पूरा नहीं हो पाएगा चालू वित्तवर्ष का विद्युतीकरण लक्ष्य
सरकार की चापलूसी में मेंबर ट्रैक्शन द्वारा हांकी जा रही डींगें
सुरेश त्रिपाठी
पिछले चार-पांच सालों के दरम्यान जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए वर्तमान सत्ताधारियों द्वारा जिस प्रकार की बरगलाने और ख्वाब दिखाने वाली भाषा-शैली का इस्तेमाल किया जा रहा है, ठीक उसी प्रकार की भाषा-शैली का प्रयोग सरकार को दिग्भ्रमित करने के लिए उसके कुछ चापलूस नौकरशाहों द्वारा भी किया जा रहा है. इसमें रेल मंत्रालय के कुछ नौकरशाह सबसे आगे हैं, और इनमें भी सबसे पहला स्थान मेंबर ट्रैक्शन का है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार गत रविवार को मेंबर ट्रैक्शन, रेलवे बोर्ड घनश्याम सिंह कुल 161 रूट किमी. वाले मदुरै-रामेश्वरम सेक्शन पर चल रहे विद्युतीकरण प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने के बहाने मुख्य रूप से रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने गए थे. रिटायरमेंट के करीब पहुंच रहे घनश्याम सिंह पिछले कुछ समय से विभिन्न निरीक्षणों के बहाने सरकारी खर्च पर बहुत जोरशोर से तीर्थाटन करने में लगे हुए हैं. वह शायद इसी तरह से नौकरी में रहते हुए रेलवे के खर्च और सुविधाओं-संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए अपने कुछ गुनाहों का प्रायश्चित कर लेना चाहते हैं.
बहरहाल, दर्शन-वर्शन के बाद ऐतिहासिक पम्बन ब्रिज के निरीक्षण की औपचारिकता के पश्चात् उन्होंने वहां कुछ मीडिया पर्सन को बताया कि 161 रूट किमी. मदुरै-रामेश्वरम सेक्शन का विद्युतीकरण कुल 158 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है. इसी खोखली बयानबाजी के दौरान उन्होंने मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री और रेलमंत्री की भी चापलूसी करते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री और रेलमंत्री का सपना है कि पूरी भारतीय रेल का विद्युतीकरण किया जाए. उन्होंने इसकी कुल लागत 35 हजार करोड़ रुपये बताई है. जबकि यह बात सर्वज्ञात है कि खुद प्रधानमंत्री ने ही रेलमंत्री के इस फालतू (अन्वायबल) प्रोजेक्ट को उनके ऐसे ही कुछ अन्य तथाकथित ‘ड्रीम प्रोजेक्ट्स’ के साथ हाल ही में रद्द कर दिया था, तब हवाई किले बांधने वाले रेलमंत्री की मीडिया में भारी किरकिरी हुई थी.
आगामी 1 जनवरी को सीआरबी बनने की तगड़ी हवा बनाकर चल रहे मेंबर ट्रैक्शन ने यहां यह भी डींग हांकी कि ‘यह भी तय किया गया है कि पम्बन ब्रिज से लगकर ऐसा ही एक और केंटिलीवर ब्रिज विद्युतीकरण के साथ बनाया जाए, परंतु चूंकि वह एक बहुत महंगा प्रोजेक्ट होगा और उसमें काफी समय भी लगेगा, इसलिए फिलहाल वर्तमान ब्रिज को ही विद्युतीकृत करने का विचार किया गया है.’ एक प्रतिष्ठित वित्तीय अंग्रेजी दैनिक में छपे मेंबर ट्रैक्शन के उपरोक्त बयान पर टिप्पणी करते हुए ‘कौशिक’ नाम के एक सामान्य आदमी ने जो लिखा, पढ़ें उसी के शब्दों में-
“Railway Minister daily announcing only ambitious plans, so many crores and also say we are going to do this and that, but not a single project is even have began or completed. Simply showing rosy pictures like a magician, no concrete steps for passenger’s safety are seen. Simply curtailing some facilities to be charged. Gauge conversion, or unmanned level crossings why it cannot be done in last four years. Of course, the past govt. had also not done anything on any of these issues including cleanliness, catering services etc. Very poor railway administration, plan implementation and also execution. -Kaushik. Jai Hind.”
