‘बीसी_यूनियन’ के सामने नत-मस्तक हुआ रेल प्रशासन

यूनियन के दबाव में सीनियर डीसीएम/फिरोजपुर का असमय ट्रांसफर

महाप्रबंधक को अंधेरे में रखकर प्रिंसिपल सीसीएम ने कराया तबादला

हरिमोहन के असमय ट्रांसफर से हतोत्साहित हुआ समस्त अधिकारी वर्ग

सुरेश त्रिपाठी

उत्तर रेलवे में खासतौर पर ट्रैफिक/कमर्शियल अधिकारियों का कोई माई-बाप नहीं है. यही कारण है कि इन दोनों विभागों के प्रमुखों द्वारा अपने मातहत अधिकारियों को जब-तब ताश के पत्तों की तरह फेंटा जाता रहता है. इसके अलावा रेलवे बोर्ड की नाक के नीचे ही उत्तर रेलवे मुख्यालय, बड़ौदा हाउस में अधिकारियों के तबादलों में रेलवे बोर्ड के ट्रांसफर संबंधी दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं होता है और रेलवे बोर्ड मूक-दर्शक बना रहता है. जहां तक वर्तमान प्रिसिपल सीसीएम/उ.रे. की बात है, तो अधिकारियों के ट्रांसफर एवं कार्य-आवंटन पर उनका अपना कोई स्टैंड नहीं होता है, वह किसी न किसी के निर्देशानुसार ही निर्णय लेती नजर आती हैं. यदि ऐसा नहीं होता, तो वह अपने मातहत जूनियर अधिकारियों को यूनियन के सामने नीचा नहीं दिखातीं.

दि. 13.12.2018 को (पत्र सं. 940-ई/15/पीटी-65/ईआईए) जारी एक आदेश के अनुसार उत्तर रेलवे और रेलवे बोर्ड दोनों ने#बीसी_यूनियन के दबाव में आकर मात्र 6 महीने में ही सीनियर डीसीएम, फिरोजपुर हरिमोहन का और एक साल में दूसरी बार सीनियर डीसीएम, मुरादाबाद विवेक शर्मा का तबादला कर दिया. जाहिर है कि इससे अधिकारी वर्ग बुरी तरह हतोत्साहित हुआ है और प्रशासन पर भ्रष्ट यूनियन पदाधिकारियों का दबदबा बढ़ गया है. रेल प्रशासन और खासतौर पर प्रिंसिपल सीसीएम/उ.रे. के इस ढुलमुल रवैये से अधिकारी वर्ग बुरी तरह हैरान रह गया है.

एक तरफ जहां सीनियर डीसीएम, फिरोजपुर के असमय तबादले का श्रेय #बीसी_यूनियन के अलावा जम्मू-श्रीनगर की आउट एजेंसी “मनोज जी एंड कंपनी” भी ले रही है और किसानों को उसके खिलाफ शिकायत न करने के लिए धमका रही है. वहीं दूसरी तरफ सीनियर डीसीएम, मुरादाबाद का ट्रांसफर करवा देने का खुला श्रेय ओबीसी एसोसिएशन ले रही है. जाहिर है कि यह दोनों तबादले सिर्फ प्रशासनिक कदाचार और मनमानी के ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का भी परिणाम हैं. ऐसे में अब कोई अधिकारी ईमानदारी से काम नहीं करेगा, क्योंकि नपुंसक रेल प्रशासन उनका संरक्षण करने में असमर्थ है. यह कहना है कई अधिकारियों का.

उपरोक्त आदेश के जरिए यदि सभी पदों पर पोस्टिंग की गई है, तो सीनियर डीसीएम, मुरादाबाद का पद क्या इसलिए खाली छोड़ दिया गया है कि बाद में मौका देखकर उस पर “4केवी गैंग” के किसी सदस्य को लाभान्वित किया जा सके? अधिकारियों का कहना है कि ‘ऐसा लगता है कि रेल प्रशासन ने राहुल के मामले में कोर्ट में हुई अपनी छीछालेदर से कोई सबक नहीं लिया है.’ पूरे मामले का तात्पर्य यह है कि सीनियर डीसीएम, फिरोजपुर और सीनियर डीसीएम, मुरादाबाद के असमय किए गए तबादलों का बहुत गहरा निहितार्थ है, जिसमें प्रशासनिक भ्रष्टाचार और उच्च स्तरीय कदाचार होने से इंकार नहीं किया जा सकता.

