विजिलेंस इंस्पेक्टर के विरुद्ध पश्चिम रेलवे ने कोई कदम नहीं उठाया
घटना के एक सप्ताह बाद भी सीवीआई ने जमा नहीं की कोई रिपोर्ट
मुंबई : शुक्रवार, 26 जनवरी को गाड़ी सं. 12227, मुंबई सेंट्रल-इंदौर दूरंतो एक्स. में पालघर-दहाणू के दरम्यान रात करीब 12 से 12.15 बजे एक विजिलेंस इंस्पेक्टर ने ऑन बोर्ड टिकट चेकिंग स्टाफ को परेशान किया और यात्रियों के सामने न सिर्फ रेलवे की छवि को बट्टा लगाया, बल्कि स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार भी किया. पता चला है कि प्रत्येक शुक्रवार को इसी गाड़ी से रतलाम जाने वाले दो विजिलेंस इंस्पेक्टर हमेशा की भांति गाड़ी में थे. करीब 11.15 बजे मुंबई सेंट्रल से चली उक्त दूरंतो एक्स. में तीन टिकट चेकिंग स्टाफ की ड्यूटी थी. इसमें थ्री एसी के चार कोच चेक करने की जिम्मेदारी मनोज तिवारी नामक एक टिकट चेकिंग स्टाफ के पास थी.
बताते हैं कि श्री तिवारी अभी एक कोच ही चेक कर पाए थे कि उन्हें चार यात्रियों का एक ऐसा समूह दरवाजे के पास बैठा मिला, जिसके पास आरक्षण नहीं था. बाद में मिली जानकारी के अनुसार उन यात्रियों की अवंतिका एक्स. छूट गई थी और उनका जाना अनिवार्य था, इसलिए उन्होंने दूरंतो में सवारी कर ली थी. श्री तिवारी ने पेनाल्टी सहित चारों को कुल राशि बताई और पैसा निकालने को कहा. यह राशि शायद 21-22 हजार रुपये बनती थी, इसलिए चारों यात्री अपनी जेबें टटोलने लगे. यात्रियों द्वारा पैसा जमा करने में हो रही देरी को देखते हुए श्री तिवारी तब तक अन्य यात्रियों के टिकट चेक करने चले गए.
प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी दरम्यान गाड़ी में पहले से ही चल रहे विजिलेंस इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह ने आकर श्री तिवारी से उनकी ईएफटी मांगी. बताते हैं कि इस पर श्री तिवारी ने उनसे कहा कि अभी तो गाड़ी चले हुए मुश्किल से एक घंटा भी नहीं हुआ है, अभी उनके दो-ढ़ाई कोच चेक नहीं हो पाए हैं और चार यात्रियों की रसीद बनानी भी बाकी है. यह सारा काम पूरा होते ही वह उनको अपनी ईएफटी सौंप देंगे. बताते हैं कि इस पर वीआई मनोज सिंह यात्रियों के सामने ही उनसे उलझ पड़े और जबरन उनसे ईएफटी छीनने का प्रयास किया. यह सारा घटनाक्रम उन चारों अनारक्षित यात्रियों के सामने घटित हुआ, जो कि तब तक पैसा जमा करके अपनी रसीद बनवाने के लिए श्री तिवारी के पास आ चुके थे.
पता चला है कि ईएफटी नहीं दिए जाने से नाराज वीआई श्री सिंह ने श्री तिवारी को धमकी दी और कहा कि वह अब उन्हें नौकरी करना सिखाएंगे! बताते हैं कि वहां से जाते-जाते उन्होंने उन चारों अनारक्षित यात्रियों से भी कहा कि वह पैसा न दें. इस पूरी घटना के गवाह एक यात्री ने इसी दरम्यान ‘रेलवे समाचार’ को कॉल करके स्टाफ को परेशान किए जाने सहित पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. यह जानकारी मिलने के तुरंत बाद ‘रेलवे समाचार’ ने तत्काल दो ट्वीट रेल मंत्रालय, जीएम/प.रे. और सीआरबी को किया. परंतु इन दोनों ट्वीट्स का रेल प्रशासन ने कोई संज्ञान लिया, ऐसा नहीं लगा, क्योंकि किसी ने भी उनके जवाब में अब तक कोई रिस्पांस नहीं किया है.