अब जहां तक बात चालू वित्तवर्ष के विद्युतीकरण लक्ष्य की है, तो इस साल यह लक्ष्य कुल 6000 रूट किमी. के विद्युतीकरण के लिए निर्धारित किया गया है. परंतु ‘रेल समाचार’ के पास उपलब्ध अब तक की प्रगति के अनुसार चालू वित्तवर्ष 2018-19 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) की समाप्ति पर कुल 855 रूट किमी. का ही विद्युतीकरण पूरा हो पाया है. जबकि दिसंबर 2018 तक यह आंकड़ा करीब 1000 रूट किमी. तक पहुंचने का अनुमान किया जा रहा है. ऐसे में 6000 रूट किमी. का लक्ष्य पूरा कर पाना नामुमकिन लगता है. इसके अलावा कई जानकारों और इस काम में लगे कई ठेकेदारों का भी कहना है कि 31 मार्च 2019 को चालू वित्तवर्ष पूरा होने तक बहुत खींचतान करके भी ज्यादा से ज्यादा 4000 रूट किमी. तक का ही लक्ष्य पूरा हो पाएगा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार, 5 अक्टूबर को पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार-मुकेरिया-कुमेदपुर, 57 रूट किमी. रेलखंड के सीआरएस निरीक्षण के साथ कुल 843 रूट किमी. का विद्युतीकरण पूरा हो पाया था, जबकि गत शुक्रवार, 19 अक्टूबर को मुंबई मंडल, मध्य रेलवे के पनवेल-पेण सेक्शन का सीआरएस निरीक्षण हो जाने से इसमें 15 रूट किमी. और जुड़ने के बाद समेकित सीआरएस निरीक्षण के साथ यह आंकड़ा कुल लगभग 858 रूट किमी. तक ही पहुंचा है. यहां के दूसरे रेलखंड पेण-रोहा का विद्युतीकरण दिसंबर के अंत तक पूरा होने की बात कही गई है. ऊपर जिस 161 रूट किमी. के मदुरै-रामेश्वरम सेक्शन के विद्युतीकरण की बात आई है, उसके पूरा होने की बात मेंबर ट्रैक्शन ने अपनी डींग में नहीं बताई है.
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों अजमेर मंडल में चल रहे एक विद्युतीकरण प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे मेंबर ट्रैक्शन ने अपनी कार उदयपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर चढ़ा दी थी. बताते हैं कि निरीक्षण के बहाने तीर्थाटन करके भगवान से अपने तमाम गुनाह बख्सवाने में जुटे मेंबर ट्रैक्शन के कहने या अनावश्यक दबाव में विद्युतीकरण में लगे कई बड़े कॉन्ट्रैक्टर्स के कॉन्ट्रैक्ट्स बीच में ही रद्द (टर्मिनेट) कर दिए गए हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें से अहमदाबाद-राजकोट सेक्शन (ईसीई कांट्रेक्ट), जिसकी कुल लागत करीब 350 करोड़ रुपये और पूरा करने की अवधि 36 माह (तीन साल) थी, को पूरा होने से पहले ही टर्मिनेट कर दिया गया. इसी प्रकार 45 करोड़ रुपये की लागत से मालदा-पाकुर सेक्शन, जिसकी कम्पलीशन अवधि 9 महीने थी, को भी चार महीने के अंदर रद्द कर दिया गया, क्योंकि मेंबर ट्रैक्शन चाहते थे कि बच्चा 9 महीने के बजाय 4 महीने में ही पैदा किया जाना चाहिए. इसी तरह अंबाला सेक्शन का कांट्रेक्ट भी रद्द किया गया, जिसकी लागत 20 करोड़ रुपये और कम्पलीशन अवधि 12 महीने थी.
