अधिकारियों द्वारा आदेश-निर्देश सरल हिंदी में दिए जाएं -निखिल पांडेय
पूर्वोत्तर रेलवे पर राजभाषा संगोष्ठी एवं समीक्षा बैठक का आयोजन
गोरखपुर ब्यूरो : पूर्वोत्तर रेलवे के वरिष्ठ उप महाप्रबंधक एवं मुख्य सतर्कता अधिकारी निखिल पांडेय की अध्यक्षता में महाप्रबंधक सभाकक्ष में राजभाषा संगोष्ठी एवं समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. इस अवसर पर वरिष्ठ उप महाप्रबंधक श्री पांडेय ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के चित्र पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया. अपने संबोधन में श्री पांडेय ने कहा कि पूर्वोत्तर रेलवे पर अधिकारी एवं कर्मचारी अपना अधिकतम कार्य हिंदी में करते हैं. उन्होंने निर्देश दिया कि सभी शेष कार्य भी हिंदी में किए जाएं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा जो भी निर्देश दिए जाएं, वह सरल भाषा में हों और सभी को आसानी से समझ में आने वाले होने चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा संपूर्ण कार्यक्षेत्र हिंदी भाषी क्षेत्र में आता है, अतः हिंदी में कार्य करना हमारा संवैधानिक दायित्व भी है. उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा कार्य हिंदी में हों, जिससे हम अपनी स्थिति अन्य क्षेत्रों से बेहतर बनाए रखेंगे.
इस मौके पर उप महाप्रबंधक/सामान्य एवं राजभाषा संपर्क अधिकारी राजेश तिवारी ने कहा कि 3 अगस्त ‘कवि दिवस‘ के रूप में भी मनाया जाता है. उन्होंने संगोष्ठी में एक फिल्म के माध्यम से राष्ट्रकवि मैथिलीषरण गुप्त के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि हम बचपन में जो कविता ‘नर हो न निराश करो मन को‘ पढ़ा करते थे, उसके रचयिता राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त, 1886 को चिरगांव, झांसी में हुआ था. हिंदी में खड़ी बोली का प्रतिस्थापन करने वाले पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से श्री गुप्त ने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया. श्री तिवारी ने कहा कि हिंदी कविता के इतिहास में श्री गुप्त का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय संबंधों की रक्षा उनके काव्य के प्रथम गुण हैं.
इस अवसर पर मैथिलीशरण गुप्त के जीवन पर आधारित एक फिल्म दिखाई गई. अन्य वक्ताओं में जे. पी. सिंह, उप मुख्य सतर्कता अधिकारी/यातायात एवं उप मुख्य राजभाषा अधिकारी तथा डी. के. त्रिपाठी, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक/आरटीआई ने मैथिलीशरण गुप्त पर अपने विचार व्यक्त किए. संगोष्ठी का संचालन ए. डी. अग्निहोत्री, उप सचिव/जनपरिवेदना ने किया तथा आभार अफजल अहमद खान, सहायक सचिव/गोपनीय ने आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का समन्वय जितेंद्र कुमार पांडेय, वरिष्ठ अनुवादक ने किया. इस अवसर पर प्रबंध विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.
श्रीकांत सिंह ने पूर्वोत्तर रेलवे के प्रिंसिपल सीएसटीई का पदभार संभाला
गोरखपुर ब्यूरो : वरिष्ठ आईआरएसएसटीई अधिकारी श्रीकांत सिंह ने पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख मुख्य सिगनल एवं दूरसंचार अभियंता (प्रिंसिपल सीएसटीई) का पद भार ग्रहण कर लिया है. उल्लेखनीय है कि श्रीकांत सिंह ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर से बी.टेक की उपाधि प्राप्त करने के बाद भारतीय रेल सिगनल एवं टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग सेवा वर्ष 1984 बैच के माध्यम से रेल सेवा में प्रवेश किया था. उनकी पहली पोस्टिंग दक्षिण पूर्व रेलवे में सहायक संकेत एवं दूरसंचार अभियंता के पद पर हुई थी. दक्षिण पूर्व रेलवे में लगभग 15 वर्षों तक सिगनल विभाग के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने अपने दायित्व का कुशलतापूर्वक निर्वाह किया. श्री सिंह ने आरडीएसओ, लखनऊ में निदेशक एवं कार्यकारी निदेशक, सिगनल तथा उत्तर रेलवे के विभिन्न पदों पर कार्य किया है. उन्होंने ने रेलटेल कारपोरेशन में प्रमुख महाप्रबंधक के पद पर अपने दायित्वों को सफलतापूर्वक निभाया. श्री सिंह ने जापान रेलवे में आधुनिक सिगनलिंग प्रणाली का प्रशिक्षण प्राप्त किया है. रेल प्रबंधन, प्रशासन एवं संरक्षा का गहन अनुभव प्राप्त होने के नाते उन्हें एक कुशल प्रशानिक अधिकारी के रूप जाना जाता है.
