एसपीओ के व्यवहार से असंतुष्ट हैं अमृतसर वर्कशॉप के कर्मचारी

वर्कशॉप के कर्मचारियों और एसपीओ के बीच एसबीएफ कैंप को लेकर विवाद

अमृतसर : जून में आयोजित किए गए एक कैंप को लेकर उत्तर रेलवे के अमृतसर कारखाने के कुछ कर्मचारियों का आरोप है कि यहां की महिला कर्मचारी वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी (एसपीओ) प्रेम कुमार शर्मा के व्यवहार से काफी असहज महसूस कर रही हैं. उनका कहना है कि श्री शर्मा ने पिछले दिनों एक महिला कैंप का आयोजन किया था. उक्त कैंप के दौरान श्री शर्मा ने अपने रिश्तेदारों को भी पहाड़ों की सैर करवाई. यह कैंप इसी वर्ष 14 जून से 16 जून को पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में लगाया गया था. उन्होंने बताया कि इस कैंप के लिए कुल करीब 4 लाख 13 हजार रुपये खर्च किए गए, जो कि रेलवे के खाते से खर्च हुए.

उल्लेखनीय है कि इस प्रकार के कैम्पों के आयोजन के लिए धनराशि का आवंटन ‘स्टाफ बेनीफिट फंड’ के तहत केवल रेलकर्मियों के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा किया जाता है. परंतु कई बार ऐसे कैम्पों में संबंधित अधिकारियों द्वारा तथाकथित प्रशिक्षण के लिए लेक्चर देने के नाम पर अपने सगे-संबंधियों अथवा नाते-रिश्तेदारों को भी रेलवे के खर्च पर मौज-मस्ती के लिए ले जाया जाता है. उपरोक्त उल्लेखित कैंप में भी कुछ ऐसे ही बाहरी लोगों को शामिल किया गया था, जिससे कई सवाल खड़े हुए हैं. इसकी शिकायत भी कारखाना स्तर से लेकर उत्तर रेलवे मुख्यालय तक को की गई है. ‘रेल समाचार’ को उक्त कैंप की कुछ तस्वीरें और वीडियो प्राप्त हुए हैं, जिसमें श्री शर्मा कई महिला कर्मियों के साथ भंगड़ा करते हुए नजर आ रहे हैं.

हालांकि कुछ कर्मचारियों, जिन्होंने इस कैंप को विवादास्पद बनाने की कोशिश की है, जो कि संबंधित अधिकारियों की निहितस्वार्थी प्रवृत्ति के चलते अब एक परंपरा बन चुकी है, का कहना है कि श्री शर्मा का उक्त व्यवहार अमृतसर वर्कशाप की महिला कर्मचारियों को असहज स्थिति में डाल रहा है. जबकि प्राप्त फोटो और वीडियो में वही महिलाकर्मी पूरे उत्साह से श्री शर्मा के साथ नाचती नजर आ रही हैं. कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि इस पूरी ट्रिप के दौरान श्री शर्मा ने वर्कशाप की महिला कर्मचारियों पर तस्वीरें न लेने का दवाब भी बनाया था, लेकिन कुछ महिला कर्मचारियों ने तस्वीरें लेकर श्री शर्मा की पोल खोल दी है. जबकि फोटो और वीडियो में उक्त महिला कर्मियों की सहभागिता को देखने के बाद उनका यह आरोप बेबुनियाद दिखाई दे रहा है.

कर्मचारियों का कहना है कि महिला कर्मियों ने यह भी शिकायत की है कि श्री शर्मा और उनके रिश्तेदार पूरी ट्रिप के दौरान उन पर तरह-तरह की अश्लील फब्तियां कस रहे थे. उनका कहना है कि अमृतसर वर्कशाप की कई महिलाओं को जब यह बात पता चली कि बाहरी व्यक्ति भी इस ट्रिप पर जा रहे हैं, तो उन्होंने ट्रिप से अपना नाम वापस ले लिया था और जो महिला कर्मचारी ट्रिप में गई थीं, उन्होंने अब भविष्य में ऐसे आयोजनों में शामिल न होने का निश्चय कर लिया है. उनका यह भी आरोप है कि पालमपुर में रेलवे हॉलिडे होम होने के बावजूद बाहर प्राइवेट होटल में यह कैंप लगाया गया और उसके किराए के रूप में रेलवे का पैसा अनावश्यक रूप से खर्च किया गया.

इस संदर्भ में ‘रेल समाचार’ ने एसपीओ प्रेम कुमार शर्मा से उनके मोबाइल पर संपर्क करके जब उनका स्पष्टीकरण मांगा, तो उनका कहना था कि उक्त कैंप के आयोजन में किसी भी नियम का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है. बाहरी या अपने रिश्तेदार को उक्त ट्रिप में ले जाए जाने के आरोप पर उनका कहना था कि प्रावधान के अनुसार ऐसे कैम्पों के दौरान होने वाले प्रशिक्षण में लेक्चर देने हेतु किसी सामाजिक कार्यकर्ता को बुलाया जाता है, वही उन्होंने भी किया था. उनका यह भी कहना था कि ऐसा उत्तर रेलवे सहित सभी जोनल रेलों में किया जाता है. उनका कहना था कि इस बारे में मुख्यालय द्वारा छानबीन किए जाने पर उन्होंने उक्त कैंप की सारी वस्तुस्थिति से मुख्यालय को अवगत करा दिया है.

बहरहाल, उक्त कैंप की हकीकत जो भी हो, मगर प्राप्त तस्वीरों से कैंप में किसी प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम की कोई झलक नहीं मिलती है. इसके अलावा ऐसे कैंप हमेशा इसलिए विवाद के दायरे में आते हैं, क्योंकि संबंधित अधिकारियों द्वारा इनमें अपने चहेते कर्मियों के साथ ही अपने सगे-संबंधियों को शामिल किए जाने के आरोप लगते रहे हैं. यह भी आरोप लगता रहा है कि ऐसे कैम्पों का आयोजन कर्मचारियों की सुविधा के बजाय संबंधित अधिकारियों द्वारा सिर्फ अपनी मौज-मस्ती के अनुरूप किया जाता है, जिससे कैंप का उद्देश्य शायद ही कभी हासिल हो पाता है. ऐसे में रेलवे बोर्ड को चाहिए कि वह इसके लिए सही गाइडलाइन्स बनाए और किसी एक अंतर-विभागीय वरिष्ठ अधिकारी को ‘कैंप आब्जर्वर’ नियुक्त करने का प्रावधान भी किया जाए.