्षा-सुरक्षा संगोष्ठी’ को संबोधित करते हुए एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि जब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रेलपटरी पर न हों, ट्रैक मेंटेनर्स काम करने से बचें और साफ मना कर दें. उनकी बात का समर्थन रेलवे बोर्ड के मेंबर इंजीनियरिंग विश्वेश चौबे ने भी किया. इस बीच मेंबर स्टाफ एस. एन. अग्रवाल ने रेल कर्मचारियों से अपील की कि ट्रैक पर कार्य के दौरान मोबाइल के इस्तेमाल से बचें, कई बार इसकी वजह से भी बड़ी दुर्घटना हो जाती है.
देश भर से बड़ी संख्या में दिल्ली आए ट्रैक मेंटेनर्स को संबोधित करने के दौरान महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने उनकी समस्याओं का जिक्र रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने किया. महामंत्री ने कहा कि जिस कठिन हालात में ट्रैक मेंटेनर्स काम करते हैं, उन्हें आसानी से समझा जा सकता है. कई बार तो सेना से भी कठिन हालात इनके सामने पैदा हो जाते हैं. कॉम. मिश्रा ने कहा कि इसके बाद भी सही मायने में रेल प्रशासन ट्रेकमैनों की समस्याओं पर गंभीर नहीं है. हरदोई के पास संडीला में चार ट्रैक मेंटेनर्स के रनओवर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर ट्रेक मेंटेनर्स चाहते तो अपनी जान बचा सकते थे, लेकिन फिर ट्रेन दुर्घटना में कितनों की जान जाती, इसका अनुमान लगा सकता है.
जान जोखिम में डालकर काम करने के बाद भी कई बार ट्रैक मेंटेनर्स पर हमले भी हो रहे हैं. इस सवाल को एआईआरएफ ने लगातार रेल प्रशासन के सामने रखा है, लेकिन जिस फुर्ती से इस समस्या का निदान होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है. कॉम. मिश्रा ने कहा कि आज बहुत पढ़े-लिखे युवा ट्रेक मेंटेनर्स की नौकरी कर रहे हैं, ऐसे में जिस दूसरे पदों के लिए सीधी भर्ती की जा रही है, उसके बजाए अगर उसी योग्यता के लोग ट्रैक मेंटेनर्स के रुप में काम कर रहे हैं, तो उन्हें मौका मिलना चाहिए. एनपीएस पर उन्होंने फिर अपना नजरिया स्पष्ट किया और कहा कि इसे हर हाल में खत्म कर पुरानी पेंशन को बहाल करना ही होगा.
अलग अलग जोनल रेलों और मंडलों के अंतर्गत लगातार रनओवर से ट्रेक मेंटेनर्स की मौत पर कॉम. शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि बिना पर्याप्त सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित किए कोई भी यदि ट्रैक मेंटेनर्स को काम करने के लिए मजबूर करता है, तो उसे साफ मना कर दें कि हम इसके बिना काम नहीं करेंगे. किसी भी स्थिति में अपनी जान को जोखिम में न डालें.
इस अवसर पर मेंबर स्टाफ, रेलवे बोर्ड एस. एन. अग्रवाल ने बड़ी संख्या में मौजूद ट्रैक मेंटेनर्स को संबोधित करते हुए कहा कि रेल की सुरक्षित यात्रा में ट्रैक मेंटेनर्स प्रयास, इनकी मेहनत को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि सुरक्षित रेल यात्रा जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी ट्रैक मेंटेनर्स की सुरक्षा भी है, इससे कतई कोई समझौता नहीं किया जा सकता. श्री अग्रवाल ने कहा कि रेलवे बोर्ड हमेशा ट्रैक मेंटेनर्स की बेहतरी की चिंता करता है, यही वजह है कि हार्ड और रिस्क एलाउंस का प्रावधान किया गया है. गैंग हट्स बनाए गए हैं, जहां बैठने, खाने, पानी और शौचालय की व्यवस्था की गई है. अभी लेवल-1 की भर्ती के लिए 66 हजार पद निकाले गए हैं, जिसके लिए 1.08 करोड आवेदन आए हैं. आवेदनों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद हम परीक्षा की तैयारी करा रहे हैं. अन्य भर्ती में भी 10% का आरक्षण ट्रैक मेंटेनर्स के लिए किया गया है.
