बेटिकट यात्रियों से मनमानी दंड-राशि की वसूली

रेलवे कोर्ट ने नहीं दी रसीद, ठप्पा लगाकर भगाया

यात्रियों ने वीडियो बनाकर वायरल की मजिस्ट्रेट की मनमानी

ज्यादा से ज्यादा यात्रियों की धड़-पकड़ का दबाव डालते हैं रेलवे मजिस्ट्रेट!

गोरखपुर ब्यूरो : पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के बाराबंकी जंक्शन पर मजिस्ट्रेट चेकिंग के दौरान बेटिकट अथवा अनियमित टिकट के अपराध में पकड़े गए 28 रेलयात्रियों से रेलवे मजिस्ट्रेट द्वारा मनमानी दंड-राशि की वसूली का मामला सामने आया है. यह घटना गुरूवार, 6 दिसंबर की है. बेटिकट पकड़े गए यात्रियों को मांगने के बावजूद रेलवे कोर्ट अथवा संबंधित टिकट चेकिंग स्टाफ द्वारा जुर्माने की रसीद देने के बजाय उनके हाथों में कोर्ट की मोहर लगाकर भगा दिया गया. यही नहीं, जिसकी जेब में जितना पैसा था, वह सब ले लिया गया और किसी को भी उसकी रसीद नहीं दी गई तथा यह कहकर भगा दिया गया कि रसीद कल ले जाना. नाम उजागर न करने की शर्त पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक वरिष्ठ रेल अधिकारी का कहना था कि रेल प्रशासन इस रेलवे मजिस्ट्रेट के मनमानी कामकाज से बहुत तंग आ चुका है.

यात्रियों ने पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ जंक्शन के विवादास्पद रेलवे मजिस्ट्रेट कैलाश कुमार पर ही सीधे मनमानी दंड-राशि वसूलने और रसीद नहीं देने का आरोप लगाते हुए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में इस पूरे मामले को वायरल कर दिया. स्वयं को पत्रकार बता रहे झांसी के अख्तर अली को वीडियो में कहते स्पष्ट सुना जा सकता है कि रेलवे मजिस्ट्रेट ने सिर्फ उनके साथ ही नहीं, बल्कि 28-30 अन्य लोगों के साथ भी गलत व्यवहार किया. अली का कहना है कि उनका टिकट मेल ट्रेन का था, मगर गलती से वह सुपरफास्ट ट्रेन में बैठ गए थे. उन्होंने वीडियो में अपना मोबाइल नंबर बताते हुए यह भी कहा है कि कोई उन्हें या उनके इस वीडियो को फ्रॉड न समझे.

उन्होंने कहा कि अन्य सभी पकड़े गए लोगों के साथ उन्हें भी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के लिए लखनऊ ले जाया गया. उनका कहना है कि रास्ते भर वह और बाकी सभी लोग भी रेलवे स्टाफ से बार-बार कहते रहे कि उनकी जो भी पेनाल्टी बनती हो, ले ली जाए और उन्हें छोड़ दिया जाए, क्योंकि उनको जरूरी काम से जाना है. एक लड़का तो रास्ते भर इसलिए बार-बार गिड़गिड़ा रहा था कि उसे नौकरी के लिए परीक्षा देने जाना है, उसे पेनाल्टी लेकर छोड़ दें, मगर किसी ने भी उसकी कोई बात नहीं सुनी. अली का कहना है कि उनके पास सिर्फ 300 रुपये ही थे, हम बार-बार कह रहे रहे थे कि पेनाल्टी ले लें और छोड़ दें, मगर सब रुपये लेने के बाद भी उन्हें नहीं छोड़ा गया. लिये गए रुपयों की कोई रसीद न तो उन्हें और न ही अन्य किसी को दी गई.

अली को वीडियो में यह कहते हुए साफ सुना जा सकता है कि यदि लोग न्यायालय पर ही भरोसा नहीं करेंगे, तो किस पर करेंगे, कहां न्याय मांगने जाएंगे. उनका कहना है कि जब रसीद मांगी, तो कहा गया कि रसीद कल मिलेगी और उनके हाथ में दो-तीन जगह मुहर लगाकर कहा गया कि यही मुहर आगे यात्रा के लिए उनकी टिकट का काम करेगी. उन्होंने लोगों से यह भी अपील की है कि वे उनके इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और लोगों को बताएं कि अगर न्यायपालिका से न्याय नहीं मिलेगा और लोगों का उससे भरोसा उठ जाएगा, तो ऐसे कैसे देश चल पाएगा, फिर गरीब लोगों का क्या होगा? अख्तर अली ने वीडियो में कहा है कि यदि मजिस्ट्रेट ही गलत काम करेगा, तो क्या होगा? न्याय से तो गरीब जनता का भरोसा ही उठ जाएगा.