बहरहाल, इस मामले से संबंधित पूरे घटनाक्रम पर ‘रेलवे समाचार’ ने निगाह रखी. पता चला है कि वीआई मनोज कुमार सिंह ने यह खबर लिखे जाने तक उक्त घटना से संबंधित कोई अधिकारिक रिपोर्ट अपने वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं सौंपी है. परंतु पता चला है कि इस दरम्यान उन्होंने संबंधित टिकट चेकिंग स्टाफ मनोज तिवारी के खिलाफ ‘नॉन-कोऑपरेशन’, जो कि चेकिंग स्टाफ को सबक सिखाने या उत्पीड़ित करने के लिए विजिलेंस जैसी खिसियानी बिल्ली का अंतिम हथियार होता है, का मामला बनाया है और इसके लिए गुरुवार एवं शुक्रवार (1-2 फरवरी) को उक्त गाड़ी के तीनों टिकट चेकिंग स्टाफ को उनका बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था. यहां यह भी ज्ञात हुआ है कि वीआई मनोज कुमार सिंह ने गाड़ी में सिर्फ मनोज तिवारी से उनकी ईएफटी देने को कहा था, बाकी दो स्टाफ से उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं की थी.
कई जानकार अधिकारियों सहित वरिष्ठ टिकट चेकिंग स्टाफ का कहना है कि सर्वप्रथम तो विजिलेंस मैन्युअल में यह तय नहीं है कि गाड़ी चलने के कितनी देर बाद किसी विजिलेंस इंस्पेक्टर द्वारा ऑन बोर्ड टिकट चेकिंग स्टाफ से उसकी ईएफटी मांगी जा सकती है अथवा उसको चेक किया जा सकता है. उनका कहना है कि उक्त गाड़ी रात 11.15 बजे चली थी और घटना 12 और 12.15 बजे के बीच घटित हुई. अतः एक घंटे में एक स्टाफ के लिए चार कोच चेक कर पाना संभव नहीं हो सकता है. यदि विजिलेंस इंस्पेक्टर को उक्त स्टाफ पर कोई शक था, तो उसे शुरू में ही उसकी ईएफटी सीज कर लेनी चाहिए थी अथवा उसका काम पूरा होने देना चाहिए था.
उनका यह भी कहना है कि जब उक्त गाड़ी के स्टाफ को पहले से पता था कि उनकी गाड़ी में दो-दो विजिलेंस इंस्पेक्टर (वीआई) चल रहे हैं, ऐसे में किसी स्टाफ की कोई जोड़तोड़ अथवा हेराफेरी करने की मजाल नहीं हो सकती थी, बल्कि ऐसी स्थिति में स्टाफ द्वारा वीआई’ज को बकायदे ‘सरकारी दामाद’ जैसी सेवाएं करते हुए गाड़ी में ले जाया जाता है. इसके अलावा उनका यह भी कहना है कि उक्त वीआई ने एक ही स्टाफ (मनोज तिवारी) को यह लगातार तीसरी बार टारगेट किया है. इससे जाहिर होता है कि इस वीआई की उक्त स्टाफ से कोई व्यक्तिगत खुन्नस है, जबकि स्टाफ का नॉन-कोऑपरेशन कहीं से भी साबित नहीं हो रहा है.