सुरक्षा के मद्देनजर मेंबर स्टाफ ने स्पष्ट किया कि काम के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल भी कई बार खतरा बन जाता है. इससे खुद भी बचें और दूसरों को भी बचने की सलाह दें. काम के दौरान ल्यूमिनेस जैकेट का इस्तेमाल जरूर करें. उन्होंने कहा कि म्युचुअल ट्रांसफर की सबसे अधिक दिक्कत बताई जा रही है, इसके लिए भी एक साफ्टवेयर पंपकॉन विकसित किया गया है, इसमें अपना डिटेल फीड कर दें, फिर इसे चेक भी करते रहें, जहां कहीं भी म्युचुअल की गुंजाइश मिलती है, तुरंत आवेदन करें.
मेंबर इंजीनियरिंग, रेलवे बोर्ड विश्वेश चौबे ने अपने संबोधन में एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि कोई भी यदि बिना प्रोटक्शन के काम करने को कहता है, तो साफ मना कर देना है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि ऐसे टूल्स और उपकरण का इस्तेमाल किया जाए, जिससे कम मेहनत से रेल पटरी की मरम्मत और देखभाल का काम संभव हो सके. श्री चौबे ने कहा कि ट्रैक मेंटेनर्स की सुरक्षा, संरक्षा और सुविधा के मद्देनजर बनाई गई महाप्रबंधक स्तर की कमेटी की रिपोर्ट पर लगभग 80% काम कर दिए गए हैं, 20% मामलों को वित्त मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा गया है. उन्होंने कहा कि रेलवे के पास योग्य ट्रेकमैन हैं, इसलिए अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करके बेहतर काम किया जा सकता है.
इस अवसर पर एईआरएफ के कोषाध्यक्ष और डब्ल्यूआरईयू के महामंत्री जे. आर. भोसले ने कहा कि खुद की जिंदगी को संभाल कर काम करें, हम सुरक्षित रहेंगे, तभी ट्रेनों का संचालन भी सुरक्षित ढ़ंग से कर सकेंगे. एनआरएमयू के अध्यक्ष एस. के. त्यागी ने कहा कि ट्रेकमैन के लिए पदोन्नति के अवसर देखना होगा, यह इनकी काफी पुरानी और सही मांग है. इसके अलावा लार्सजेस पर भी गंभीरता से विचार करना होगा. एनडब्ल्यूआरईयू के महामंत्री मुकेश माथुर ने कहा कि संरक्षा संगोष्ठी एआईआरएफ का काफी बेहतर प्रयास है, हमें उम्मीद है कि इसके बेहतर नतीजे निकलेंगे. डब्ल्यूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव का कहना था कि ट्रैक मेंटेनर्स के साथ दुर्घटना पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज हो और उन्हें जेल भेजा जाए.
इस मौके पर एनआरएमयू, मध्य रेलवे के महामंत्री वेणू पी. नायर ने कहा कि सबसे ज्यादा तकलीफ और ईमानदारी से ट्रेक मेंटेनर्स ही काम करते हैं, चूंकि ट्रैकमैन चाहता है कि ट्रेन न रुके, इसलिए वह अपनी जान की बाजी लगा देता है. कोई भी दुर्घटना हो, तो पास के सबसे बड़े अस्पताल में ट्रेकमैन को भर्ती कराएं. कॉम. नायर ने दोहराया कि रेल को बंद तो कभी न कभी करना ही होगा, बिना इसके कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है. संगोष्ठी में रेलवे बोर्ड के अन्य बड़े अधिकारियों सहित सहायक महामंत्री डी. एन. चौबे, जोनल महामंत्री एल. एन. पाठक, मंडल मंत्री आर. के. पांडेय, अनूप शर्मा, संजीव सैनी, उपेन्द्र सिंह, शिवदत्त, केंद्रीय पदाधिकारियों में मनोज श्रीवास्तव, आर. ए. मीना, एस. यू. शाह, जया अग्रवाल, प्रवीना सिंह, विक्रम सिंह इत्यादि पदाधिकारी उपस्थित थे.