उत्तर रेलवे मुख्यालय, बड़ौदा हाउस के विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को मिली जानकारी के अनुसार जो असली प्रस्ताव तैयार किया गया था, उसके अनुसार सीनियर डीसीएम, मुरादाबाद विवेक शर्मा को अंबाला में सीनियर डीसीएम और सीनियर डीसीएम, फिरोजपुर हरिमोहन को अंबाला में सीनियर डीओएम नियुक्त किया जाना था. सूत्रों का यह भी कहना है कि इसके लिए उक्त दोनों अधिकारियों से प्रिंसिपल सीसीएम ने उनकी व्यक्तिगत सहमति भी ली थी. तथापि बाद में जो प्रस्ताव महाप्रबंधक की अनुमति के लिए उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया, उसमें बदलाव कर दिया गया. सूत्रों ने बताया कि इस अनुमति से पहले महाप्रबंधक को भी इन तबादलों की पृष्ठभूमि से अवगत नहीं कराया गया. यही स्थिति प्रिंसिपल सीओएम की भी बताई जाती है. यदि सूत्रों की बात सही मानी जाए, तो जाहिर है कि प्रिंसिपल सीसीएम का अपना कोई स्टैंड नहीं है और वह किसी अन्य के इशारे पर नाच रही हैं.

अधिकारियों का कहना है कि सीनियर डीसीएम, फिरोजपुर के असमय तबादले से जहां रेल प्रशासन और अधिकारियों में #बीसी_यूनियन का दबदबा बढ़ जाएगा, वहीं जम्मू-श्रीनगर में वर्षों से कार्यरत विवादास्पद आउट एजेंसी ‘मनोज जी एंड कंपनी’ का रुतबा और ज्यादा बुलंद हो गया है, क्योंकि सीनियर डीसीएम के तबादले से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि उक्त आउट एजेंसी ने उत्तर रेलवे मुख्यालय सहित रेलवे बोर्ड के संबंधित अधिकारियों को अपनी जेब में रखा हुआ है. ऑल इंडिया किसान सभा जम्मू-कश्मीर स्टेट काउंसिल के चेयरमैन गुलाम मोहम्मद डार का भी यही कहना है. उन्होंने ‘रेल समाचार’ को भेजे एक ईमेल में कहा है कि-

“As Railway Out Agency ‘Manoj Ji and Co.’ has spread over the valley that he got the Senior Divisional Commercial Manager, Firozpur, Northern Railway transferred, who is an honest Officer who worked for the public and betterment of Railway Department, who saved the losses and misuse of public and railways money by Railway Out Agency.”

उल्लेखनीय है कि जून 2018 में ही फिरोजपुर मंडल के सीनियर डीसीएम का पदभार संभालने वाले हरिमोहन ने दासियों साल से एक ही जगह जमे यूनियन के कुछ पिट्ठुओं को दर-बदर करने का दुस्साहस किया था, जिससे #बीसी_यूनियन के प्रमुख पदाधिकारी के वित्तीय हितों को नुकसान पहुंचा. पहले यूनियन के प्रमुख पदाधिकारी ने मोबाइल पर कॉल करके उनका जनाजा निकालने और एनएफ रेलवे में ट्रांसफर कराने की स्पष्ट धमकी दी थी. इस पर दोनों अधिकारी संगठनों ने हरिमोहन के पक्ष में यूनियन का और खासतौर पर उसके महामंत्री का बहिष्कार करते हुए उसके द्वारा माफी न मांगे जाने तक उसके साथ कोई बैठक करने से इंकार कर दिया था. बाद में अधिकारियों की इस एकजुटता के मद्देनजर अपनी दाल गलते न देखकर #बीसी_यूनियन ने प्रशासन को ब्लैकमेल करने हेतु दिल्ली में धरना शुरू कर दिया. अतः यूनियन के दबाव और प्रिंसिपल सीसीएम के ढुलमुल तथा संदिग्ध व्यवहार के चलते हरिमोहन का मात्र 6 महीने में ही असमय तबादला कर दिया गया. अधिकारियों का कहना है कि यूनियन यही तो चाहती थी, उसकी मुराद पूरी करने के लिए रेल प्रशासन ने अपनी तमाम नैतिकता और निर्धारित कार्यकाल से पहले ट्रांसफर नहीं किए जाने की नीति को तिलांजलि दे दी. उनका यह भी कहना है कि क्या इसी तरह रेलवे में प्रशासनिक शुचिता स्थापित होगी?

