डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार को दी गई अंतिम विदाई!
सभी आरपीएफ अधिकारियों ने पूरी बेशर्मी के साथ दी डीजी को विदाई
रेलमंत्री एवं रेलवे बोर्ड ने नजरअंदाज की डीजी/आरपीएफ की मनमानी
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की दुहाई देने वाले निजाम ने भी साधी चुप्पी
सुरेश त्रिपाठी
डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार का कार्यकाल रविवार, 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है. इसके निमित्त उन्होंने शुक्रवार, 28 सितंबर को ही अपना अंतिम विदाई क्रिया-कर्म करने का निश्चय किया. उन्होंने सभी जोनों एवं मंडलों के वरिष्ठ और कनिष्ठ आरपीएफ अधिकारियों को क्राइम मीटिंग एवं अवार्ड समारोह के नाम पर अपने इस अंतिम क्रिया-कर्म में भाग लेने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया था. इसके अलावा जिस तरह लड़ाई के मैदान में लड़ते हुए किसी सेना-नायक के आत्म-बलिदान पर उसे सेना गारद की अंतिम सलामी दी जाती है, उसी तर्ज पर डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार ने अपने इस अंतिम क्रिया-कर्म के अवसर पर जिंदा रहते हुए ही आरपीएफ गारद की सलामी भी ली. डीजी/आरपीएफ की इस मनमानी और फिजूलखर्ची को रेलवे बोर्ड मूकदर्शक बनकर देखता रहा. ऐसे में बोर्ड को रेलवे में क्राइम कंट्रोल के लिए सुरक्षा रक्षकों की किसी कमी का अहसास नहीं हुआ. जबकि रेलमंत्री और सरकार पहले ही आईपीएस से बुरी तरह डरे हुए हैं, इसलिए उनसे इनकी मनमानी के खिलाफ कुछ बोलने या इस पर कोई कदम उठाने की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है.
फोटो परिचय : रिटायर हो रहे डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार को महंगा गिफ्ट हैंपर प्रदान करते हुए आरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार डीजी/आरपीएफ की अंतिम विदाई अथवा अंतिम क्रिया-कर्म का उपरोक्त सारा कार्यक्रम दयाबस्ती स्थित आरपीएसएफ परेड ग्राउंड में संपन्न हुआ. इसके अलावा शाम को ‘बड़ाखाना’ मोतीबाग, नई दिल्ली स्थित एक पॉश क्लब में रखा गया था. इस पूरे अंतिम विदाई कार्यक्रम में सभी जोनों के प्रिंसिपल आईजी/सीएससी, डीआईजी और सीनियर डीएससी आदि लगभग सभी वरिष्ठ एवं कनिष्ठ आरपीएफ अधिकारियों ने पूरी बेशर्मी के साथ भाग लिया और विदाई उपहार देते हुए रिटायरिंग डीजी धर्मेंद्र कुमार को माल्यार्पण किया. इस मौके पर वह यह भूल गए थे कि यह सभी दिल्ली हाई कोर्ट में विचाराधीन उस मामले में एक पक्ष हैं, जो कि कानून का पालन करवाने के लिए आरपीएफ में आईपीएस की प्रतिनियुक्ति के विरुद्ध ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन द्वारा दायर किया गया है.
फोटो परिचय : डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार को अंतिम विदाई पर लाइन लगाकर माल्यार्पण करते आरपीएफ अधिकारी. इस मौके पर एक आईपीएस अधिकारी की अकड़ और आरपीएफ अधिकारियों की खीसें निपोरती हुई बेशर्म चापलूसी देखने लायक थी.
डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार को अंतिम विदाई/सलामी देने के लिए सभी जोनों से करीब 300 आरपीएफ कर्मियों सहित भारतीय रेल के सभी जोनों के प्रिंसिपल आईजी/सीएससी एवं अन्य वरिष्ठ आरपीएफ अधिकारियों को दिल्ली बुलाया गया था. इसके लिए करीब एक हप्ते पहले ही सभी जोनों के प्रिंसिपल आईजी/सीएससी को अवार्ड एवं क्राइम मीटिंग के नाम पर गूढ़ पत्र देकर सूचित कर दिया गया था. इसके अलावा इस अंतिम सलामी में महिलाओं सहित आरपीएसएफ और कमांडोज की टुकड़ियां भी शामिल थीं. (देखें- सलामी का वीडियो). डीजी/आरपीएफ का यह अंतिम विदाई कार्यक्रम विशेष पराक्रम करने वाले कुछ आरपीएफ कर्मियों को अवार्ड देने के नाम पर आयोजित किया गया, जबकि यह अवार्ड वितरण कार्यक्रम हमेशा आरपीएफ के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित करने की परंपरा रही है.
फोटो परिचय : रिटायरिंग डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार के अंतिम विदाई कार्यक्रम के अवसर पर उपस्थित आरपीएफ अधिकारी.
इसके अलावा सभी जोनों के प्रिंसिपल सीएससी और अन्य संबंधित आरपीएफ अधिकारियों को क्राइम मीटिंग के नाम पर दिल्ली बुलाया गया. एक रिटायर हो रहे डीजी द्वारा ऐसी क्राइम मीटिंग बुलाने का कोई औचित्य नहीं था. इस प्रकार की क्राइम मीटिंग का उद्देश्य हमेशा रेलवे में क्राइम कंट्रोल की भावी रणनीति बनना और उस पर चर्चा करना तथा सुरक्षा रक्षकों का नियोजन करना होता है. परंतु डीजी की ऐसी किसी रणनीति और नियोजन का तब कोई औचित्य नहीं रह जाता है, जब वह अगले ही दिन रिटायर हो रहा हो. जबकि उसके लगभग पूरे एक साल के कार्यकाल में पूरी भारतीय रेल में अवैध हाकरों/वेंडरों पर कोई लगाम नहीं लग सकी. चलती गाड़ियों में लूटपाट, चोरी-डकैती, छिनैती और छेड़छाड़ के मामलों की भरमार रही. आरपीएफ में भ्रष्टाचार चरम पर रहा, कई जोनल आईजी/सीएससी और मंडलों के सीनियर डीएससी की मनमानियों पर कोई लगाम नहीं लग सकी. विभिन्न स्तरों पर आरपीएफ कर्मियों का भारी उत्पीड़न हुआ, सो अलग.
फोटो परिचय : डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार को माला पहनाने के लिए लाइन में लगे आरपीएफ अधिकारियों के चेहरों पर प्रत्यक्ष दर्शनीय है खीसें निपोरती हुई उनकी बेशर्म चापलूसी.
डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार ने भी अपने स्तर पर मनमानियां करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी. अब जाते-जाते वह आरपीएफ में सलामी की एक नई कुप्रथा शुरू करके जा रहे हैं. ‘रेल समाचार’ ने अपने 21 साल के कालखंड में किसी डीजी को रिटायर होने के समय विदाई सलामी लेते नहीं देखा. आरपीएफ में यह एक गलत परंपरा की शुरुआत हुई है, जो कि आजादी के 72 साल बाद भी अंग्रेजी मानसिकता से आईपीएस के मुक्त न हो पाने का प्रतीक है. हालांकि यह अलग बात है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी आईपीएस द्वारा हर साल लंदन पुलिस को ‘दस्तूरी’ भेजी जाती है, जिससे इस देश के बहुत कम लोग वाकिफ हैं. सभी सरकारें और नेतागण इस देश की नौकरशाही, खासतौर पर आईपीएस से इसीलिए खौफ खाते हैं क्योंकि आईपीएस के पास उनकी वैध-अवैध सभी प्रकार की काली-करतूतों का रिकॉर्ड सुरक्षित होता है.
