सभी फ्रंट लाइन स्‍टाफ को दिया जाएगा आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण

जहरखुरानी में शामिल लोगों के खिलाफ रेलवे ऐक्ट/आईपीसी में कड़ी कार्रवाई के निर्देश

इलाहाबाद ब्यूरो : उत्‍तर मध्‍य रेलवे मुख्‍यालय में महाप्रबंधक/उ.म.रे. एम. सी. चौहान की अध्‍यक्षता में आयोजित संरक्षा बैठक में सभी फ्रंट लाइन रेलकर्मियों को आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. बैठक में सभी विभाग प्रमुख एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित इलाहाबाद, आगरा एवं झांसी मंडल के मंडल रेल प्रबंधक भी उपस्थित थे. बैठक में महाप्रबंधक ने सुझाव दिया कि रेल पटरियों के पास स्थित कार्यास्‍थलों को निश्चित रूप से संरक्षा हेतु निर्धारित मापदंडों के अनुसार संरक्षित किया जाना चाहिए.

इसी क्रम में समपार फाटकों, विशेष तौर पर उन समपार फाटकों, जहां इंटरलॉकिंग कार्य नहीं हुआ है, पर संरक्षा सुनिश्चित किए जाने पर चर्चा हुई. उत्‍तर मध्‍य रेलवे द्वारा मानवरहित समपार फाटकों को बंद/मैंड करने के लिए किए जा रहे कार्य के दौरान बचे हुए मानवरहित समपार फाटकों को भी बंद/मैंड करने के निर्देश दिए गए. महाप्रबंधक ने अन्‍य जोनों में हो रहे स्‍पैड मामलों के कारणों से सीख लेते हुए उत्‍तर मध्‍य रेलवे में चल रहे ‘मिशन जीरो स्‍पैड’ को और प्रभावी तरीके से लागू करने की बात कही.

उल्‍लेखनीय है कि मिशन जीरो स्‍पैड को फरवरी 2017 में शुरू किया गया था. इसकी शुरूआत के बाद स्‍पैड मामलों की संख्‍या में 700% की कमी आई है. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि नव नियुक्‍त सहायक स्‍टेशन मास्‍टरों को मेनलाइन के स्‍टेशनों पर नियुक्‍त करने से पहले ब्रांच लाइन के स्‍टेशनों पर प्रशिक्षित किया जाए. बैठक के दौरान मुख्‍य संरक्षा अधिकारी ने बताया कि कुछ लेवल क्रासिंग पर बहुत अधिक टीयूवी है, जिसके कारण बूम ब्रेकेज की घटना प्राय: होती रहती है. इस पर महाप्रबंधक ने सुझाव दिया कि इस प्रकार के लेवल क्रासिंग को समाप्‍त करने हेतु आरओबी/एलएचएस बनाने के प्रस्‍ताव को पुन: राज्‍य सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जाए, ताकि उस पर कार्य शुरू हो सके.

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अच्छे मौसम के चलते अच्छी दृश्यता के दृष्टिगत, सभी मंडलों की सिगनल साइटिंग कमेटी द्वारा सिंगनल की दृश्यता में बाधक बनने वाले कारणों का पता लगाकर उन्हें तेजी से ठीक किया जाए, जिससे दिन एवं रात में सिंगनल की बेहतर दृश्यता मिल सके. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि संरक्षा प्रयासों पर लगातार जोर देते हुए जिन रेल पटरियों को बदलने की आवश्‍यकता है, उन्‍हें प्राथमिकता पर बदला जाए. चर्चा में निर्माण कार्यों के दौरान संचार केबिलों के कटने का मामला भी आया, जिस पर महाप्रबंधक ने सिंगनल एवं दूरसंचार के ओपन लाइन स्‍टाफ को उन स्‍थानों पर उपस्थित रहने को कहा, जहां से भूमिगत संचार/एसएनटी केबिलें गई हों और जेसीबी/एक्‍सावेटरों द्वारा खुदाई कार्य किया जा रहा हो.

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि बाहरी व्‍यक्तियों द्वारा विशेष तौर पर असामाजिक तत्‍वों द्वारा केबल काटने के मामलों में कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाए. सभी फ्रंट लाइन स्‍टाफ को आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाए. ट्रैकों पर पर्याप्‍त बैलास्‍ट की आपूर्ति सुनिश्चित करना, हॉट एक्‍सल मामलों में कमी, ब्रेक बाइडिंग, ट्रेन पार्टिंग, एलार्म चैन पुलिंग और कैटल रनओवर पर भी चर्चा हुई. महाप्रबंधक ने ऐसी सभी घटनाओं की रोकथाम के लिए उन खंडों/स्‍थानों की पहचान कर कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए, जहां अनधिकृत रूप से ऐसी घटनाएं हो रही हैं. उन्‍होंने जहरखुरानी में शामिल लोगों के खिलाफ रेलवे अधिनियम और आईपीसी के तहत कड़ी कार्यवाही के निर्देश भी दिए.


उ.म.रे. ने लिया ‘राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष’ का पूरा उपयोग करने का निर्णय

इलाहाबाद ब्यूरो : उत्‍तर मध्‍य रेलवे मुख्‍यालय सूबेदारगंज में महाप्रबंधक एम. सी. चौहान की अध्‍यक्षता में कार्य समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. इस अवसर पर बैठक को संबोधित करते हुए महाप्रबंधक ने कहा कि सभी प्‍लान हेड्स में उचित व्‍यय सुनिश्चित किया जाए, विशेष तौर पर स्‍टेशनों पर न्‍यूनतम आवश्‍यक सुविधाओं से संबंधित कार्यों में इसकी प्राथमिकता हो. उन्‍होंने कहा कि आदर्श स्‍टेशन के रूप में चिन्हित किए गए 15 स्‍टेशनों के विकास कार्यों को प्रमुखता से पूरा किया जाना चाहिए. उन्‍होंने यह सुझाव भी दिया कि राष्‍ट्रीय रेल संरक्षा कोष में उपलब्‍ध धनराशि का पूरी तरह से उपयोग किया जाना चाहिए तथा इस मद में उपलब्‍ध धनराशि को सरेंडर न किया जाए.

अपर महाप्रबंधक ने कहा कि रेवेन्‍यू हेड के अंतर्गत होने वाले खर्चों को कम करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए एवं कैपिटल हेड के अंतर्गत उपलब्‍ध धन का पूरा उपयोग सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण और सुधार हमारी सामाजिक जिम्‍मेदारी है, जिसके अनुरूप रेन वाटर हारवेस्टिंग, वाटर रिसाइकिलिंग संयत्र, वृक्षारोपण एवं पानी की बर्बादी रोकने जैसे कार्यों पर विशेष ध्‍यान दिया जाना चाहिए. उन्‍होंने यह भी कहा कि जल संरक्षण के प्रयास महंगे प्रस्‍ताव नहीं हैं, अपितु जल संरक्षण के संबंध में लोगों को जागरूक और संवेदनशील होना चाहिए. स्‍टेशनों पर लिफ्टों एवं एस्‍कलेटरों के प्रावधान की समीक्षा के तहत उन्होंने कहा कि इस कार्य में गति लाने की आवश्‍यकता है.

महाप्रबंधक ने कहा कि दिव्‍यांगों को आवश्‍यक सुविधाएं प्रदान कराना हमारी नैतिक जिम्‍मेदारी है. उन्‍होंने इस बात की सराहना भी की कि 153 स्‍टेशनों में से 114 स्‍टेशनों पर निर्धारित अल्‍पकालीन जन-सुविधाएं पहले से ही उपलब्‍ध करा दी गई हैं. शेष 39 स्‍टेशनों पर दिव्‍यांगों हेतु निर्धारित अल्‍पकालीन जन-सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के कार्य को मार्च 2018 के अंत तक पूरा कर लिया जाए.

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि मंडल रेल प्रबंधकों द्वारा सक्रिय कार्यवाही करते हुए उनके कार्यक्षेत्र के सांसदों को संपर्क करके उन्हें सांसद निधि से स्‍टेशनों पर स्‍टेनलेस स्‍टील बेंच उपलब्‍ध कराने के लिए प्रेरित किया जाए. इस अवसर पर दोहरीकरण कार्यों, टुंडला-यमुना ब्रिज, अलीगढ़-गाजियाबाद तीसरी लाइन, झांसी-बीना तीसरी लाइन आदि, की प्रगति की भी समीक्षा की गई.