एक तरफ #रेलमंत्री_पीयूष_गोयल के कहने पर प्रमुख कार्यकारी निदेशक/विजिलेंस, रेलवे बोर्ड (पीईडी/विजिलेंस/रे.बो.) सुनील माथुर सभी जोनल महाप्रबंधकों को पत्र जारी करके लंबे समय से संवेदनशील पदों पर टिके अधिकारियों और कर्मचारियों को हटाने की बात कहते हैं, वहीं दूसरी तरफ अंबाला में 2002 से सीनियर डीओएम के पद पर जमे रहे करण सिंह को पदोन्नत करके वहीं एडीआरएम बना दिया गया, जबकि नियमानुसार पदोन्नति पर अन्यत्र ट्रांसफर अनिवार्य है. इसी प्रकार अंबाला में ही निर्धारित से ज्यादा समय तक सीनियर डीसीएम के पद पर रही श्रीमती प्रवीण गौड़ द्विवेदी को भी वहीं सीनियर डीओएम बना दिया गया. अधिकारियों का कहना है कि रेलवे बोर्ड अथवा रेल प्रशासन अपनी ही बनाई नीतियों पर अमल नहीं करता है, तब वह किस मुंह से 13 लाख रेलकर्मियों एवं अधिकारियों से नैतिकता एवं शुचिता की उम्मीद करता है? उनका यह भी कहना है कि आखिर रेल प्रशासन के इस प्रशासनिक दोगलेपन का अंत कब होगा?

अधिकारियों का कहना है कि रेलमंत्री पीयूष गोयल ने लखनऊ में हुई अपनी भारी बेइज्जती से आहत होकर सभी संवेदनशील पदों पर लंबे समय से टिके रेलकर्मियों को हटाने का आदेश दिया था. उनका यह भी कहना है कि रेलमंत्री ने ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे अधिकारियों को असमय हटाने के लिए नहीं कहा था. उन्होंने कहा कि सीनियर डीसीएम, फिरोजपुर द्वारा रेलमंत्री के ही आदेशों का पालन किया जा रहा था. मगर यहां उनके आदेश को ताक पर रखकर सीनियर डीसीएम, फिरोजपुर को ही मात्र छह महीनों में हटा दिया गया. जाहिर है कि रेल प्रशासन के ऐसे रवैये से भ्रष्टाचार को प्रश्रय मिलती है. रेलवे बोर्ड अपनी नीतियों में ऐसे छिद्र छोड़ता है, जिसका लाभ न सिर्फ यूनियनों को मिलता है, बल्कि ‘मनोज जी एंड कंपनी’ जैसी तमाम आउट एजेंसियां भी उसका अनुचित फायदा उठाती हैं, जिसका अप्रत्यक्ष लाभ रेलवे बोर्ड और जोनल मुख्यालयों में बैठे कुछ अधिकारियों को भी प्राप्त होता है. उपरोक्त तमाम तथ्यों के मद्देनजर अधिकारियों ने सीनियर डीसीएम, फिरोजपुर और सीनियर डीसीएम, मुरादाबाद का तबादला उनके निर्धारित कार्यकाल तक रद्द करने और अंबाला में लंबे समय से टिके करण सिंह को अन्यत्र भेजे जाने की मांग की है.