फोटो परिचय : डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार के अंतिम विदाई कार्यक्रम के अवसर पर उपस्थित आरपीएफ अधिकारी.
उपरोक्त समस्त अंतिम विदाई क्रिया-कर्म और बड़ाखाना के आयोजन पर देश की जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपये का फालतू खर्च किया गया है. इसके अलावा इस क्रिया-कर्म के लिए दिल्ली पहुंचे सभी वरिष्ठ-कनिष्ठ आरपीएफ अधिकारियों के टीए/डीए इत्यादि में भी जनता के लाखों रुपये खर्च हुए. इसके साथ ही इन पूरे दस दिनों तक आरपीएफ कर्मियों को यात्री सेवा एवं अन्य महत्वपूर्ण विभागीय कार्यों से बाहर रखा गया, तब रेलवे में अपराध नियंत्रण का ध्यान किसी को नहीं रहा. जबकि मान्यताप्राप्त ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन को राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं जनरल काउंसिल की बैठकों सहित हर साल नियत समय पर होने वाली वार्षिक महासभा करने से किसी न किसी बहाने पिछले एक साल से रोका गया. इस मुद्दे पर एसोसिएशन के तमाम पत्राचार को नजरअंदाज करते हुए पूरा रेल प्रशासन पूरी बेशर्मी के साथ सोता रहा, और डीजी की मनमानी पर उसे टोकने तक की हिम्मत नहीं कर सका.
डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार ने एसोसिएशन को लगभग पंगु कर दिया और तमाम जोनल एवं राष्ट्रीय पदाधिकारियों को न सिर्फ तितर-बितर किया, बल्कि उनका भयानक उत्पीड़न भी किया. तथापि रेलमंत्री पीयूष गोयल, जिन्होंने मुंबई में बिना जाने-समझे अथवा डीजी/आरपीएफ या आईपीएस के बहकावे में आकर आरपीएफ को गृह-मंत्रालय भेज देने और ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन को खत्म करने की सार्वजनिक बयानबाजी की थी, ने उनका यह अन्याय और अत्याचार रोकने के बजाय एआईआरएफ एवं एआईआरपीएफए के पदाधिकारियों के सामने मिमियाते हुए पूरी बेशर्मी के साथ यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि ‘उन्हें (आईपीएस) हटाने अथवा उन्हें कुछ कहने की बात मत करो, क्योंकि ऐसा होने पर वह हमें ही हटा देंगे’.
फोटो परिचय : रिटायरिंग डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार को आरपीएफ जवानों की अंतिम सलामी और इस मौके पर तथाकथित क्राइम मीटिंग के नाम पर दिल्ली में उपस्थित आरपीएफ के तमाम वरिष्ठ अधिकारी.
अवार्ड वितरण एवं क्राइम मीटिंग के नाम पर डीजी/आरपीएफ धर्मेंद्र कुमार की अंतिम विदाई/सलामी के लिए दिल्ली में हो रहे इस फालतू आयोजन के संबंध में 20 सितंबर को ‘रेल समाचार’ ने पांच ट्वीट करके रेलमंत्री और सीआरबी सहित पीएमओ एवं अन्य रेल संगठनों इत्यादि को भी इस गलत परंपरा और मनमानी सहित जनता के पैसे के होने जा रहे दुरुपयोग से अवगत कराया था. तथापि तमाम मंचों से सरकारी कार्य-व्यवहार में नैतिकता एवं शुचिता सहित भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की दुहाई देने वाले रेलवे बोर्ड के वर्तमान निजाम सहित किसी ने भी डीजी धर्मेंद्र कुमार के इस कदाचार पर कोई ध्यान नहीं दिया. ऐसे में उपरोक्त दोहरे मुखौटे वाली सभी अथॉरिटीज से प्रशासनिक नैतिकता की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह सभी सिर्फ व्यक्तिगत प्रचार के स्वार्थ में लिप्त रहकर लाखों रेलकर्मियों और देश की जनता को धोखा दे रहे हैं.