पश्चिम रेलवे विजिलेंस के हमारे विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मनोज कुमार सिंह चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर/ट्रैफिक (सीवीआई/टी) हैं. यह लगभग प्रत्येक शुक्रवार को इंदौर दूरंतो से रतलाम स्थित अपने घर जाते हैं और प्रत्येक रविवार को इसी गाड़ी से वापस आते हैं. उन्हें जब गाड़ी में जाना होता है, तो इसकी जानकारी बहुत पहले से स्टाफ को दे दी जाती है, जिससे उनके ‘खाने-पीने’ का पूरा इंतजाम ‘एडवांस’ में स्टाफ द्वारा कर लिया जाता है, जिसके लिए अमूमन ढ़ाई-तीन हजार खर्च आता है, जिसे कोई हेराफेरी न करते हुए भी स्टाफ द्वारा ही वहन किया जाता है.
सूत्रों का कहना है कि गाड़ी में वह या तो फर्स्ट एसी में अपना अड्डा जमाते हैं, और यदि वहां जगह नहीं हुई, तो सेकेंड एसी में तो पक्का ही उनका बिस्तर कोच अटेंडेंट द्वारा बकायदे स्टाफ की देखरेख में लगवाया जाता है, क्योंकि अमूमन कोई अटेंडेंट सेकेंड एसी में किसी यात्री का बिस्तर नहीं लगाते हैं. उन्हें ऐसा करते हुए देखकर आसपास के सभी यात्री समझ जाते हैं कि कोई ‘सरकारी दामाद’ आया है. जबकि इनकी ट्रेवल अथॉरिटी थर्ड एसी की होती है, मगर आज तक किसी वीआई को थर्ड एसी में यात्रा करते नहीं देखा गया है. बताते हैं कि उस दिन भी उनका बिस्तर एक सेकेंड एसी कोच में लगवाया गया था, मगर उक्त घटना के बाद वह कोच अटेंडेंट से अपना बैग उठवाकर थर्ड एसी कोच में चले गए थे.
जानकारों का यह भी कहना है कि सभी विजिलेंस इंस्पेक्टर एक जैसे नहीं हैं, तथापि मनोज कुमार सिंह जैसे कुछ विजिलेंस इंस्पेक्टर्स अपनी गलत हरकतों के कारण स्टाफ में दहशत कायम करके उनका भरपूर दोहन कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब यह ड्यूटी पर होते हैं, तब इनके साथ हमेशा आरपीएफ स्टाफ भी रहता है, मगर उस दिन इनके साथ आरपीएफ स्टाफ नहीं था. इसका मतलब यह है कि वह पूर्व नियोजित जांच अभियान पर नहीं थे. यही वजह है कि उनके साथी दूसरे सीवीआई ने सिर्फ बीच-बचाव ही किया. बताते हैं कि उपरोक्त घटना की जानकारी मनोज तिवारी ने तत्काल मुंबई सेंट्रल स्थित कमर्शियल कंट्रोल को दे दी थी, जबकि उक्त सीवीआई द्वारा न ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल इसकी जानकारी दी गई थी, न ही वह खुद अगले दो कार्य-दिवसों तक कार्यालय पहुंचा था.
पश्चिम रेलवे के विजिलेंस सूत्रों का कहना है कि सीवीआई/टी मनोज कुमार सिंह के खिलाफ वरिष्ठ विजिलेंस अधिकारियों को पहले भी कई शिकायतें मिल चुकी हैं. उन्हें अपना कार्य-व्यवहार सुधारने के लिए कई बार चेतावनी भी दी गई है. परंतु उनके रवैये में अब तक कोई परिवर्तन नहीं आया है. अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उपरोक्त घटना के बाद पूरा मामला अब उच्च प्रशासन के संज्ञान में लाया जा चुका है. ट्वीट के बाद रेलवे बोर्ड विजिलेंस ने भी इस घटना के बारे में पर्याप्त दरयाफ्त किया है. सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही प्रशासन द्वारा इस मामले में उचित कदम उठाया जाएगा. उन्होंने बताया कि संबंधित तीनों स्टाफ के बयान से भी जाहिर है कि इस मामले में सीवीआई ने विजिलेंस की धौंस पर गलत कार्यवाही करके अपनी व्यक्तिगत खुन्नस के चलते एक स्टाफ विशेष को टारगेट किया है.