सीनियर डीईई/कोचिंग का तबादला, बाकी व्यवस्था पूर्ववत जारी
9-9 महीने बाद डिस्चार्ज टेंडर्स की नहीं हो रही कोई विजिलेंस जांच
पॉवर कार मेंटीनेंस टेंडर में हुए घपले को विजिलेंस द्वारा दबाया गया
मुंबई : मध्य रेलवे, मुंबई मंडल में इलेक्ट्रिकल कोचिंग के तहत कई टेंडर्स में हुए घालमेल और अनियमितताओं को दबा दिया गया है. इसके लिए ‘रेल समाचार’ द्वारा दि. 07.11.2018 को “बिना कारण बताए नौ महीने बाद डिस्चार्ज किया गया टेंडर” शीर्षक से प्रकाशित खबर के मद्देनजर आनन-फानन में मध्य रेलवे मुख्यालय द्वारा पत्र सं. पी/सीआर/एचक्यू/ई-गजटेड/264/2, दि. 14.11.2018 को जारी एक ट्रांसफर आदेश पर सीनियर डीईई/कोचिंग मांगीलाल विश्नोई को मुख्यालय में डिप्टी सीईई/ऑपरेशन के पद पर ट्रांसफर करके कर्तव्य की इतिश्री कर दी गई है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार बाकी नीचे की किसी व्यवस्था में परिवर्तन नहीं किया गया है, जिसमें एसएसई/कुर्ला का भी ट्रांसफर किया जाना आवश्यक था. परंतु उसका ट्रांसफर न करके प्रशासन ने भ्रष्ट व्यवस्था को पूर्ववत जारी रखा है. बताते हैं कि नए सीनियर डीईई/कोचिंग के. एस. स्याली के पदभार ग्रहण करने के बाद उक्त एसएसई को यह कहते सुना गया कि अधिकारी के बदलाव से व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता है, जो व्यवस्था पहले चल रही है, वही आगे भी जारी रहेगी. उल्लेखनीय है कि इसी एसएसई के माध्यम से पूर्व सीनियर डीईई/कोचिंग ने कई ठेकेदारों की लाखों रुपये की पेनाल्टी माफ की थी. उक्त एसएसई की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग ‘रेल समाचार’ को प्राप्त हुई है, जिसमें उसे यह कहते हुए स्पष्ट सुना जा सकता है कि किस-किस ठेकेदार की कब-कब और कितनी-कितनी पेनाल्टी माफ की गई. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि रेलवे राजस्व को कितना नुकसान पहुंचाया गया.
इसके साथ ही पूर्व सीनियर डीईई/कोचिंग द्वारा जिस कार्य को विभागीय तौर पर कराए जाने का बोगस कारण देकर उपरोक्त टेंडर 9 महीने बाद रद्द कर दिया गया, उसी कार्य को सिंगल कोटेशन पर नॉन-ओईएम ठेकेदार को दे दिया गया, जबकि उक्त कार्य के लिए कोटेशन में भी ओईएम को शामिल किया जाना नियमानुसार अनिवार्य है. परंतु नियम का पालन न करके पूर्व सीनियर डीईई/कोचिंग द्वारा अपने गांववाले ठेकेदार को सिंगल कोटेशन दिया गया. इसके बावजूद मध्य रेलवे विजिलेंस को इसमें कोई अनियमितता नजर नहीं आ रही है. जबकि वहीं पॉवर कार/डीजी सेट के मेंटीनेंस के लिए ओईएम बताकर रेलवे को चूना लगाने वाली बहुराष्ट्रीय फर्म को टेंडर दिया गया. उसमें भी योग्य एवं एल-1 रही फर्म को तमाम घालमेल और अनियमितता करके बाईपास किया गया. तथापि विजिलेंस को उसमें भी कोई अनियमितता इसलिए नजर नहीं आई, क्योंकि उसे पूर्व सीनियर डीईई/कोचिंग और उसके आकाओं को बचाना था.
इसके अलावा पूर्व सीनियर डीईई/कोचिंग ने अपने कार्यकाल में एक लिनन/कोच अटेंडेंट कांट्रेक्टर को भी करीब 40-50 करोड़ के ठेके दिए थे, यह ठेके अभी-भी जारी हैं. जबकि उक्त टेंडर्स में घालमेल किए जाने के खिलाफ दि. 03.08.2016 को भंडारा-गोंदिया के तत्कालीन लोकसभा सांसद नाना पटोले ने लिखित शिकायत की थी, जिसके जवाब में पूर्व रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने तत्कालीन महाप्रबंधक/म.रे. को एक पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराने और संबंधित अधिकारी को तत्काल हटाने के लिए लिखा था.
इसके परिणामस्वरूप तब उक्त टेंडर तो रद्द कर दिया गया था, परंतु संबंधित अधिकारी (मांगीलाल विश्नोई) को नहीं हटाया गया था. इसके फलस्वरूप नए सिरे से किया गया उक्त टेंडर पुनः उसी ठेकेदार को दे दिया गया, जिसकी लिनन सेवा और यात्रियों के साथ उसके कोच अटेंडेंट्स का अनुचित व्यवहार आज भी पूर्ववत है, जिसका साक्षी ‘रेल समाचार’ खुद भी है.
उधर पता चला है कि दि. 05.02.2018 को खुले डीजी सेट मेंटीनेंस के टेंडर के आवंटन में हुई अनियमितताओं की जांच को मध्य रेलवे विजिलेंस ने घालमेल करके पूरे मामले को बंद करने हेतु सीवीसी को अग्रसारित करने के लिए रेलवे बोर्ड विजिलेंस के पास भेज दिया है. उल्लेखनीय है कि उक्त टेंडर में पूर्व सीनियर डीईई/कोचिंग द्वारा की गई गंभीर अनियमितताओं की लिखित शिकायत इसमें खुद बिडिंग करने वाले और एल-1 रहे एक बिडर ‘धारा रेल प्रोजेक्ट प्रा.लि.’ ने ही की थी. विभागीय सूत्रों का कहना है कि विजिलेंस ने पूर्व सीनियर डीईई/कोचिंग को हरहाल में बचाने के लिए पूरी जांच उलटी दिशा में की है. क्रमशः