घनश्याम सिंह के भ्रष्टाचार के विरुद्ध दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका
याचिका से अलर्ट सीवीसी में घनश्याम सिंह के विरुद्ध शिकायतों की जांच तेज
शिकायतों की जांच के संदर्भ में रेलवे बोर्ड ने उच्च अदालत को भी गुमराह किया
घनश्याम सिंह को मेंबर ट्रैक्शन के लिए विजिलेंस क्लियरेंस मिल पाना होगा मुश्किल
सुरेश त्रिपाठी
वर्ष 1981 बैच के वरिष्ठ अधिकारी घनश्याम सिंह (आईआरएसईई) को उनके विरुद्ध हुई तमाम शिकायतों की विधिवत जांच किए बिना पूर्व रेलवे का महाप्रबंधक बनाए जाने के खिलाफ क्वालिटी कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियर्स के प्रोप्राइटर सतीश मंडावकर द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष हाल ही में एक याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका में घनश्याम सिंह सहित रेल मंत्रालय (भारत सरकार) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को भी प्रतिवादी बनाया गया था. सतीश मंडावकर ने इस याचिका में उनके द्वारा प्रतिवादी घनश्याम सिंह के भ्रष्टाचार के विरुद्ध दर्ज कराई गई शिकायतों की जांच प्रतिवादी रेल मंत्रालय और सीवीसी से कराए जाने के संबंध में अदालत से दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की थी.
वादी सतीश मंडावकर ने याचिका में कहा था कि प्रतिवादी घनश्याम सिंह को बिना विधिवत जांच किए ही पूर्व रेलवे का महाप्रबंधक बना दिया गया, जबकि उनके विरुद्ध कई अनुशासनिक कार्रवाईयां और अपराधिक शिकायतें पेंडिंग थीं. श्री मंडावकर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रवि सीकरी एवं अमित ए. पई, कुलदीप श्रीवास्तव, राहत बंसल एवं वैभव कालरा इत्यादि अधिवक्ताओं ने अदालत के समक्ष दलील देते हुए कहा कि उनके मुवक्किल का कहना है कि उसने प्रतिवादी रेल मंत्रालय और सीवीसी को घनश्याम सिंह के भ्रष्टाचार के विरुद्ध कई लिखित शिकायतें भेजीं, परंतु प्रतिवादी रेल मंत्रालय और सीवीसी ने आज तक उक्त शिकायतों के संबंध में कोई कारगर कदम नहीं उठाया.
अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता रवि सीकरी की दलीलें सुनने के बाद पूरे मामले का अवलोकन करते हुए 13 जनवरी, 2016 को अपने निर्णय में कहा कि ‘चूंकि वादी (सतीश मंडावकर) की घनश्याम सिंह के भ्रष्टाचार के संबंध में पहली शिकायत 25 मई, 2016 और अंतिम शिकायत 16 दिसंबर, 2016 पर प्रतिवादी (घनश्याम सिंह) के विरुद्ध जांच चल रही है. अतः अदालत इस याचिका को ‘प्रीमैच्योर’ कहते हुए फिलहाल निस्तारित कर दिया है.’ विदित हो कि पूर्व में घनश्याम सिंह के भ्रष्टाचार के विरुद्ध सांसद अनंत गिते ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु को और अन्य दो सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. इस याचिका के संदर्भ से सीवीसी अब काफी अलर्ट हो गया है और उसने घनश्याम सिंह के विरुद्ध सतीश मंडावकर की शिकायतों के साथ ही अन्य तमाम शिकायतों पर अपनी जांच तेज कर दी है, जिससे अब मेंबर ट्रैक्शन, रेलवे बोर्ड के पद पर पदोन्नति के लिए उन्हें आसानी से सीवीसी का क्लियरेंस मिल पाना बहुत मुश्किल होगा.
यह तो जगजाहिर है कि घनश्याम सिंह के विरुद्ध दर्ज की गई तमाम शिकायतों पर लीपापोती उनके हस्तक और रेलवे बोर्ड विजिलेंस में ईडी/वी/इले./एसएंडटी (नोडल ऑफिसर/अपील) ने इस मामले में दाखिल की गई कई आरटीआई का जवाब देना अब तक जरुरी नहीं समझा है. इसके अलावा पता चला है कि उन्होंने घनश्याम सिंह के विरुद्ध हुई तमाम शिकायतों पर एक करीब 80-90 पेज की समरी रिपोर्ट बनाकर न सिर्फ उसमें घनश्याम सिंह को क्लीन चिट दे दी है, बल्कि सभी शिकायतों पर लीपापोती भी कर दी है. अब यह सभी रिपोर्ट्स सीवीसी के परीक्षण का विषय हैं. दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड विजिलेंस द्वारा आरटीआई के जवाब में कहा जा रहा है कि उक्त तमाम शिकायतों पर अभी जांच चल रही है, जिससे मामले की जानकारी नहीं दी जा सकती है. उल्लेखनीय है कि इसी आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सतीश मंडावकर की उपरोक्त याचिका को निस्तारित कर दिया है. इस तरह से रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) ने उच्च अदालत को भी गुमराह किया है.