बी. आर. विप्लवी बने पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य संरक्षा अधिकारी
गोरखपुर ब्यूरो : 1983 बैच के वरिष्ठ आईआरएसएसटीई अधिकारी बी. आर. विप्लवी को पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्य संरक्षा अधिकारी बनाया गया है. उन्होंने अपना नया पदभार ग्रहण कर लिया है. इससे पहले वह पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय, गोरखपुर में ही मुख्य संकेत एवं दूरसंचार अभियंता/कार्य के पद पर कार्यरत थे. श्री विप्लवी ने मदनमोहन मालवीय इंजीनियरिंग कालेज, गोरखपुर से बीई/इलेक्ट्रॉनिक की उपाधि प्राप्त करने के बाद भारतीय रेल संकेत एवं दूरसंचार सेवा वर्ष 1983 बैच के माध्यम से रेल सेवा में पदार्पण किया. उन्होंने अपर मंडल रेल प्रबंधक, एवं मुख्य सिगनल इंजीनियर, पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर तथा मुख्य संकेत एवं दूरसंचार अभियंता, प्रोजेक्ट, दक्षिण पूर्व रेलवे, कोलकाता के पदों पर कार्य किया है. रेल सेवा में आने से पूर्व श्री विप्लवी ने इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज, रायबरेली में सहायक कार्यपालक अभियंता के पद पर कार्य किया था. श्री विप्लवी को रेल प्रबंधन, प्रशासन, संरक्षा के साथ हिंदी साहित्य में गहरी रुची है. उन्होंने हिंदी की विभिन्न विधाओं में सक्रिय लेखन का कार्य किया है. कुशल प्रशासनिक अधिकारी और साहित्यिक दोनों रूप में रेलवे और साहित्य के क्षेत्र में श्री विप्लवी की पर्याप्त ख्याति है.
मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय, झांसी में साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन
झांसी : राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती के अवसर पर पर अशोक कुमार मिश्र, मंडल रेल प्रबंधक, उ.म.रे. झांसी की अध्यक्षता में एक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष मंडल रेल प्रबंधक अशोक कुमार मिश्र द्वारा मां सरस्वती एवं राष्ट्रकवि गुप्त के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. कार्यक्रम के आरंभ में राजभाषा अधिकारी एम. एम. भटनागर ने समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए.
इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष मंडल रेल प्रबंधक अशोक कुमार मिश्र ने गुप्त जी के संबंध में कहा कि उनकी आरंभिक रचनाएं कलकत्ता से निकलने वाले ‘वैश्योपकारक’ में प्रकाशित होती थीं. उनका प्रथम काव्य संग्रह ‘रंग में भंग’ 1909 में प्रकाशित हुआ था. देश का गौरवमान ‘भारत भारती’ का प्रकाशन 1912 में हुआ. इस काव्य संग्रह की रचनाएं गली-कूचे में गूंजने लगीं और जनमानस में अपनी गुलामी के विरुद्ध बिगुल फूंका. तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इस काव्य संग्रह पर प्रतिबंध लगा दिया. देश के प्रति गर्व और गौरव की भावना जगाने के लिए ‘भारत भारती’ का विशेष योगदान रहा है. गांधीजी श्री गुप्त की देशभक्ति से अत्यंत प्रभावित थे और उन्होंने ही गुप्त जी को राष्ट्रकवि की उपाधि से नवाजा था.
इस अवसर अपर मंडल रेल प्रबंधक/अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी संजय सिंह नेगी ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त ने अपने जीवन में यथार्थ भूमि पर खड़े रहकर अपने नयनों से धरती की यथार्थता को देखा, परखा, समझा और अनुभव कर उसे ज्यों का त्यों खड़िया से काठ पर उतारा. खड़िया से काठ पर उतारे अनमोल मोती व्यर्थ न जाएं, वे देश के जनमानस का हिस्सा बनें, उनका दुख-दर्द बांटें, जन-जन ऐसा समझें कि लिखी गई इबारत उसके जीवन का ही एक भोगा हुआ सच है. अस्तु, गुप्त जी ने अपने भोगे हुए सच को मसि की सहायता से कागज पर उतारा और उसे जनता के समक्ष रखकर उनके चक्षुओं को खोलने का प्रयत्न किया.
इस कवि गोष्ठी में विजय कुमार खरे, सहायक मंडल वाणिज्य प्रबंधक, झांसी, ब्रजेश शर्मा ‘विफल’ कवि एवं उप मुख्य टिकट निरीक्षक, झांसी, सत्यपाल सिंह ‘सत्यार्थी’ मुख्य टिकट निरीक्षक, झांसी, जी. पी. तिवारी ‘अरमान’ जेई/ड्राइंग, झांसी (सेवानिवृत्त), श्यामप्रकाश श्रीवास्तव ‘सनम’ वरिष्ठ तकनीशियन दूरसंचार विभाग, डबरा, कु. प्रगति शर्मा ‘बया’ कवयित्री एवं साहित्यकार, वैभव दुबे, कवि एवं साहित्यकार बीएचईल, झांसी, राकेश सिंह यादव कार्यालय अधीक्षक यांत्रिक (भंडार), सीनियर सेक्शन इंजीनियर, झांसी, शेख आजाद ‘शेख’ वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार राजगढ़, झांसी ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
इस अवसर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक वाई. एस. अतारिया, भीमराज धन्ना, वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी, मुदित चंद्रा, वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी, जे. पी. शर्मा, वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर, वरि.मं.वि.इंजी. आफताब अहमद, वरिष्ठ मंडल सामग्री प्रबंधक, रवीन्द्र प्रसाद, वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक, वी. के. तिवारी, वरिष्ठ मंडल सि. एवं दू.सं.इंजी., हरी सिंह, मंडल वाणिज्य प्रबंधक, नीरज भटनागर, वरिष्ठ मंडल इंजीनियर/ईस्ट, भुवनेश सिहं एवं मनोज कुमार सिंह जनसंपर्क अधिकारी, झांसी आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन राजभाषा अधिकारी एम. एम. भटनागर ने किया तथा वरिष्ठ अनुवादक भगवान दास ने आभार व्यक्त किया.