उनका कहना है कि जो लोग गरीब हैं, उनका क्या होगा, कुछ लड़के रो रहे थे, कह रहे थे हमें छोड़ दो, हमें पेपर देने जाना है, लेकिन न मजिस्ट्रेट ने सुना, और न ही किसी स्टाफ ने सुना. उन्हें रोके रखा गया, उन्हें भी रसीद नहीं दी गई, उनके हाथ में भी मुहर लगाकर कई घंटे बाद छोड़ा गया. पकड़े गए एक अन्य लड़के ने भी वीडियो बनाकर कहा कि वह लखनऊ से मथुरा एक्सप्रेस से आ रहा था, तभी उसे बाराबंकी जंक्शन पर मजिस्ट्रेट चेकिंग में पकड़ा गया. उसके पास टिकट नहीं था, ट्रेन छूट रही थी, तो जल्दी में मैंने बिना टिकट लिए ही गाड़ी पकड़ ली थी. उसका साफ कहना है कि उससे 1520 रुपये ले लिए गए और मुहर लगाकर भगा दिया गया. वह भी लोगों से अपने वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की अपील करते हुए कह रहा है कि वह इस अन्याय को खत्म करना चाहता है.

इस तमाम वाकये के वीडियो/ऑडियो ‘रेल समाचार’ को विभिन्न लोगों के माध्यम से प्राप्त हुए हैं. इनमें स्पष्ट रूप से रेलवे मजिस्ट्रेट कैलाश कुमार को ही सभी यात्रियों ने दोषी ठहराया है. उनका स्पष्ट कहना है कि मनमानी वसूली के बाद रेलवे कोर्ट और रेलवे स्टाफ द्वारा उनके मानवाधिकार का भी हनन किया गया. रेलवे मजिस्ट्रेट की इस अवैध वसूली के यह सभी वीडियो/ऑडियो बहुत तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं. इनसे साफ जाहिर है कि जिस यात्री की जेब में जितना मिला उससे उतना वसूला गया. यात्रियों ने रेलमंत्री से लेकर हाईकोर्ट तक से न्याय की गुहार लगाई है. रेल कर्मचारियों/अधिकारियों सहित आरपीएफ और जीआरपी के लोग भी मजिस्ट्रेट की इस मनमानी वसूली के कारनामे से हैरान हैं. उनका कहना है कि रेलवे मजिस्ट्रेट उन पर ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को जबरन पकड़कर लाने का भारी दबाव बनाते हैं. उनकी बात न मानने पर वह दंडित करने और लाइन हाजिर करवा देने की धमकी देते हैं.

उल्लेखनीय है कि विगत में भी रेलवे मजिस्ट्रेट कैलाश कुमार के मनमानी कामकाज के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं. इससे पहले उन्होंने लखनऊ मंडल के ही एक आईआरटीएस अधिकारी के विरुद्ध सभी नियमों को ताक पर रखकर कोर्ट में हाजिर होने का फरमान जारी कर दिया था. उनके ऊपर रेलवे पास और स्टाफ के दुरुपयोग के भी आरोप लगे हैं. विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को मिली जानकारी के अनुसार पास के दुरुपयोग और मनमानी कामकाज के उपलब्ध सबूतों के आधार पर विगत में उन्हें उनके सीनियर सिटी मजिस्ट्रेट की चेतावनी भी मिल चुकी है. सूत्रों का कहना है कि रेल प्रशासन ने यदि तभी इस मामले में लिखित रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी होती, तो आज यह मनमानी नहीं चल रही होती.

इसके अलावा अंबाला मंडल, उत्तर रेलवे में भी एक रेलवे मजिस्ट्रेट की मनमानी का जब रेल अधिकारियों की तरफ से विरोध किया गया, तो उन्होंने भी उनके विरुद्ध कोर्ट की मानहानि का मामला चला दिया था. उक्त मामले में चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने अपनी बिरादरी का पक्ष लेते हुए रेलवे के विरुद्ध निर्णय दिया था. यह मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. रेलवे मजिस्ट्रेट्स का रेलवे के दैनंदिन कामकाज में हस्तक्षेप और अपनी सीमा एवं गरिमा से बाहर जाकर व्यवहार करना कतई उचित नहीं है. यह सर्वविदित है कि जुडिसियरी भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है. अतः बेहतर होगा कि रेलवे मजिस्ट्रेट्स और रेल अधिकारी/कर्मचारी अपनी-अपनी सीमा में रहकर अपने कर्तव्यों को अंजाम दें. इसके साथ ही उपरोक्त घटना की रेल प्रशासन द्वारा उच्च स्तरीय जांच करके उसकी रिपोर्ट चीफ जस्टिस, लखनऊ हाई कोर्ट को भी भेजी जाए तथा सभी संबंधितों के विरुद्ध कड़ी दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए.