ऑनलाइन टेंडर सिस्टम फुलप्रूफ न होने से सुनिश्चित नहीं हो पा रही प्रतिस्पर्धा
मुंबई मंडल कन्वर्जन के ऑनलाइन टेंडर में लोड नहीं हो सके बिडर्स के डाक्यूमेंट्स
बिडर्स की लिखित शिकायत पर समय बढ़ाने को तैयार नहीं हुए संबंधित अधिकारी
ऑनलाइन टेंडर में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा के अभाव में बन सकता है विजिलेंस केस
सुरेश त्रिपाठी
मध्य रेलवे, मुंबई मंडल के कन्वर्जन विभाग, वाडीबंदर द्वारा पहली बार ऑनलाइन टेंडर मंगाया गया. इस टेंडर (नं. सीआर/आरई/एल/डब्ल्यूबी/ओएचई/ 2017/01) की अंतिम तारीख 14 फरवरी 2017 और अंतिम समय 9 से 11 बजे तक का था. यह ऑनलाइन टेंडर मुंबई मंडल, मध्य रेलवे के पनवेल-पेण सेक्शन के करीब 60 किमी. में 25 केवी एसी सिंगल फेज 50 हर्ट्ज रेगुलेटेड ओएचई के डिजाइन, सप्लाई, इरेक्शन, टेस्टिंग और कमीशनिंग का है. इसकी कुल अनुमानित लागत 24 करोड़ रुपए है. बताते हैं कि इस टेंडर में सिर्फ एक ही बिड हो पाई है, जिसे फेवर करने के लिए संबंधित अधिकारी नियमों का हवाला देते हुए पुनः टेंडर करने से बच रहे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस दिन यह दो पाकेट वाला ऑनलाइन टेंडर किया गया था, उसी दिन एक बिडर ने अपनी बिडिंग कर दी थी. परंतु बाकी एलिजिबल बिडर्स ने परंपरानुसार अंतिम दिन अंतिम समय में जब टेंडर डालने का प्रयास किया, तो सिस्टम (आईआरईपीएस) की खराबी के चलते उनकी रेट वाली बिड लोड नहीं हो सकी, जबकि उनके बाकी डाक्यूमेंट्स लोड हो चुके थे, जिनमें उनकी 13,56,180 रुपए की ईएमडी और 10 हजार रुपए के टेंडर डाक्यूमेंट्स की कीमत सहित अन्य कागजात शामिल थे.
बताते हैं कि सिस्टम की खराबी के बारे में संबंधित बिडर्स ने तत्काल ईमेल और टेलीफोन के जरिए संबंधित अधिकारियों को सूचित/संपर्क करके उनसे कम से कम दो घंटे का समय बढ़ाने की अनुनय-विनय की थी, परंतु संबंधित अधिकारियों द्वारा उनकी यह अनुनय-विनय नहीं मानी गई और टेंडर क्लोज कर दिया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार इसमें कम से कम 8-10 एलिजिबल बिडर्स अपना टेंडर डालने में सफल नहीं हुए हैं. विश्वसनीय सूत्रों का यह भी कहना है कि इसमें सिर्फ एक ही बिडर अपनी बिड करने में सफल रहा है.
जानकारों का कहना है कि यदि सिस्टम की खराबी के बारे में सिर्फ एक बिडर की शिकायत होती, तो उसे यह मानकर दरकिनार किया जा सकता है कि शायद वह अपनी बिड डालने में सफल नहीं रहा, इसलिए वह सिस्टम की खराबी का बहाना बना रहा है. परंतु यहां कई एलिजिबल बिडर्स ने यही शिकायत की है. ऐसे में सामान्यतः उनकी इस शिकायत को दरकिनार नहीं किया जा सकता है. ज्ञातव्य है कि ‘रेलवे समाचार’ को भी ऐसे दो एलिजिबल बिडर्स के नाम मालूम हैं, जो सिस्टम की खराबी के चलते अपनी बिड नहीं कर पाए हैं. जानकारों का यह भी कहना है कि यदि कोई नियम इसमें आड़े आ रहा है, तो उसे बदला जाना चाहिए. एकतरफा नियम से रेलवे को ही नुकसान होने वाला है. उनका यह भी कहना है कि वर्तमान स्तर पर पुनः टेंडर करने से आगे की तमाम परेशानियों से बचा जा सकेगा.
सूत्रों का कहना है कि कई बिडर्स ने इस बारे में म.रे. के महाप्रबंधक और चीफ इलेक्टिकल इंजीनियर तक अपनी उक्त शिकायत पहुंचाकर उनसे इसी स्तर पर उक्त टेंडर को रद्द करने और पुनः टेंडर किए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि यह कार्य एकदम अर्जेंट भी नहीं है, इसलिए वर्तमान स्तर पर यदि इसकी प्रक्रिया पुनः की जाती है, तब भी काम में कोई देरी नहीं होगी. उनका यह भी कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार सिर्फ एक ही बिड हुई है. यदि उनकी बात नहीं सुनी जाती है, तो इसमें प्रतिस्पर्धात्मक रेट्स नहीं मिलेंगे और एक बिडर के नाम सिंगल टेंडर करने से रेलवे को भारी नुकसान होगा. उनका कहना है कि पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा के अभाव में यह विजिलेंस केस भी बन सकता है.