कल्याण रेलवे अस्पताल में हो रही जीएम के स्वागत की तैयारी
स्थाई पहुंच मार्ग और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली मुहैया कराने की मांग
कल्याण : मध्य रेलवे के मंडल अस्पताल का दर्जा प्राप्त ‘कल्याण रेलवे अस्पताल’ में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं का निरीक्षण करने हेतु शुक्रवार, 14 दिसंबर को मध्य रेलवे के महाप्रबंधक देवेंद्र कुमार शर्मा का अस्पताल का दौरा होने जा रहा है. महाप्रबंधक के स्वागत के मद्देनजर अस्पताल में काफी तोड़फोड़ और निर्माण कार्य चल रहा है. इससे एक तरफ अस्पताल में भर्ती तमाम मरीजों और रोजाना विभिन्न स्वास्थ्य जांच के लिए आने वाले अन्य बीमार रेलकर्मियों को काफी परेशानी हो रही है, तो दूसरी तरफ मशीनों की आवश्यक पुनर्स्थापना, रख-रखाव करने एवं जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने की उचित व्यवस्था करने के बजाय अनावश्यक तोड़फोड़ पर फालतू खर्च किया जा रहा है. अस्पताल प्रशासन की इस तमाम अनावश्यक कवायद को देखते हुए रेलकर्मियों का कहना है कि ‘तेली के घर ज्यादा तेल होता है, तो क्या वह पहाड़ पोतने लगता है?’
रेलकर्मियों का कहना है कि पूरे अस्पताल में सेवानिवृत्त बीमार रेल कर्मचारियों को देखने और उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए केवल एक डॉक्टर उपलब्ध रहता है, जबकि अन्य डॉक्टर खाली रहने पर भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नहीं देखते हैं. इससे इन पूर्व कर्मियों, जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के लिए 75 हजार से 1.25 लाख रुपये तक जमा कराए हैं, के साथ न सिर्फ भेदभाव होता है, बल्कि उन्हें अनावश्यक लाइन में लगकर पूरा दिन परेशानी झेलनी पड़ती है.
उनका कहना है कि अस्पताल में लैब होने के बावजूद डॉक्टरों द्वारा लगभग सभी प्रकार की पैथालाजी जांच बाहर से कराने की सिफारिश की जाती है. तथापि यदि किसी बीमार व्यक्ति को कोई जांच करवानी हो, जो अस्पताल की लैब में नहीं होती है, तो उसको केस पेपर पर तीन डॉक्टरों के हस्ताक्षर करवाने पड़ते हैं. इस अनावश्यक और फालतू नियम के कारण समय व्यर्थ होता है और इससे मरीज की हालत ज्यादा खराब हो जाती है. उसका पूरा दिन खराब होता है, सो अलग.
जीएम के निरीक्षण दौरे के मद्देनजर अस्पताल के कई वार्डों एवं कमरों का नवीनीकरण किया जा रहा है. जबकि अस्पताल की फिजियोथेरेपी सहित अन्य कई मशीनें महीनों से बेकार और खराब पड़ी हुई हैं. रेलकर्मियों का कहना है कि जीएम के आने का स्वागत होना चाहिए, उसके लिए आवश्यक तैयारी भी की जानी चाहिए, मगर अस्पताल प्रशासन क्या जीएम को खराब और बेकार पड़ी मशीनें दिखाने अथवा उन पर उनके नाम के साथ ‘महीनों से खराब’ का लेबल लगाकर जीएम को दर्शाने की हिम्मत भी करेगा? उनका कहना है कि तमाम अनावश्यक खर्च के बजाय इस अवसर का उपयोग यदि उक्त सभी मशीनों का बेहतर रख-रखाव सुनिश्चित किया जा सकता, तो बहुत अच्छा होता.
उनका कहना है कि अस्पताल प्रशासन का अस्पताल की साफ-सफाई पर पर्याप्त ध्यान नहीं है. वार्डों और कॉरिडोर में मच्छरों का भारी आतंक है, जिससे मरीजों और उनकी देखभाल करने वाले उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यदि अस्पताल प्रशासन जीएम के इस निरीक्षण दौरे के सुअवसर पर मरीजों के लिए साफ-सुथरे लिनन की व्यवस्था करने के साथ ही अस्पताल को गंदगी और मच्छरों से मुक्त कर पाता, तो अत्यंत सुंदर होता.
रेलकर्मियों ने कहा कि जीएम के दौरे के इस सुअवसर पर मरीजों को नई-नई असाध्य बीमारियों से निजात दिलाने के लिए आधुनिक तकनीक वाली चिकित्सा प्रणाली उपलब्ध कराने की तैयारी करने के बजाय डॉक्टरों के कमरों की साज-सज्जा में समय और पैसे की बरबादी की जा रही है. जबकि अस्पताल पहुंचने अथवा आने-जाने वाले एकमात्र मार्ग को स्थाई रूप से ठीक करने पर अस्पताल प्रशासन सहित इंजीनियरिंग विभाग का भी कोई ध्यान नहीं है. जबकि इस बारे में विभिन्न माध्यमों से कई बार प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है.
रेलकर्मियों का कहना है कि मुंबई के बाहर से आने वाले मरीजों के परिजनों के लिए कल्याण रेलवे अस्पताल में रैन-बसेरे की कोई व्यवस्था नहीं है. जबकि यह मंडल स्तर का अस्पताल है, जहां काफी संख्या में मरीज बाहर से इलाज करवाने आते हैं, भर्ती होते हैं. उन्होंने जीएम से कल्याण अस्पताल के पहुंच मार्ग की स्थाई व्यवस्था करवाने सहित उपरोक्त तमाम कमियों को दुरुस्त कराने और अस्पताल में बाहरी मरीजों के परिजनों के लिए रैन-बसेरे की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है.