हमें अपनी सतर्कता से ही रेल दुर्घटनाओं को बचाना होगा -डी.के.शर्मा, जीएम/म.रे.
लोको पायलट समस्याओं को उजागर करें, जिससे उनका हल खोजा जा सके
लोको पायलट सहयोग करें और अपनी सतर्कता से रेल दुर्घटनाओं को बचाएं
म.रे.का सरंक्षा सेमिनार संपन्न, कल्याण में जमा हुए सभी वरिष्ठ अधिकारी
कल्याण : ‘भारतीय रेल को दुर्घटना-मुक्त करें और ध्यान रखें कि कोई कैजुअलिटी न होने पाए. लोको पायलट अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाएं, क्योंकि भारतीय रेल एक अत्यंत आवश्यक कैडर है. अन्य सभी स्टाफ भी अपनी-अपनी जिम्मेदारी को समझें और पूरी सतर्कता के साथ अपने कार्य को अंजाम दें. रनिंग स्टाफ एवं लोको इंस्पेक्टर इस बात का ध्यान रखें कि भारतीय रेल अभी-भी तकनीकी रूप से बहुत एडवांस नहीं है, इसलिए हमें अपनी सतर्कता से ही रेल दुर्घटनाओं को बचाना होगा. इसके लिए रेल प्रबंधन को लोको पायलट और समस्त रनिंग स्टाफ का पूरा सहयोग चाहिए. उन्हें अपनी दिन-प्रतिदिन की समस्याओं को प्रबंधन के समक्ष उजागर करना चाहिए, जिससे उनका सही हल खोजा जा सके.’
उपरोक्त विचार मध्य रेलवे संरक्षा संगठन द्वारा कल्याण में आयोजित संरक्षा सेमिनार में मध्य रेलवे के महाप्रबंधक डी. के. शर्मा ने व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि भारतीय रेल में एक महीने का संरक्षा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिए हमने सर्वाधिक उपयुक्त जगह कल्याण को चुना है. उन्होंने सेमिनार में देरी से पहुंचने के लिए खेद व्यक्त करते हुए कहा कि रेलवे बोर्ड के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के कारण उन्हें आने में देरी हुई. महाप्रबंधक श्री शर्मा ने कहा कि संभवतः पहली बार पूरा मध्य रेलवे मुख्यालय कल्याण में उपस्थित हुआ है. उन्होंने कहा कि सेमिनार में सभी वक्ताओं ने अपने अमूल्य विचार व्यक्त किए हैं. उनका कहना था कि भारत में रेलवे और सेना दो ही ऐसी प्रमुख संस्थाएं हैं, जो दिन-रात काम करती हैं और लगातार सजग रहकर देशवासियों की सेवा में जुटी हुई हैं.
महाप्रबंधक श्री शर्मा ने कहा कि भारतीय रेल में अनुशासन सर्वोपरि है. उन्हें इस बात का गर्व है कि वह भारतीय रेल का एक हिस्सा हैं और इसके माध्यम से देश-सेवा करने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ है. उन्होंने कहा कि रात के दो बजे जब तमाम यात्री निश्चिंत होकर मीठी नींद ले रहे होते हैं, तो उन्हें यह विश्वास होता है कि गाड़ी का चालक उन्हें सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाएगा. इसी प्रकार एक सैनिक 40 डिग्री निम्न तापमान में सजग रहकर देश की रक्षा करता है, वह अपनी तकलीफ किससे बयान करेगा. उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 में जब इगतपुरी में ट्रैक पर पहाड़ टूट पड़ा था, तब वह लगातार सात दिन और सात रात तक स्पॉट पर ही कैंप किए थे. उन्हें इस बात का बेहद संतोष और गर्व है कि काम को समय से अंजाम दिया जा सका. इसी प्रकार हम सबको अपने काम के लिए पूरा संतोष और गर्व महसूस करना चाहिए.
मध्य रेल के मुख्य संरक्षा अधिकारी और सेमिनार के संयोजक शुभ्रांशु ने महाप्रबंधक का स्वागत करने के पश्चात् अपने संबोधन में कहा कि पिछले महीने कई रेल दुर्घटनाएं हुई हैं, जिससे रेलवे के प्रति लोगों का विश्वास डगमगाता दिखाई दे रहा है और पूरे देश में इसके लिए चिंता जाहिर की जा रही है. उन्होंने कहा कि हम सभी रेलकर्मियों और अधिकारियों को पूरी सजगता और सतर्कता के अपना कार्य करना चाहिए. हम इसी तरह कई संभावित रेल दुर्घटनाओं को बचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि सही और उपयुक्त मटीरियल की उपलब्धता सुनिश्चित करना जहां रेल प्रबंधन की जिम्मेदारी है, वहीं उसका समुचित उपयोग करना तथा उसकी अनुपलब्धता अथवा अनुपयुक्तता के बारे में सूचित करना रेलकर्मियों की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि हम सीधे लोको पायलट्स से फीड बैक लेते हैं. हर सप्ताह महाप्रबंधक स्वयं इस रिपोर्ट का अवलोकन करते हैं. अतः हमें पूरी सजगता और सतर्कता के साथ रेल कार्य को अंजाम देना चाहिए.
सेमिनार में रनिंग स्टाफ की तरफ से मोटरमैन ए. के. दुबे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सबसे पहले रिक्तियों को भरा जाना चाहिए, क्योंकि इसके आभाव में रनिंग स्टाफ पर बहुत ज्यादा अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि समयपालन का दबाव बहुत ज्यादा होता है, जिससे संरक्षा को नजरअंदाज किया जाता है, जबकि रेल परिचालन में संरक्षा सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि सिगनल्स का अत्यधिक घनत्व, प्लेटफार्मों की लंबाई कम होना, गाड़ियों का दोहरा ठहराव, मेन लाइन यार्ड, स्ट्रीट लाइट्स, इमारतों की रोशनी, झोपड़पट्टी की रोशनी इत्यादि मोटरमैन के कार्य को बाधित करते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रेन ऑपरेशन, स्टेशन वर्किंग और सिग्नल आदि के लिए वाकी-टाकी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. इस तरह से भी सेफ्टी रूल्स का वायलेशन हो रहा है. उनका कहना था कि कोई निरीक्षण सिर्फ एक ही पहलू को ध्यान में रखकर नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिवा में जहां 105 किमी. की गति से गाड़ियां चल रही थीं, वहीं अब 50 किमी. की गति हो गई है, क्रॉस ओवर की गति 40 किमी. की जगह 15/25 किमी. हो गई है. इससे हम आगे जाने के बजाय पीछे जा रहे हैं.
माटुंगा वर्कशॉप के सीनियर सेक्शन इंजीनियर श्याम नाइक ने कहा कि रेलवे की सबसे सस्ती और सुरक्षित यातायात सेवा की छवि अब धूमिल हो रही है. आज इसके मायने बदल रहे हैं. उन्होंने कहा कि उच्चाधिकार समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल दुर्घटनाओं में कमी आई है, यदि रेलकर्मी काम नहीं करते, तो यह कमी कैसे आ सकती थी. उनका कहना था कि फील्ड में पढ़ाई से नहीं, बल्कि अपने अनुभव और विवेक से काम करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2012 तक कुल 1600 रेलकर्मियों ने ट्रैक पर अपनी जान गंवाई, जबकि इसी अवधि में 8700 रेलकर्मी घायल और लूले-लंगड़े हुए थे. उनका कहना था कि इसी अवधि के दौरान विभिन्न रेल दुर्घटनाओं में कुल 1019 रेलयात्रियों की जान गई और कुल 2118 यात्री घायल हुए थे.
उन्होंने कहा कि रेल कर्मचारी अपनी जान पर खेलकर अपने काम को अंजाम दे रहा है. यदि फिर भी रेल दुर्घटनाएं नहीं रुक रही हैं, तो इसके लिए मैन, मशीन, मटीरियल, मेथड, मैनेजमेंट और मनी में कौन जिम्मेदार है? लोको पायलट को 12-16-18-24 घंटे काम करना पड़ रहा है. यदि रेल प्रबंधन लोको पायलट को एक लाख रुपए का भी इनाम देगा, तब भी वह इतनी लंबी ड्यूटी करने के बाद सो जाएगा. उसे इनाम का लालच भी सोने से नहीं रोक पाएगा, क्योंकि नींद व्यक्ति की प्राकृतिक और शारीरिक जरुरत है. उन्होंने कहा कि कम्पिटेंसी क्लास से नहीं, बल्कि फील्ड से आती है. टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन जरुरी है, परंतु उसे कोर्ष में लाया जाना चाहिए. इसमें कर्मचारी के लिए होने वाले खतरों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, क्योंकि रेलकर्मी हर समय भारी जोखिम में रहता है.
इस अवसर पर चीफ वर्कशॉप इंजीनियर ए. के. सिंह ने पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन देकर संरक्षा के विभिन्न पहलुओं से उपस्थित रेलकर्मियों और अधिकारियों को अवगत कराया. चीफ इलेक्ट्रिकल लोको इंजीनियर धामनगांवकर ने कहा कि रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार समय-समय पर रनिंग स्टाफ, लोको लॉबी, लोको इंस्पेक्टर्स, लोको पायलट्स, सीएंडडब्ल्यू और कोचिंग स्टाफ इत्यादि के साथ चर्चा और सलाह-मशवरा किया जाता रहना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कई सारे छोटे-बड़े फेल्यूर चालकों ने बचाए हैं. चीफ पैसेंजर ट्रांसपोर्टेशन मैनेजर डी. के. सिंह ने पैनल ऑपरेशन के बारे में विस्तार से अपना प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया. डिप्टी सीईई पी. एस. खोत ने रेलपथ की सुरक्षा एवं संरक्षा के बारे में विचार व्यक्त किए.
सीईई राजीव अग्रवाल ने कहा कि लोको पायलट्स के सहयोग से फेल्यूर लगभग शून्य हो रहे हैं, मगर ‘स्पेड’ के मामलों में कमी नहीं आ रही है, जो कि चिंता की बात है. इन्हें रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए रनिंग स्टाफ के परिवारों से बातचीत किए जाने की जरुरत है. उन्होंने रनिंग स्टाफ को नसीहत देते हुए कहा कि ज्यादा खाना न खाएं, इससे नींद ज्यादा आती है. इसके साथ ही बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें. स्टाफ फ्रेश मूड में साइन ऑन करें और हमेशा समय से ड्यूटी पर आएं. सहायक की ड्यूटी और गतिविधियों पर कड़ी नजर रखें तथा उनसे उनका पूरा कार्य करवाएं. उनका यह भी कहना था कि लोको इंस्पेक्टर्स को प्रत्येक चालक की समस्त व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जानकारी होनी चाहिए.
चीफ मैकेनिकल इंजीनियर भूषण पाटिल ने उपस्थित रेलकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि कल्याण में आज एक अत्यंत महत्वपूर्ण संयोग बन गया है जब मुख्यालय के सभी वरिष्ठ अधिकारी संरक्षा के बारे में अपने अनुभव और विशेषज्ञता रेल कर्मचारियों के साथ आदान-प्रदान करने आए हैं. उन्होंने कहा कि जागरूक, समर्पित, निष्ठावान और कर्मठ कर्मचारी ही हमेशा रेल दुर्घटनाओं को बचाते हैं. देर रात को एक जागरूक कर्मचारी ने डिफेक्टिव कोच कटवाया, ट्रेन लेट हुई, मगर एक बड़ी दुर्घटना होने से बच गई. हालांकि बहुत ही हल्का क्रेक था, ऐसे कई क्रेक तो सामान्य आँखों से दिखाई भी देते हैं, मगर एक अनुभवी और समझदार कर्मचारी ऐसे हलके से हलके क्रेक को भी पकड़ लेता है. उन्होंने कहा कि मैं परेशान था कि ऐसे क्रेक खूब हो रहे हैं, इसका कारण क्या है. इसका हल हमारे वर्कशॉप कर्मचारियों ने ही खोजा और बोगी क्रेक तथा फ्लैट टायर के मामले होने काफी कम हो गए हैं. पिछले 5-6 सालों से आईओएच वर्कशॉप में ही हो रहा है, जिससे फेल्यूर लगभग समाप्त हो गए हैं. इस सबके बावजूद हम अब तक व्हील मेजरिटी कंट्रोल का कोई फुलप्रूफ हल नहीं खोज पाए हैं. उन्होंने पुखरायां रेल दुर्घटना के संदर्भ में कहा कि रेल वेल्डिंग की गुणवत्ता बढ़ाए जाने की जरुरत है.
चीफ सिग्नल एंड टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियर जैन ने खासतौर पर एसएंडटी वर्किंग को इंगित करते हुए कहा कि ड्यूटी के दौरान कोई भाईचारा नहीं निभाया जाना चाहिए, बल्कि सभी निर्धारित मानकों और दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इंटरलॉकिंग, मेंटेनेंस और सेफ्टी का खास ध्यान रखा जाए और पॉइंट्स के ऑपरेशन को सर्वप्रथम सुनिश्चित किया जाना चाहिए. उन्होंने एसएंडटी कर्मचारियों को सलाह देते हुए कहा कि रिले बॉक्स को सही ढ़ंग से सील किया जाना चाहिए. उनका कहना था कि उन्होंने यहीं आकर पहली बार यह देखा कि यहां रिले को सील करने वाले कर्मचारी का उस पर नाम नहीं लिखा जाता. उन्होंने कहा कि रिले को प्रॉपर सील करने के बाद उसे सील करने वाले कर्मचारी को उस पर अपना नाम लिखकर हस्ताक्षर भी करना चाहिए. कार्यक्रम का संचालन सेफ्टी काउंसिलर द्विवेदी ने किया.