यानि टेंडर जारी/आवंटित करने के समय कांट्रेक्टर को दी गई निर्धारित अवधि के बजाय मेंबर ट्रैक्शन ने अवास्तविक अवधि का टारगेट देकर कॉन्ट्रैक्टर्स पर काम पूरा करने का अनवश्यक दबाव बनाया. जिन कॉन्ट्रैक्टर्स ने उनका कहना नहीं माना, अथवा उनकी दी गई अवास्तविक अवधि में काम पूरा करने में अपनी असमर्थता जताई, उनके कांट्रेक्ट मेंबर ट्रैक्शन द्वारा रद्द करा दिए गए. इसके लिए बताते हैं कि जब पूर्व जीएम/कोर ने मना किया, तो उनका तबादला आरसीएफ में करा दिया गया. इसके अलावा दीगर कैडर का होने के कारण पूर्व जीएम/कोर पर उनका बहुत ज्यादा जोर भी नहीं चल पा रहा था, क्योंकि उनकी मनमानी में वह बहुत बड़ी बाधा बन रहे थे. इसके बाद वर्तमान जीएम/कोर ने भी जब उनके अनर्गल आदेश मानने से आनाकानी की, तो उन्हें बाईपास करके उनके नीचे वाले अधिकारियों पर दबाव बनाकर उनसे यह काम करवाया गया.
यहां यह भी ज्ञातव्य है कि सर्वाधिक विवादास्पद अधिकारी होने के बावजूद रेलमंत्री से ‘सबसे कार्यक्षम मेंबर’ का खिताब हासिल कर चुके मेंबर ट्रैक्शन की मनमानी का आलम यह है कि मुंबई की दोनों जोनल रेलों सहित लगभग सभी जोनल रेलों में उन्होंने अपने जैसे ही कदाचारी प्रिंसिपल चीफ इलेक्टिकल इंजीनियर्स की नियुक्ति की है, बल्कि दिल्ली-मुंबई सहित कई प्रमुख शहरों में अपने ‘खास एजेंट्स’ भी पदस्थ किए हैं. बताते हैं कि उत्तर रेलवे में पदस्थ एक ऐसे ही ‘एजेंट’ के माध्यम से मेंबर ट्रैक्शन द्वारा कुछ वरिष्ठ विद्युत् अधिकारियों को मनचाही पोस्टिंग दी गई. इसी ‘स्कीम’ के तहत सेंट्रल हॉस्पिटल, उत्तर रेलवे, नई दिल्ली के एक विजिलेंस केस में चार्जशीटेड एक अधिकारी को पूर्व तट रेलवे, भुवनेश्वर से उत्तर रेलवे, दिल्ली में पदस्थ किया गया, जबकि इसके खिलाफ सीबीआई की भी जांच आज चल रही है. हालांकि इस मामले में खुद मेंबर ट्रैक्शन के खिलाफ भी सीबीआई की जांच पेंडिंग बताई जाती है.
बताते हैं कि मेंबर ट्रैक्शन ने जाते-जाते इस ‘एजेंट’ की विजिलेंस चार्जशीट माफ करने का वादा किया है, जो कि उसे अंबाला मंडल में एडीआरएम रहते हुए बेक डेट में सोलर पावर के एक टेंडर में ‘4’ को ‘9’ बनाने के लिए दी गई है. जानकारों का कहना है कि इस मामले में संबंधित अधिकारी उर्फ ‘एजेंट’ की बर्खास्तगी निश्चित है. यही कारण है कि पिछले दो मेंबर ट्रैक्शन ने अपने कार्यकाल में उसकी यह चार्जशीट फाइनल करके अपने माथे पर उसकी नौकरी खाने का कलंक लेना उचित नहीं समझा था. प्राप्त जानकरी के अनुसार इसी मामले में तत्कालीन सीनियर डीईई/जी, अंबाला मंडल सहित अन्य सभी टीसी मेंबर को भी मेजर पेनाल्टी चार्जशीटें मिली हुई हैं. उक्त ‘एजेंट’ इस मामले में ‘एक्सेप्टिंग अथॉरिटी’ था. इसी प्रकार कई अन्य मेजर पेनाल्टी चार्जशीट पाए हुए विद्युत् अधिकारियों को ‘क्षमा’ करने के वादे पर न सिर्फ उन्हें अपना बगलबच्चा बनाया गया है, बल्कि उनके माध्यम से जूनियर अधिकारियों का उत्पीड़न और दोहन दोनों किया जा रहा है. क्रमशः