महाप्रबंधक ने कहा कि इन सभी कार्यों को समय से पूरा करने के लिए सभी संभव प्रयास किए जाने चाहिए. इन कार्यों के पूरे होने से एक ओर जहां सेचुरेटेड सेक्‍शनों की क्षमता प्रणाली में विस्‍तार होगा, वहीं थ्रू-पुट एवं समयपालन में भी सुधार आएगा. इसके अतिरिक्‍त ट्रेन संचालन में संरक्षा को भी सकारात्‍मक सहयोग मिलेगा. बैठक के दौरान कुम्‍भ मेले के लिए इलाहाबाद स्‍टेशन परिसर का विकास, रोड ओवर ब्रिजों के निर्माण, रोड सेफ्टी कार्यों की प्रगति, सिंगनल एवं दूरसंचार, विद्युत कार्यों, यात्री सुविधाओं एवं स्‍टाफ क्‍वाटरों के निर्माण के कार्यों की प्रगति सहित अन्‍य महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई.


ग्‍वालियर और झांसी तक विस्‍तार से बढ़ी गतिमान एक्सप्रेस की ऑक्यूपेंसी

इलाहाबाद ब्यूरो : वर्तमान में भारतीय रेल की सबसे तेज और देश की पहली सेमीहाई स्‍पीड ट्रेन, गतिमान एक्‍सप्रेस,जिसे शुरू में हजरत निजामुद्दीन और आगरा कैंट स्‍टेशन के बीच चलाया गया था, को ग्वालियर में ठहराव देकर झांसी तक विस्तार दिए जाने से इसकी ऑक्यूपेंसी बढ़ गई है. यह सुझाव उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के उददेश्‍य से उ.म.रे. के महाप्रबंधक एम. सी. चौहान द्वारा दिया गया था.

ज्ञातव्य है कि गतिमान एक्‍सप्रेस आगरा कैंट स्‍टेशन पर लगभग 8 घंटे खड़ी रहती है. आगरा में 8 घंटे की उपलब्‍धता गतिमान एक्‍सप्रेस के झांसी तक विस्‍तार के प्रस्‍ताव की नींव बनी. आम जनता के दृष्टिकोण से, यह विचार था कि यदि इस ट्रेन को ग्‍वालियर स्टेशन पर ठहराव देते हुए झांसी तक विस्‍तार किया जाए, तो बुंदेलखंड क्षेत्र में पर्यटकों एवं पर्यटन उद्योग को काफी बढ़ावा मिल सकता है.

इस विस्‍तार के साथ यहां आने वाले पर्यटकों को इस क्षेत्र के पर्यटन स्‍थलों जैसे झांसी किला, रानी महल, बरूआ सागर, सेंट जूड श्राइन, ओरछा का किला (जिनमें जहांगीर महल, राजा महल और राम राजा महल शामिल हैं), दतिया में पीताम्‍बरा पीठ और सोनागीर में जैन मंदिर को देखने का लाभ होगा. इसके साथ ही जो लोग ग्‍वालियर उतरते हैं, उन्‍हें ग्‍वालियर किला, सूर्य मंदिर, जयविलास पैलेस, गुजारी महल, तानसेन का मकबरा और मानसिंह महल देखने का अवसर मिलेगा. इतने अधिक मेरिट वाले प्रस्‍ताव को रेलवे बोर्ड द्वारा मंजूर कर लिया गया और गतिमान एक्‍सप्रेस को 19 फरवरी को ग्‍वालियर तक एवं आगामी 1 अप्रैल से झांसी तक के लिए विस्‍तारित किया जा रहा है.

विस्‍तार की सफलता को इन तथ्‍यों को रेखांकित किया जा सकता है कि ग्‍वालियर से पहले ही दिन गतिमान एक्‍सप्रेस की ऑक्यूपेंसी 100% रही, जो कि विस्‍तार से पूर्व 75.91% थी. इसके विस्‍तार के लगभग एक महीने बाद, एक अध्ययन में यह पता चला कि पिछले एक महीने में गतिमान एक्‍सप्रेस की ऑक्यूपेंसी 97.63% रही, जो कि विस्‍तार के पूर्व की ऑक्यूपेंसी से 28.61% अधिक है.

गतिमान एक्‍सप्रेस की ऑक्यूपेंसी में हुई यह वृद्धि हबीबगंज-नई दिल्‍ली शताब्‍दी एक्‍सप्रेस (12001/12002) की ऑक्यूपेंसी को प्रभावित किए बिना हासिल हुई है. शताब्‍दी एक्‍सप्रेस की ऑक्यूपेंसी में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में एक महीने में लगभग 10% की वृद्धि हुई है. इस संबंध में महाप्रबंधक/उ.म.रे. एम. सी. चौहान ने कहा कि गतिमान एक्‍सप्रेस के विस्‍तार का आम जनता एवं पर्यटकों ने व्‍यापक स्वागत किया है.