“अपनी अविचारित नीति पर पुनर्विचार करे रेलवे बोर्ड!”
एसएसई की सीधी भर्ती पर रोक के खिलाफ पी-वे इंजीनियर्स ने व्यक्त किया रोष
‘दुर्घटनारहित रेल परिचालन एवं दुर्घटना मुक्त कार्य-संस्कृति की ओर एक कदम’
इंजीनियर्स भवन, नई दिल्ली में एआरपीडब्ल्यूई का सेफ्टी सेमिनार संपन्न
नई दिल्ली : एसोसिएशन ऑफ रेलवे पी-वे इंजीनियर्स (एआरपीडब्ल्यूई) के तत्वाधान में रविवार, 9 दिसंबर को इंजीनियर्स भवन, बहादुर शाह जफ़र मार्ग, नई दिल्ली में एक संरक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया. इस अवसर पर आयोजित संरक्षा संगोष्ठी का विषय ‘दुर्घटनारहित रेल परिचालन एवं दुर्घटना मुक्त कार्य-संस्कृति की ओर एक कदम’ था. इस मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष पी. के. शर्मा, महासचिव संतोष दुबे, वित्तसचिव दुष्यंत कुमार और संयोजक आर. के. उत्पल सहित दूर-दराज से आए भारतीय रेल के पी-वे इंजीनियर बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
इस मौके पर वक्ताओं ने रेलकर्मियों सहित रेलयात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा का हर हालत में ध्यान रखने और इससे किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करने की बात कही. भारतीय रेल के विभिन्न मंडलों से आए पी-वे अभियंताओं ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए. सभी वक्ताओं ने सबसे पहले पटरी पर काम करने वाले ट्रैकमैनों की सुरक्षा और संरक्षा पर ध्यान देने और उसे सुनिश्चित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस मामले में वह रेल प्रशासन का भी सहयोग चाहते हैं कि पटरी पर किए जाने वाले रख-रखाव के सभी कार्य ब्लाक लेकर ही किए जाने चाहिए.
वक्ताओं का कहना था कि चूंकि वर्तमान में गाड़ियों की गति 60-100 किमी प्रति घंटे से बढ़कर 110-160 किमी प्रति घंटा हो गई है. ऐसे में ट्रेनों की लगातार बढ़ती गति और हाई स्पीड ट्रेनों के आने से पटरी पर काम करना अत्यंत मुश्किल और जोखिम भरा हो गया है. उन्होंने कहा कि पी-वे इंजीनियर्स रेलवे की रीढ़ हैं, परंतु रेल प्रशासन द्वारा इस कैटेगरी की लगातार उपेक्षा की जा रही है. उनका कहना था कि तकनीकी रूप से कुशल इस श्रेणी के कर्मचारियों को किसी प्रकार का जोखिम अथवा प्रोत्साहन भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है.
सभी वक्ताओं ने एक स्वर से केंद्र सरकार के सीपीडब्ल्यूडी सहित अन्य केंद्रीय विभागों के समान रेलवे के पी-वे इंजीनियर्स को ग्रुप ‘बी’ राजपत्रित दर्जा दिए जाने की मांग की. उनका कहना था कि रेलवे के पी-वे इंजीनियर्स सप्ताह के चौबीसों घंटे और साल के 365 दिन लगातार अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं, उन्हें कोई साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता है. इससे उन्हें अपने पारिवारिक और सामाजिक कर्तव्यों का पालन करने का भी समय नहीं मिल पाता है. इससे उनकी संवेदनाओं को क्षति पहुंचती है, जिससे वह अपने परिवार और समाज से अलग-थलग पड़ जाते हैं.
इस मौके पर सभी वक्ताओं ने रेलवे बोर्ड द्वारा गत दिनों सीनियर सेक्शन इंजीनियर (एसएसई) की सीधी भर्ती पर लगाई गई रोक के खिलाफ भारी रोष व्यक्त किया. उनका कहना था कि ऐसा लगता है कि रेल प्रशासन को योग्य और सुशिक्षित इंजीनियर्स की आवश्यकता नहीं रह गई है. उन्होंने कहा कि विगत में रेलवे बोर्ड द्वारा अपनाई गई गलत नीतियों के कारण अयोग्य एवं अप्रशिक्षित लोगों को आगे बढ़ाया गया, जिससे रेलवे और रेलयात्रियों की संरक्षा प्रभावित हुई है. इसी के परिणामस्वरूप आए दिन जहां-तहां दुर्घटनाएं और अवपथन (डिरेलमेंट) की घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने कहा कि यदि रेलवे बोर्ड ने अपनी अविचारित नीति पर पुनर्विचार नहीं किया तो आने वाले समय में बड़े पैमाने पर रेल संरक्षा प्रभावित हो सकती है.