प्रत्येक रेलकर्मी यह सोचकर अपना काम करे कि उसके काम पर लाखों लोगों के जान-माल की सुरक्षा निर्भर करती है -रवीन्द्र गोयल, डीआरएम/मुंबई/म.रे.
इसके अगले दिन मध्य रेल मुंबई मंडल की तरफ से भी कल्याण में एक और सेफ्टी सेमिनार का आयोजन किया गया. इस अवसर पर एक बार फिर से मंडल रेल प्रबंधक रवीन्द्र गोयल, सीनियर डीएसओ ए. के. तिवारी, सीनियर डीईई/ओ सुमन, सीनियर डीएमई/कोचिंग एस. के. शर्मा, सीनियर डीएसटीई/समन्वय जनार्दन सिंह, सीनियर डीईएन/समन्वय आशुतोष गुप्ता, सीनियर डीईएन/साउथ मोहम्मद रिजवान, सीनियर डीईई/जी आर. के. चौबे और सीनियर डीओएम/जी श्री मोदी सहित मंडल के सभी ब्रांच अधिकारी, सहायक अधिकारी और बड़ी संख्या में रेलकर्मी उपस्थित हुए.
इस अवसर पर मोटरमैन एस. एन. खान, एओएम पी. एस. शर्मा, एडीईई/ओ भूपेश यादव, डीएसटीई धीरज द्विवेदी, एडीएमई शेख असलम जावेद, सीनियर इंस्ट्रक्टर/डीटीसी, कल्याण सुरेखा यादव, सीनियर डीओएम/जी मोदी, सीनियर डीएसटीई/समन्वय जनार्दन सिंह और सीनियर डीईएन/समन्वय आशुतोष गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त किए. सभी अधिकारियों/वक्ताओं ने अपने-अपने विभागों से संबंधित कार्यों और उनकी सुरक्षित तरीके से किए जाने के बारे में चर्चा की.
इस मौके पर अपने संबोधन में मंडल रेल प्रबंधक रवीन्द्र गोयल ने कहा कि भारतीय रेल हमें बहुत सारी सुविधाएं देती है, तथापि शिकायतों की सूची भी बहुत लंबी है. इसके बावजूद सभी रेलकर्मी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह उन्हें यहां कोई नसीहत देने नहीं आए हैं, बल्कि यह कहना चाहते हैं कि अधिकारियों को उन्हीं से तमाम ज्ञान प्राप्त होता है, इसलिए दुर्घटना और फेल्यूर बचाने के लिए पूरी तरह सतर्क और जागरूक रहकर अपनी-अपनी जिम्मेदारी और अपने कार्य को सही तरीके से करें, जिससे हम यात्रियों यानि अपने उपभोक्ताओं और उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित सेवा मुहैया करा सकें. उन्होंने कहा कि मंडल के रेलकर्मी रोजाना 45 लाख यात्रियों की जिम्मेदारी वहन कर रहे हैं. रेलकर्मियों का उत्साहवर्धन करते हुए श्री गोयल ने कहा कि एक आईआईटी शिक्षित व्यक्ति को आज 35 हजार वेतन मिल रहा है, जबकि रेलवे का हर कर्मचारी आईआईटियन है.
डीआरएम श्री गोयल ने कहा कि यदि रेलकर्मियों के मन में कोई मलाल है, तो उसे निकाल दें, क्योंकि हर रेलकर्मी/अधिकारी की असामयिक मृत्यु के बाद उसके परिवार के एक व्यक्ति को भारतीय रेल नौकरी देती है. उन्होंने कहा कि हम यात्रियों की उम्मीदों को आप सभी कर्मठ रेलकर्मियों की बदौलत ही पूरा कर पा रहे हैं. इसलिए सकारात्मक सोचें और सकारात्मक ही करें. श्री गोयल ने यह भी कहा कि हमारा परिवार भी हमारी दैनंदिन वर्किंग का हिस्सा है, उसका पूरा सहयोग लिया जाए. उन्होंने उपस्थित रेलकर्मियों को योग के माध्यम से अपना तनाव दूर करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि मैं यहां आपको किसी कार्य का कोई ज्ञान नहीं दूंगा, क्योंकि उसकी जानकारी हमसे ज्यादा आपको है. तथापि इतना जरुर कहूँगा कि प्रत्येक कर्मचारी यह सोचकर अथवा यह ध्यान में रखकर अपना काम करे कि उसके काम पर लाखों लोगों के जान-माल की सुरक्षा और संरक्षा निर्भर करती है, तब आप कभी कोई गलती नहीं करेंगे, क्योंकि आपकी जिम्मेदारी डीआरएम और जीएम से बहुत ज्यादा है और उनकी नौकरी भी आपके किए काम पर ही निर्भर रहती है.